छत्तीसगढ़ के आखिरी ग्राम पंचायत साईटांगरटोली में देखते-देखते जनजातीय से मुस्लिम बहुल हो गया। यह ग्राम पंचायत चुनावों में जनजातीय समाज के लोगों के लिए आरक्षित है, लेकिन हिंदू नाम रखने वाले मुस्लिम या जनजातीय समाज की महिला से निकाह कर रखने वाले मुस्लिम यहाँ से चुनाव लड़ते और जीतते हैं। गौतस्करी के लिए कभी कुख्यात इस गाँव में पुलिस के आने पर अघोषित प्रतिबंध था।
गाँव के रहने वाले बृजेश के हवाले से दैनिक भास्कर ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में बताया कि साल 1970 में इस ग्राम पंचायत में 32 घर जनजातीय समुदाय के और 30 घर मुस्लिमों के थे। धीरे-धीरे सभी जनजातीय लोग धर्मांतरित होकर मुस्लिम बन गए। गाँव में 1760 मतदाता हैं, जिनमें 90 ईसाई हैं और सभी बाकी मुस्लिम हैं। वर्तमान में यहाँ का सरपंच दुबराज है। नाम हिंदू है, लेकिन वह मुस्लिम है।
दुबराज के पिता का नाम प्रसन्न राम है। प्रसन्न राम भी जनजातीय समाज छोड़कर मुस्लिम बन चुका है और उसका नाम बारिस अली हो चुका है। हालाँकि, वह खुद को प्रसन्न राम के तौर पर ही पेश करता है। प्रसन्न राम कहता है कि वह गौड़ जनजातीय जाति से ताल्लुक रखता है। वह अब पाँच वक्त का नमाजी है। उसने हज जाने की भी इच्छा जताई और कहा कि ‘जब ऊपर वाला बुलाएगा तो जाऊँगा।’
Read this one:
— Treeni (@TheTreeni) February 8, 2025
A village in Chhattisgarh, which once had a 50% Hindu population, has a reserved seat for tribals in the Panchayat elections.
But now, the entire village has converted to Islam. Out of 1760 voters, only 90 are Christian; the rest are Muslim in the Saitangertoli… pic.twitter.com/HIzzoWEXL3
प्रसन्न राम का कहना है कि वह 50 साल पहले यहाँ आया था। साल 1999 में यह सीट जनजातीय समाज के लोगों के लिए आरक्षित हो गई है। इसके बावजूद, पिछले 25 साल में 15 साल उसके परिवार के लोग ही सरपंच रहे। बाकी 10 साल भी जनजातीय नाम वाले मुस्लिम परिवार के लोग ही सरपंच बने। इस बार फिर यहाँ चुनाव हो रहा है और बारिस अली इसकी तैयारी कर रहा है।
प्रसन्न राम उर्फ बारिस अली के 2 बेटे और 4 बेटियाँ हैं। बारिस अली का कहना है कि इस बार ग्राम पंचायत महिला के लिए आरक्षित कर दी गई है। इसलिए वह अपनी बीवी जयमुनी बाई और उपसरपंच के लिए बेटी शगुफ्ता को चुनाव लड़ाएगा। वहीं, जब्बार भी जनजातीय समाज की दूसरी बीवी सुमंती बाई को चुनाव लड़ा है, जबकि पहले सरपंच रह चुकी अहमद की पत्नी मार्सेला एक्का भी मैदान में है।
जब्बार ने चार निकाह किए हैं। इनमें से सुमंती बाई और परवीन कुजूर भी शामिल हैं। यही हाल अहमद का भी है। इस तरह गाँव में चुनाव लड़वाने के लिए कई मुस्लिमों ने जनजातीय समाज की महिलाओं से शादी की है। साल 2004 में अहमद ने मार्शेल एक्का से निकाह किया और उसे चुनाव लड़वाया। वह चुनाव जीत गई। इसके बाद 2009 में प्रसन्न राम की बीवी सुमंती बाई सरपंच बनी।
