Saturday, April 20, 2024
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अब देश में आया यलो फंगस, ब्लैक और व्‍हाइट से है ज्यादा खतरनाक; कई अंगों पर सीधे अटैक: जानिए लक्षण और इलाज

यलो फंगस (Yellow Fungus) ब्‍लैक और व्‍हाइट फंगस से कहीं ज्यादा खतरनाक है और घातक बीमारियों में से एक है। बताया जा रहा है कि यलो फंगस पहले शरीर को अंदर से कमजोर करता है फिर जैसे-जैसे फंगस का असर बढ़ता है मरीज का वजन तेजी से कम होने लगता है। इसके बाद यह ज्यादा घातक रूप ले लेता है।

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और उसके बाद आए ब्‍लैक फंगस व व्‍हाइट फंगस से देश पहले से ही त्रस्‍त है। इसी बीच भारत में यलो फंगस (Yellow Fungus) ने भी दस्‍तक दे दी है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रविवार (24 मई 2021) को यलो फंगस का पहला मामला सामने आया है। यलो फंगस की चपेट में आए 34 वर्षीय मरीज का इलाज फिलहाल गाजियाबाद के एक अस्पताल में चल रहा है। वह कोरोना से संक्रमित भी रह चुका है और डाइबिटीज से भी पीड़ित है।

ब्‍लैक, व्‍हाइट फंगस से कहीं ज्यादा खतरनाक है यलो फंगस (Yellow Fungus)

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यलो फंगस (Yellow Fungus) ब्‍लैक और व्‍हाइट फंगस से कहीं ज्यादा खतरनाक है और घातक बीमारियों में से एक है। बताया जा रहा है कि यलो फंगस पहले शरीर को अंदर से कमजोर करता है फिर जैसे-जैसे फंगस का असर बढ़ता है मरीज का वजन तेजी से कम होने लगता है। इसके बाद यह ज्यादा घातक रूप ले लेता है।

ये हैं Yellow Fungus के लक्षण

येलो फंगस के मरीज को सुस्ती लगना, कुपोषण, भूख कम लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना जैसे शुरुआती लक्षण सामने आते हैं। साथ ही मरीज का वजन भी कम होने लगता है। वहीं, इस दौरान यदि किसी को घाव है तो उसमें से मवाद निकलना शुरू हो जाती है और घाव बहुत ही धीमी गति से ठीक होता है। इसके मरीज की आँखें भी अंदर धँस जाती हैं शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं।

अगर किसी मरीज को काफी समय से सुस्‍ती लग रही है, कम भूख लगती है या फिर खाने का बिल्‍कुल भी मन नहीं करता तो इसे नजरअंदाज नहीं करें और तुरंत डॉक्‍टर के पास जाएँ। इसका एकमात्र इलाज amphoteracin b इंजेक्शन है, जो एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीफंगल है।

यलो फंगस होने के कारण

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाकी दोनों फंगस की तरह यलो फंगस भी गंदगी के कारण तेजी से फैलता है और यह किसी भी मरीज को हो सकता है। लिहाजा अपने घर के अंदर और आस-पास सफाई रखें। बैक्टीरिया और फंगस को विकसित होने से रोकने के लिए जितनी जल्दी हो सके पुराने खाद्य पदार्थों को हटा दें। इसके अलावा घर में नमी का होना भी बैक्टीरिया और फंगस को बढ़ाता है। इसलिए सफाई और स्‍वच्‍छता का ध्‍यान रखकर इस बैक्‍टीरिया या फंगस को दूर किया जा सकता है।

क्या है ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस?

व्हाइट फंगस‘ अगर किसी के शरीर में प्रवेश कर गया तो वो उसके फेंफड़ों के साथ-साथ नाखून, चमड़ी, पेट, किडनी, दिमाग और मुँह के अलावा प्राइवेट पार्ट्स को भी निशाना बनाता है, इसीलिए इसे ‘ब्लैक फंगस’ से ज्यादा खतरनाक बताया गया है। इसकी प्रकृति कोविड-19 वायरस की तरह ही है।

ये हाई रिजोल्यूशन सिटी (HRCT) स्कैन से पकड़ में आता है। अगर इसका संक्रमण फैलता है तो फिर देश के स्वास्थ्य व्यवस्था को तीन मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। जैसे कोरोना मुख्यतः मरीज के फेंफड़ों को निशाना बनाता है, ये भी वैसा ही करता है लेकिन कई अन्य अंगों पर भी दुष्प्रभाव छोड़ता है। मुँह के भीतर ये घाव का कारण बन जाता है। 

वहीं, ब्लैक फंगस को Mucormycosis या Zygomycosis भी कहते हैं, जो Mucormycetes नामक फफूँदी समूह के कारण पैदा होते हैं। अगर इसका इलाज नहीं किया जाए तो ये काफी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। अगर आपके सर व चेहरे में दर्द है, साँस लेने में तकलीफ हो रही है, मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, उलटी में खून निकल रहा हो और देखने में परेशानी हो रही हो तो जल्द ही डॉक्टर से संपर्क करें।

इसके इलाज के लिए प्रतिदिन इन्ट्रावेनस इंजेक्शन दिया जाता है, जिसकी कीमत 3500 रुपए के आसपास होती है। लगभग 8 हफ़्तों तक इसे रोज लेने की ज़रूरत पड़ सकती है। ये फ़िलहाल अकेला ड्रग है, जिससे सफलतापूर्वक इसका इलाज हो रहा है। ‘ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ ने इस साल मार्च में सीरम की दवा Liposomal Amphotericin B (LAmB) को मंजूरी दी। इसकी और भी दवाएँ आ सकती हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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