Saturday, May 4, 2024
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गर्भगृह में नई मूर्ति, तो पुराने रामलला का क्या होगा? ज्योतिर्मठ शंकराचार्य ने किया ऐसा सवाल, जिसका जवाब ट्रस्ट पहले ही दे चुका

नई प्रतिमा के बारे में जब खबर आई थी तो हमने इस संबंध में कामेश्वर चौपाल से बातचीत की थी, जो ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के सदस्य हैं। उन्होंने पिछले साल ही यह जानकारी दी थी कि गर्भगृह में दोनों मूर्तियों को रखा जाएगा।

राम मंदिर में नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा और पुरानी मूर्ति को लेकर ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कुछ सवाल उठाए हैं। हालाँकि, उन्होंने जो प्रश्न पूछे हैं उस पर चूँकि श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र पहले ही सब स्पष्ट कर चुका है इसलिए शंकराचार्य की बातें लोगों को पसंद नहीं आ रहीं।

अपने पत्र में उन्होंने चिंता जताई कि हर जगह नई मूर्ति की प्रतिष्ठा की बात है जबकि गर्भगृह में तो पहले ही रामलला की मूर्ति विराजमान है, जिन्होंने इतने वर्ष का संघर्ष देखा। उन्होंने पत्र में कहा है रामलला की नई मूर्ति आने से ऐसा न हो कि पुरानी वाली की उपेक्षा हो जाए। उनके मुताबिक वेदी पर पुराने रामलला ही विराजमान होने अनिवार्य हैं। नई मूर्ति हुई तो बहुत बड़ा अन्याय होगा।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया पुरानी मूर्ति का क्या होगा

उनके इस पत्र के बाद फिर सवाल उठ रहे हैं कि नई मूर्ति आ गई है तो उस मूर्ति का क्या होगा जिसे इतने वर्षों से पूजा जा रहा था। तो बता दें, कि इन सवालों पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने हाल में जवाब देते हुए कहा था कि नए राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की वर्तमान मूर्ति भी रखी जाएगी।

इसके अलावा ऑपइंडिया ने भी अपनी रिपोर्ट में आपको इस संबंध में एक साल पहले ही जवाब दिया था। नई प्रतिमा के बारे में जब खबर आई थी तो हमने इस संबंध में कामेश्वर चौपाल से बातचीत की थी, जो ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के सदस्य हैं। उन्होंने पिछले साल ही यह जानकारी दी थी कि गर्भगृह में दोनों मूर्तियों को रखा जाएगा।

उन्होंने कहा था कि अधिकतर मंदिरों में 2 प्रतिमाएँ होती हैं। इनमें से एक को ‘उत्सव मूर्ति’ के रूप में जाना जाता है तो दूसरी ‘प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति’ कहलाती है। प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति को कहीं खिसकाया नहीं जा सकता, वो वहीं पर विराजमान रहती हैं जहाँ उन्हें स्थापित किया जाता है। वहीं झाँकी या शोभा यात्रा जैसे आयोजनों में ‘उत्सव मूर्ति’ को निकाला जाता है।

क्यों होगीं मंदिर में 2 मूर्तियाँ

‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने इसकी पुष्टि की थी कि अयोध्या में बन रहे भव्य एवं दिव्य राम मंदिर में भी एक मूर्ति प्राण प्रतिष्ठित होगी और एक उत्सव के लिए।

अब ये तो साफ है कि जो बड़ी मूर्ति है उसकी गर्भगृह में प्राण-प्रतिष्ठा होगी जबकि जो दूसरी मूर्ति होगी उसे उत्सव मूर्ति के रूप में गर्भगृह में रखा जाएगा। इसके अलावा ये जो सवाल उठ रहे हैं कि राजनीति के कारण पहले राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा पहले हो रही है। इस पर भी कामेश्वर चौपाल बता चुके थे कि कितना भी बड़ा घर बन कर तैयार हो जाए, पंडित द्वारा शुभ मुहूर्त बताने जाने के पश्चात ही घरवास का कार्यक्रम होता है।

बता दें कि श्रीराम की नई मूर्ति की गर्भगृह में ही प्राण-प्रतिष्ठा होगी। यहाँ पुराने श्री रामलला विराजमान होंगे अपने भाई लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न के साथ। उनके पास हनुमान जी की भी एक छोटी मूर्ति होगी।

इस शुभ अवसर पर जब हर कोई प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित है तो शंकराचार्य द्वारा इस कार्यक्रम पर सवाल खड़ा करना किसी को नहीं भा रहा। लोग उन्हें सलाह दे रहे हैं कि वो अपने काम से काम रखे। इस विषय पर न बोलें। कुछ ज्योतिशों ने विश्वास दिया है कि राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम शास्त्रसम्मत हो रहा है। कुछ ने चुनौती भी दी है कि फिर भी कोई संदेह है तो उनके साथ इस विषय पर शास्त्रार्थ कर लिया जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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