उसे चुनाव लड़ाया और वह जीत गई। 2009 में प्रसन्न राम की पत्नी सरपंच बनीं। 2013 में जब्बार ने जनजातीय समाज की अपनी बीवी प्रवीण कुजूर को चुनाव लड़ाकर सरपंच बनाया था। इस समय प्रसन्न राम का बेटा दुबराज सरपंच है। चुनावों में प्रसन्न राम का परिवार या इन मुस्लिम लोगों की जनजातीय पत्नियाँ ही चुनाव लड़ती हैं। पंचायत में 6 मुस्लिमों ने जनजातीय समाज की लड़कियों से शादी की है।
गौतस्करी का अड्डा है यह गाँव
यह गाँव छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में आता है। जशपुर के एसपी शशिमोहन सिंह का कहना है कि यह गाँव गौतस्करी का अड्डा था। पूरे राज्य से गायों को यहाँ लाकर रखा जाता था और यहाँ से उन्हें बांग्लादेश भेजा जाता था। एसपी शशि मोहन सिंह के अनुसार, “जब मैं जशपुर आया तो पता चला कि इस गाँव में पुलिस का जाना मना है। पुलिस जाती थी तो उस पर हमला कर दिया जाता था।”
इसके बाद शशि मोहन सिंह ने गौतस्करों के खिलाफ ‘ऑपरेशन शंखनाद’ शुरू किया। उन्होंने मुखिया सहित कई लोगों को जेल भेजा। गोतस्करी में पकड़ी जाने वाली गाड़ियों को नष्ट करना शुरू किया। इसके बाद एक दिन भारी संख्या में पुलिस बल लेकर एसपी शशि मोहन सिंह गाँव में घुस गए। इसके बाद सबसे पहले महिलाओं ने हमला किया। पुलिस ने किसी तरह हालात कंट्रोल किए।
इसके बाद पुलिस ऑपरेशन शंखनाद के तहत लगातार यहाँ कार्रवाई करती रहती है। यहाँ के लोग गौतस्करी में अब शामिल हैं, लेकिन ये काम अब वे छिपकर करते हैं। अभी छह दिन पहले ही जशपुर पुलिस ने इस गाँव के 29 वर्षीय बल्लीबुल हक उर्फ उल्लाह और 35 साल के सलीम खान को ऑपरेशन शंखनाद के तहत गिरफ्तार किया है। इनके पास से 14 गौवंश को छुड़ाया गया है।
छत्तीसगढ़ और भोजपुरी फिल्मों में बतौर अभिनेता काम कर चुके एसपी शशि मोहन सिंह ने छह महीना पहले यानी अगस्त 2024 में 125 जवानों को लेकर इस गाँव में बड़ी कार्रवाई की थी। उन्होंने पूरे गाँव को घेर लिया था। खुद हाथ में एके-47 लेकर मौके पर मौजूद थे। इस दौरान 10 गोतस्करों को गिरफ्तार किया था। साथ ही 37 मवेशियों और तस्करी के लिए इस्तेमाल होने वाले 18 वाहनों को जब्त किया था।
इस गाँव को लेकर कहा जाता है कि एसपी शशि मोहन सिंह के आने से पहले यहाँ के अपराधी अपराध करते थे, लेकिन उन्हें पकड़ने के लिए इस गाँव में जाने की हिम्मत पुलिस नहीं जुटा पाती थी। कहा जाता है कि एसपी शशि मोहन सिंह के पहले इस गाँव में आजादी के बाद कार्रवाई के लिए सिर्फ चार बार पुलिस गई थी। चारों बार पुलिस पर हमला कर दिया गया था और पुलिस पिटकर लौट आई थी।
जनवरी 2024 में शुरू हुए ऑपरेशन शंखनाद में जशपुर पुलिस ने 61 मामले दर्ज किए हैं। इनमें कुल 109 आरोपितों की गिरफ्तारी हुई है और कुल 700 से अधिक गोवंश छुड़ाए गए हैं। जशपुर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का गृह जिला है। वहीं, अग्रेसिव पुलिसिंग के लिए विख्यात शशि मोहन सिंह स्टेट कैडर से IPS बने हैं। वह बिहार के बक्सर जिले के सेमरी थाना अंगर्गत दुल्लहपुर के रहने वाले हैं।