Tuesday, April 23, 2024
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इस साल भारत के 58% लोगों ने चीन में बने उत्पादों का किया बहिष्कार, सीमा पर तनाव को बताया कारण: सर्वे में खुलासा – ‘मेड इन चाइना’ की जगह स्वदेशी की धूम

इस सर्वे में लोगों से पूछा गया है कि क्या कारण था कि उन्होंने बीते एक साल में चीनी प्रोडक्टस की खरीदारी कम कर दी? इसके जवाब में 58% ने कहा कि उन्होंने चीन से तनाव के चलते चीनी प्रोडक्ट को बायकॉट किया है।

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीनी सेना के बीच हुई झड़प के बाद दोनों देशों के राजनीतिक संबंध एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। एलएसी पर हुई इस झड़प के बाद, सोशल कम्युनिटी एंगेजमेंट प्लेटफॉर्म ‘लोकल सर्कल्स’ ने एक सर्वे किया है। इस सर्वे में, प्रत्येक 10 में से 6 लोगों ने कहा है कि उन्होंने चीनी उत्पादों (मेड इन चाइना प्रोडक्ट) का बायकॉट कर दिया है।

लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए इस सर्वे में देश के 319 जिलों के अलग-अलग शहरों से 40,000 से अधिक लोगों की राय ली गई है।

58% भारतीयों ने कम की चीनी सामानों की खरीदारी

इस सर्वे में लोगों से पूछा गया है कि क्या कारण था कि उन्होंने बीते एक साल में चीनी प्रोडक्टस की खरीदारी कम कर दी? इसके जवाब में 58% ने कहा कि उन्होंने चीन से तनाव के चलते चीनी प्रोडक्ट को बायकॉट किया है। सर्वे में 28% लोगों ने कहा है कि कीमत, क्वालिटी और बेहतर कस्टमर सर्विस के कारण उन्होंने मेड इन इंडिया प्रोडक्ट खरीदा है। वहीं, 11% लोगों ने सिर्फ बेहतर क्वालिटी और रेट को देखते हुए भारतीय प्रोडक्ट को चुना। हालाँकि, 8% लोगों ने अल्टरनेटिव विदेशी प्रोडक्ट को प्राथमिकता देने की बात कही है।

इसके अलावा, 8% लोगों की ने यह भी कहा है कि उनकी पसंद के प्रोडक्ट्स अन्य कंपनियों ब्रांड या ऑनलाइन में नहीं मिले। ऐसी स्थिति में उन्हें मेड इन चाइना प्रोडक्ट खरीदना पड़ा। वहीं, 35% लोगों का कहना है कि पिछले 12 महीनों में उन्होंने मेड इन चाइना प्रोडक्ट की टॉप कैटेगरी के रूप में गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स खरीदे हैं। साथ ही, 14% लोगों ने मेड इन चाइना प्रोडक्ट के रूप में त्यौहार के दौरान उपयोग में आने वाले सामान जैसे लाइटिंग, लैंप आदि की खरीदारी की है।

भारतीय कुटीर और लघु उद्योग के लिए से इस सर्वे में बड़ी खुशखबरी है। सर्वे के अनुसार, सिर्फ 5% लोगों ने ही चीनी खिलौने, स्टेशनरी सामान और गिफ्ट्स की खरीदी की है। साल 2021 की रिपोर्ट्स देखने से पता चलता है कि बीते साल चीनी फैशन प्रोडक्ट खरीदने की अच्छी खासी डिमांड थी। हालाँकि, 2022 में इसमें बड़ी गिरावट आई है। 2021 में जहाँ 11% लोग फैशन प्रोडक्ट में मेड इन चाइना सामानों की खरीदी कर रहे थे। वहीं, इस सर्वे के अनुसार, 2022 में सिर्फ 3% लोग ही फैशन में मेड इन चाइना सामानों का उपयोग कर रहे हैं।

चीनी वाहनों को भी ना कह चुके हैं भारतीय

वाहन को लेकर पूछे गए सवाल में किसी भी व्यक्ति ने यह नहीं कहा है कि उसने बीते एक साल में मेड इन चाइना वाहनों को खरीदी की है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के मामले में चीन अब भी बेताज बादशाह बना हुआ है। सर्वे के अनुसार, भारत में चीनी गैजेट्स की खतप 29% से बढ़कर 35% पर पहुँच गई है।

लोकल सर्कल्स के इस सर्वे में भाग लेने वाले 59% भारतीयों ने कहा है कि उनके फोन में कोई भी चीनी ऐप नहीं है। वहीं, 29% लोगों ने स्वीकार किया है कि उनके फोन में 1 या इससे अधिक चीनी ऐप है।

कुल मिलाकर देखें तो, सीमा पर चीन की हरकत का असर बाजार पर पड़ता दिख रहा है। इसके अलावा, लोगों को मेड इन इंडिया प्रोडक्ट भी बेहतरीन क्वालिटी में मिल रहे हैं। ऐसे में, चीनी सामानों की माँग घटना स्वाभाविक था। लोकल सर्कल्स द्वारा किया गया यह सर्वे कई मायनों में भारतीय बाजार की चीन के प्रति निर्भरता में हो रही कमी को भी साफ तौर पर दर्शा रहा है। यदि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को छोड़ दिया जाए तो शेष किसी अन्य क्षेत्र में मेड इन चाइना सामानों की माँग में बढ़ोतरी दिखाई नहीं देती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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