सीताराम शास्त्री नाम के गुजरात के एक पुजारी ने दावा किया है कि इस मंदिर का प्राचीन एवं खंडित शिवलिंग उनके पास है। उन्होंने कहा कि वे शिवलिंग के इन टुकड़ों के संरक्षक हैं। उन्होंने आग्रह किया है कि इसे फिर से प्रतिष्ठित किया जाए। शास्त्री का दावा है कि 11वीं शताब्दी में मोहम्मद गजनी ने मंदिर और मूल शिवलिंग को ध्वस्त कर दिया था।
इस मंदिर के पुजारियों के वंश से आने वाले सीताराम शास्त्री ने अपने दावे को लेकर एक वीडियो भी बनाया है। वीडियो में पुजारी शास्त्री ने दावा किया है कि वह पिछले 21 वर्षों से पवित्र लिंगम के टुकड़ों को संरक्षित कर रहे हैं और अब वह चाहते हैं कि इसे सोमनाथ मंदिर में प्रतिष्ठित किया जाए। इस सिलसिले में उन्होंने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की है। रविशंकर ने उनका समर्थन किया है।
शास्त्री ने कहा, “शिवलिंग के ये हिस्से मुझे 21 साल पहले मिली थीं। इससे पहले इन्हें मेरे चाचा ने रखा था। उन्होंने स्थापित करवाने का आदेश दिया था। ये सोमनाथ की असली मूर्ति है। 1000 साल हो गए हैं। ये मेरे चाचा को उनके गुरु प्रणवेंद्र सरस्वती जी ने दी थी। उसके बाद मेरे चाचा ने 60 साल तक इसकी पूजा की। ये मूर्ति मेरे, उनके और उनके गुरु के पास गुरु-प्रथा से ही आई है।”
उन्होंने आगे कहा, “1,000 साल पहले यह शिवलिंगम 3 फीट नीचे गिर गया था और गुरुत्वाकर्षण के बावजूद फर्श से 2 फीट ऊपर लटका रहा। इस शिवलिंगम को नष्ट करने के लिए आक्रमणकारियों ने कई हमले किए। आक्रमणकारी महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर में प्रवेश करने के लिए लगभग 50,000 लोगों की हत्या की थी। उसने मंदिर की सभी कीमती चीजें लूट लीं और शिवलिंगम को नष्ट कर दिया।”
पुजारी का कहना है कि महमूद गजनवी द्वारा पवित्र शिवलिंग को नष्ट करने के तुरंत बाद विभिन्न संतों ने इसके टूटे हुए टुकड़ों को इकट्ठा किया। उनसे कई मूर्तियाँ बनाईं और वर्षों तक उनकी पूजा की। इसके बाद संतों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि सही समय आने पर उन्हें मंदिर में फिर से स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनके चाचा ने उन्हें मंदिर में कम-से-कम दो मूर्तियाँ स्थापित करने का आदेश दिया है।
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, इन मूर्तियों को सोमनाथ मंदिर में स्थापित करने के लिए उन्होंने कई संतों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, “मैं हाल ही में इसे शंकराचार्य जी के पास ले गया…मैं इसे धीरेंद्र सरस्वती जी के पास भी ले गया। उन्होंने मुझसे कहा कि राम मंदिर का काम पूरा हो जाने के बाद वे इस शिवलिंगम की स्थापना की प्रक्रिया शुरू करेंगे, लेकिन अब वे समाधिस्थ हो चुके हैं।”
पुजारी ने आगे कहा, “उसके बाद मैं इसे विजेंद्र सरस्वती जी के पास ले गया और वे इसे देखकर खुश हुए। उन्होंने इसे बेंगलुरु में गुरु श्री श्री रविशंकर के पास लाने को कहा और कहा कि वे इसे स्थापित करने में मेरी मदद करेंगे। इस मूर्ति में ऐसी शक्तियाँ हैं, जिनके बारे में मुझे जानकारी नहीं थी। श्री श्री रविशंकर ने आश्वासन दिया है कि इसे सोमनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा। इससे मैं बहुत खुश हूँ।”