Friday, May 16, 2025
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मुर्शिदाबाद में हिंसा से पहले चुन-चुनकर हिंदू घरों पर ‘काली स्याही’ से लगाए निशान, फिर इस्लामी भीड़ ने की बमबाजी-आगजनी: मौके पर पहुँचे पत्रकार तो हुआ खुलासा

मुर्शिदाबाद हिंसा में हिंदुओं के घरों के बाहर काली स्याही से निशान बनाए गए थे। मुस्लिम भीड़ जब हिंसा करने पहुँची तो काली स्याही वाले घरों पर ही धावा बोला, आग लगाई और बम फेंका।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा फैलाई गई हिंसा में नया खुलासा हुआ है। हिंसा फैलाने वाले मुस्लिम कट्टरपंथियों को पहले से ही मालूम था कि कहाँ बम फेंकना है और कहाँ आग लगाना है क्योंकि हिंदुओं के घरों पर काली स्याही से निशान बना दिए गए थे।

इसका खुलासा NMF न्यूज की एक ग्राउंड रिपोर्ट से हुआ। एनएमएफ के पत्रकार पंकज प्रसून ने मुर्शिदाबाद हिंसा में टारगेट किए गए हिंदुओं के घरों के सामने से रिपोर्टिंग की जिसमें पत्रकार को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि हिंदुओं के घरों पर काली स्याही लगाई गई है। इससे साफ जाहिर होता है कि हिंसा करने वाले इस्लामिक कट्टरपंथियों को पता था कि किस हिंदू घर पर बम फेंकना है और कहाँ आग लगाना है?

पत्रकार पंकज प्रसून ने हिंसा का शिकार हुए स्थानीय लोगों से भी बातचीत की। बातचीत के दौरान पता चला कि मुस्लिम भीड़ गलियों में घुसी और हिंदुओं के घरों पर काली स्याही देखकर उन्हें निशाना बनाया, आगजनी की और लूटपाट मचाई।

11 अप्रैल 2025 को मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में नए वक्फ संशोधन कानून के विरोध में मुसलमानों ने हिंसा की। खासतौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी की घटनाएँ देखी गई थी। हिंसा की शुरुआत जुम्मे की नमाज के बाद मुर्शिदाबाद के सुती और समसेरगंज इलाकों से हुई थी।

मुर्शिदाबाद हिंसा में 11 अप्रैल 2025 के ही दिन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने एक हिंदू पिता (गोविंद दास) और उनके पुत्र की भी हत्या कर दी थी। इसके अलावा मुसलमानों ने एक हिंदू दंपति की मिठाई की दुकान को तहस-नहस कर किया और सामान लूट लिया।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हिंसा में फँसी एक एंबुलेंस को आग के हवाले कर दिया और ड्राइवर की बेरहमी से पिटाई की। हिंसा का शिकार हुआ एक हिंदू व्यक्ति ने बताया कि हमलावर बाहर से नहीं आए थे, वे स्थानीय मुसलमान थे।

मुर्शिदाबाद हिंसा में एक अन्य हिंदू पीड़ित ने एएनआई को बताया, “उन्होंने (इस्लामिक कट्टरपंथियों) वाहनों को नष्ट कर दिया, हमारा सामान लूट लिया और दुकानों में भी आग लगा दी।” पीड़ित ने आगे बताया, “मैं रात को सो नहीं पाया। हम जाग रहे थे और डरे हुए थे। जब यहाँ हिंसा हो रही थी, तब कोई पुलिस बल नहीं था।”

मुर्शिदाबाद हिंसा का शिकार हुआ एक हिंदू व्यापारी अमर भगत की पत्नी मंजू भगत ने आजतक के एक रिपोर्टर को बताया, ” भीड़ सामने के गेट से घुसने का प्रयास कर रही थी, लेकिन दरवाजा तोड़ नहीं पाई। इसके बाद मुस्लिम कट्टरपंथी पीछे के गेट से घुसने लगे। पीड़िता ने आगे बताया कि इनलोगों ने बाइक तोड़ दी, घर में मौजूद टेबुल-कुर्सी, गद्दा, सोफा वगैरह को तहस-नहस कर दिया और कीमती सामानों को लूट लिया।

पीड़ितों ने यह भी दावा किया कि पुलिस ने उनके कॉल का भी कोई जवाब नहीं दिया जबकि हिंसा शमशेरगंज पुलिस स्टेशन से करीब 500 मीटर की दूरी पर हो रही थी। हिंसा के दौरान स्थिति इतनी खतरनाक हो गई थी कि हजारों हिंदुओं ने वहाँ से पलायन किया। ये घरों से भाग कर नावों के जरिए नदी पार किया और मालदा में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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