Tuesday, June 3, 2025
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‘HC ने कुरान और हदीस की गलत व्याख्या की’: बुर्का फैसले पर सुप्रीम कोर्ट पहुँचा मुस्लिम लॉ बोर्ड, केरल की उलेमा संस्था भी मैदान में

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दो अन्य याचिकाकर्ताओं मुनिसा बुशरा और जलीसा सुल्ताना यासीन ने अपने सचिव, मोहम्मद फजलुररहीम के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी के स्कूल से शुरू हुआ बुर्का-हिजाब विवाद (Burqa-Hijab Controversy) अब हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले पर अपनी सुनवाई में कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म का अहम हिस्सा नहीं है और स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगी पाबंदी को हटाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दो अन्य याचिकाकर्ताओं मुनिसा बुशरा और जलीसा सुल्ताना यासीन ने अपने सचिव, मोहम्मद फजलुररहीम के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इसके अलावा मामले में उलेमाओं की संस्था ‘समस्त केरल जमीयतुल उलेमा’ ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इस याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक HC का फैसला इस्लामिक कानून की गलत समझ पर आधारित है। संस्था का कहना है कि हाई कोर्ट ने फैसले में कुरान और हदीस की गलत व्याख्या की है।

गौरतलब है कि इससे पहले इस्लामी संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताया था। संगठन ने कहा था कि इससे मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा और मजहबी आज़ादी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

वहीं बुर्का पक्ष ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। इसमें कहा गया था कि कर्नाटक हाईकोर्ट ये समझने में अक्षम रहा कि हिजाब पहनना ‘प्राइवेसी के अधिकार’ के अंतर्गत आता है, जो संविधान के अनुच्छेद-21 का हिस्सा है। साथ ही इसमें ‘अंतःकरण की आज़ादी’ को भी इसी का एक हिस्सा बताया गया। याचिका में हिजाब को ‘अभिव्यक्ति’ के अंतर्गत बताते हुए कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद-19(1)(a) के तहत इसकी सुरक्षा प्रदान की गई है।

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की तीन सदस्यीय बेंच ने 15 मार्च को मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। इन याचिकाओं में क्लास के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति माँगी गई थी। फैसले के बाद कर्नाटक के उडुपी में 16 मार्च 2022 को फिर से स्कूल-कॉलेज खोल दिए गए। हालाँकि, सामने आए वीडियो में स्पष्ट तौर पर कुछ छात्राओं को बुर्के में संस्थान में प्रवेश करते हुए देखा गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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