Monday, October 7, 2024
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दिल्ली की जामा मस्जिद की खुदाई के लिए PM मोदी को पत्र, कहा- हजारों देवी-देवताओं की मूर्तियाँ सीढ़ियों में हैं दफन

‘मसीर-ई-आलमगीरी’ के अनुसार, खान जहाँ बहादुर जोधपुर से कई गाड़ियों में भर कर हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ लाया था। ये प्रतिमाएँ उन मंदिरों की थीं, जिन्हें मुगलों ने उसके नेतृत्व में लूटा और तबाह किया था।

वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी ढाँचे में शिवलिंग मिलने के बाद हिंदू संगठनों ने अब दिल्ली स्थित जामा मस्जिद की खुदाई की माँग की है। हिंदू महासभा और यूनाइटेड हिंदू फ्रंट समेत कुछ अन्य हिंदू संगठन ज्ञानवापी ढाँचे की तरह ही जामा मस्जिद का भी सर्वे कराने को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। इस संबंध में चक्रपाणि महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भी लिखा है।

अखिल भारतीय हिंदू महासभा के दूसरे धड़े के अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने पत्र में कहा है, “दिल्ली की जामा मस्जिद हजारों देवी-देवताओं की मूर्तियों को दबाकर बनाई गई है।” उन्होंने जामा मस्जिद के चबूतरे और सीढ़ियों की खुदाई करा इन मूर्तियों को निकलवाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि जोधपुर व अन्य जगहों से लूटकर लाए गए इन मूर्तियों को मस्जिद की सीढ़ियों में दफन करने का आदेश मुगल बादशाह ने दिया था।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, “यह सर्वविदित है​ कि मुगल विदेशी आक्रांताओं ने न सिर्फ देश के समस्त मंदिरों में लूटपाट की, बल्कि हिंदुओं को अपमानित करने के लिए हमारे मंदिरों पर मस्जिद के गुंबद बनवा दिए। इसके उदाहरण आपके समक्ष हैं- श्रीराम जन्मभूमि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि, ज्ञानवापी और अन्य हिंदू मंदिर। आपसे निवेदन है कि जामा मस्जिद के नीचे दबे हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को निकालने के संबंध में संबंधित विभाग को आदेश दें। ताकि उन मूर्तियों की भी पूजा ​हो सके।”

इसी तरह यूनाइटेड हिंदू फ्रंट अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने दावा किया है कि मस्जिद के नीचे पहले मंदिर थे। मस्जिद निर्माण के दौरान देवताओं की मूर्तियों को दबाया गया है। इसका सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।

बता दें कि जामा मस्जिद को औरंगज़ेब के पिता शाहजहाँ द्वारा सन 1644-1656 में बनवाया गया था। औरंगज़ेब ने लाहौर में बादशाही मस्जिद का निर्माण करवाया था, जिसकी रूप-रेखा जामा मस्जिद से मिलती है। जामा मस्जिद के निर्माण में 5000 से भी अधिक मजदूरों को खटवाया गया था और मध्य सत्रहवीं सदी में इसके निर्माण में 10 लाख रुपए से भी ज्यादा ख़र्च आया था। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद जब अंग्रेजों ने दिल्ली जीती तो उन्होंने जामा मस्जिद को भी अपने कब्जे में ले लिया था। अंग्रेजों ने मस्जिद में अपनी आर्मी रखी हुई थी और वो दिल्ली को सज़ा देने के लिए इस मस्जिद को ध्वस्त करना चाहते थे। अंग्रेजों ने दिल्ली के अकबराबादी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था।

औरंगज़ेब पर साक़ी मुस्तक़ ख़ान द्वारा लिखित पुस्तक ‘मसीर-ई-आलमगीरी’ में एक घटना का जिक्र है। ये घटना रविवार (मई 24-25, 1689) की है। उस दिन ख़ान जहाँ बहादुर जोधपुर से मंदिरों को तबाह कर के लौटा। औरंगज़ेब की जीवनी में लिखा हुआ है कि ख़ान जहाँ बहादुर द्वारा मंदिरों को ध्वस्त किए जाने, उन्हें लूटने और प्रतिमाओं को विखंडित किए जाने पर बादशाह बहुत ख़ुश हुआ।

‘मसीर-ई-आलमगीरी’ के अनुसार, खान जहाँ बहादुर जोधपुर से कई गाड़ियों में भर कर हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ लाया था। ये प्रतिमाएँ उन मंदिरों की थीं, जिन्हें मुगलों ने उसके नेतृत्व में लूटा और तबाह किया। इन लूटी गई प्रतिमाओं को बादशाह औरंगज़ेब के सामने पेश किया गया, जिस देख कर वह अत्यंत प्रसन्न हुआ। इनमें एक से बढ़ कर एक प्रतिमाएँ थीं। कुछ सोने-चाँदी के थे, कुछ पीतल की थीं तो कुछ ताँबे से गढ़े गए थे। इनमें कई ऐसी मूर्तियाँ भी थीं, जो पत्थरों की थीं और उन पर उत्तम नक्काशियाँ की गई थीं।

औरंगज़ेब ने आदेश दिया कि इन प्रतिमाओं को उसके दरबार के जिलाऊखाना में डाल दिया जाए। दीवारों से घिरे आँगन जैसी जगह को जिलाऊखना कहते हैं। इसके बाद औरंगज़ेब ने जो आदेश दिया, वो जानने लायक है। बादशाह ने कहा कि जोधपुर से लूट कर हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे गाड़ दिए जाएँ। और इस तरह से जामा मस्जिद के नीचे हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को दफ़न कर दिया गया। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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