Thursday, April 24, 2025
Homeदेश-समाजमैदान DDA का, दावा कर रहा था वक्फ: हाई कोर्ट ने कहा- शाही ईदगाह...

मैदान DDA का, दावा कर रहा था वक्फ: हाई कोर्ट ने कहा- शाही ईदगाह में लगेगी झाँसी की रानी की प्रतिमा, मस्जिद कमिटी से कहा- माफी माँगो, सांप्रदायिक राजनीति मत करो

एकल न्यायाधीश के समक्ष पेश की गई अपनी याचिका में मस्जिद समिति ने कोर्ट से यह माँग की थी कि वह शाही ईदगाह पर अतिक्रमण नहीं करने के लिए निगम के अधिकारियों को निर्देश दे। उसने यह भी दावा किया था कि यह एक वक्फ संपत्ति है। मस्जिद समिति ने कहा कि साल 1970 में प्रकाशित एक राजपत्र अधिसूचना में शाही ईदगाह पार्क को मुगल काल के दौरान निर्मित बताया गया है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार (25 सितंबर 2024) को एकल न्यायाधीश के खिलाफ निंदनीय दलीलें देने के लिए शाही ईदगाह प्रबंध समिति को फटकार लगाई और माफी माँगने के लिए कहा। एकल न्यायाधीश ने शहर के सदर बाजार क्षेत्र में स्थित शाही ईदगाह पार्क में स्थित जगह को DDA का बताया था और ‘झाँसी की रानी’ की मूर्ति स्थापित करने के खिलाफ ईदगाह समिति की याचिका खारिज कर दी थी।

न्यायालय ने मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन की कुछ पंक्तियों पर कड़ी आपत्ति जताई। उसमें एकल न्यायाधीश के उस फैसले की सत्यता पर सवाल उठाया गया था, जिसके तहत दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को शाही ईदगाह पार्क में लक्ष्मीबाई की प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति दी गई थी। दरअसल, मस्जिद समिति इस जमीन को अपना बताता है, जबकि कोर्ट ने उसे DDA का घोषित किया था।

मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस विवाद को सांप्रदायिक रंग देने के लिए मस्जिद समिति की आलोचना की। इसके साथ ही उसने यह भी निर्देश दिया है कि ईदगाह मस्जिद समिति इस तरह के आचरण के लिए कल तक बिना शर्त माफी माँगे।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने ईदगाह मस्जिद समिति से कहा, “अदालत के माध्यम से सांप्रदायिक राजनीति खेली जा रही है! आप (मस्जिद समिति) मामले को ऐसे पेश कर रहे हैं, जैसे कि यह एक धार्मिक मुद्दा है, लेकिन यह कानून और व्यवस्था की स्थिति से संबंधित मुद्दा है।” वहीं, न्यायमूर्ति गेडेला ने कहा कि झाँसी की रानी की प्रतिमा का होना बहुत गर्व की बात है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने आगे कहा, “वह (लक्ष्मीबाई) एक राष्ट्रीय नायक हैं, जो धार्मिक सीमाओं से परे हैं। याचिकाकर्ता (मस्जिद समिति) सांप्रदायिक रेखाएँ खींच रही है और अदालत का इस्तेमाल कर रही है। सांप्रदायिक आधार पर विभाजन न करें। आपका सुझाव ही विभाजनकारी है। अगर ज़मीन आपकी थी तो आपको मूर्ति स्थापित करने के लिए स्वेच्छा से आगे आना चाहिए था!”

मस्जिद समिति के वकील ने दलील दी कि शाही ईदगाह के सामने झाँसी की रानी की मूर्ति स्थापित करने से इलाके में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली अल्पसंख्यक समिति ने यथास्थिति का आदेश दिया था। इसलिए मूर्ति स्थापित नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समिति के इस आदेश को एकल न्यायाधीश के समक्ष चुनौती नहीं दी गई थी। इसलिए यह आदेश अभी भी लागू होगा।

मस्जिद समिति के वकील ने आगे तर्क दिया कि DDA और दिल्ली नगर निगम ने एक वैकल्पिक स्थल की पहचान की है, जहाँ मूर्ति स्थापित की जा सकती है। इसी दौरान DDA के वकील ने कोर्ट का ध्यान मस्जिद समिति की दलीलों में कुछ ‘निंदनीय’ पैराग्राफों की ओर आकर्षित किया। इसे कोर्ट के एकल न्यायाधीश को लेकर कहा गया था, जिन्होंने हाल ही में आदेश दिया था कि विवादित भूमि डीडीए की है।

खंडपीठ ने शाही ईदगाह प्रबंध समिति को इस तरह की दलीलें देने के लिए कल तक माफीनामा देने का आदेश दिया है। कोर्ट की फटकार के बाद समिति के वकील ने बिना शर्त माफीनामा जारी करने पर सहमति जताई। इसके साथ ही उन्होंने अपनी अपील को भी वापस लेने की अनुमति माँगी। इस मामले में कोर्ट की अगली सुनवाई 27 सितंबर को है।

दरअसल, एकल न्यायाधीश के समक्ष पेश की गई अपनी याचिका में मस्जिद समिति ने कोर्ट से यह माँग की थी कि वह शाही ईदगाह पर अतिक्रमण नहीं करने के लिए निगम के अधिकारियों को निर्देश दे। उसने यह भी दावा किया था कि यह एक वक्फ संपत्ति है। मस्जिद समिति ने कहा कि साल 1970 में प्रकाशित एक राजपत्र अधिसूचना में शाही ईदगाह पार्क को मुगल काल के दौरान निर्मित बताया गया है।

याचिका में मस्जिद समिति ने आगे कहा था कि इस शाही ईदगाह परिसर का उपयोग नमाज अता करने के लिए किया जा रहा है। इसमें एक साथ 50,000 नमाजी नमाज पढ़ सकते हैं। हालाँकि, एकल न्यायाधीश ने याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि ईदगाह की सीमा के अंदर का क्षेत्र, जो पार्क या खुला मैदान है, वह DDA का है। उन्होंने यह भी कहा था कि दिल्ली वक्फ बोर्ड भी धार्मिक गतिविधियों के इस पार्क का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत नहीं करता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

सिंधु जल समझौता निलंबित, पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द, अधिकारियों को देश-निकाला, अटारी सीमा बंद: पहलगाम हमले के बाद एक्शन में भारत

भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय दबावों की परवाह किए बिना इतिहास में हुए भूलों को सुधारने की कार्रवाई शुरू कर दी है। सिंधु जल समझौता निलंबित।

‘ये PM को सन्देश – मुस्लिम कमजोर महसूस कर रहे’: रॉबर्ट वाड्रा ने 28 शवों के ऊपर सेंकी ‘हिंदुत्व’ से घृणा की रोटी, पहलगाम...

रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि आईडी देखना और उसके बाद लोगों को मार देना असल में प्रधानमंत्री को एक संदेश है कि मुस्लिम कमजोर महसूस कर रहे हैं।
- विज्ञापन -