Friday, March 28, 2025
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ST की कुलदेवी को हटाकर बनाया ‘माता मरियम का मंदिर’, अकेले तापी में बन गए 1500 चर्च: दक्षिण गुजरात में ईसाई धर्मांतरण से हिंदू कार्यकर्ताओं ने किया आगाह

देव बिरसा सेना के अरविंद वसावा ने ऑपइंडिया के माध्यम से सरकार से दक्षिण गुजरात में धर्मांतरण रोकने और अवैध निर्माण को हटाने की माँग की है। उन्होंने सरकार से उनकी संस्कृति को बचाने के लिए सहायता चाहते हैं।

गुजरात के जनजाति बहुल क्षेत्रों में तेजी से ईसाई मिशनरियाँ घुसपैठ कर रही हैं। भोले-भाले आदिवासियों का धर्मांतरण करके इस इलाके की जनसांख्यिकी बदलने का काम तेजी से चल रहा है। इन सबके बावजूद सरकार से लेकर मीडिया तक इस मुद्दे पर सुप्त अवस्था में है। हिन्दू कार्यकर्ता लगातार इस समस्या से लड़ रहे हैं, लेकिन वह भी अब हार रहे हैं।

कथावाचक मोरारी बापू के एक ऐलान के बाद ईसाई धर्मांतरण की यह समस्या एक बार फिर चर्चा में आई है। मोरारी बापू ने यहाँ ईसाई धर्मांतरण रोकने के लिए हर नए खुलने वाले स्कूल को ₹1 लाख दान देने का वादा किया है। उन्होंने इस मामले में राज्य सरकार से ध्यान देने की बात कही है।

जमीनी स्थितियाँ, आँकड़े और स्थानीय लोगों के अनुभव बताते हैं कि अगर सरकार ने जल्द इस विषय में कोई एक्शन नहीं लिया तो तो बहुत जल्द इस इलाके में बड़े बदलाव आएँगे। इसकी शुरुआत हो चुकी है और एक्शन के लिए काफी कम समय बचा है।

ऑपइंडिया ने इस मामले में ईसाई धर्मांतरण से प्रभावित वापी जिले के कार्यकर्ताओं से बात की है। यह कार्यकर्ता देव बिरसा सेना के हैं। उन्होंने ऑपइंडिया से बातचीत में इस पूरे गठजोड़ पर प्रकाश डाला। देव बिरसा सेना के नेता अरविंद वसावा का कहना है कि महज कुछ वर्षों में तापी में करीब 1,500 छोटे-बड़े चर्च स्थापित हो गए हैं और उनमें से अधिकांश अवैध हैं।

इसके अलावा, यहाँ ईसाइयों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार कोई भी धर्म परिवर्तन नहीं कर रहा है। इस मुद्दे पर हिंदू संगठनों द्वारा भी बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है। उनकी माँग है कि इस गतिविधि पर तभी नियंत्रण होगा जब धर्म परिवर्तन करने वालों को जनजाति सूची से बाहर कर दिया जाएगा।

प्रलोभन और अंधविश्वास से बना रहे ईसाई

देव बिरसा सेना के कार्यकर्ता अरविंद वसावा का कहना है कि पूरा तापी-सोनघर इलाका जनजातीय इलाका है। उन्होंने आरोप लगाया कि यहाँ अवैध रूप से 1500 चर्च स्थापित किए गए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि विभिन्न राज्यों से आने वाले ईसाई पादरी क्षेत्र में सार्वजनिक बैठकों और प्रार्थना सभाओं से लेकर कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं।

वसावा का सवाल है कि जब यह पूरा इलाका कानूनी तौर पर जनजातीय इलाका है और यहाँ सरकारी रिकॉर्ड में कोई भी ईसाई नहीं बना है तो फिर यहाँ इन कार्यक्रमों को क्यों अनुमति दी जा रही है। वसावा ने आरोप लगाया कि ईसाई मिशनरियाँ विभिन्न प्रलोभन देकर और अंधविश्वास फैलाकर आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित कर रहे हैं।

उन्होंने बताया है कि कोई भी व्यक्ति कानूनी रूप से ईसाई नहीं बन पाया है। उनका कहना है कि संविधान में जनजातियों संस्कृति को संरक्षण दिए जाने के बावजूद इन क्षेत्रों में इतनी बड़ी संख्या में चर्च बनाए गए हैं और विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

सरकारी रिकॉर्ड में नहीं किया जाता बदलाव

वसावा ने आगे बताया, “धर्म परिवर्तन के लगातार सबूत माँगे जाते हैं। लेकिन धर्म परिवर्तन करने वाले लोग कभी भी सार्वजनिक रूप से अपने ईसाई होने का प्रमाण नहीं देते। वे निजी चर्चाओं तक ही धर्म परिवर्तन की बातें सीमित रखते हैं। पूरे दक्षिण गुजरात में जनजातीय समुदाय है, वहाँ ईसाई नहीं हैं, फिर तापी जैसे जिलों के गाँवों में चर्च क्यों बनाए गए?”

वसावा ने कहा, “हम वनवासी हैं, तो हमारे इलाके में ईसाई जनसभा और बड़े कार्यक्रमों की क्या ज़रूरत है? अलग-अलग राज्यों से ईसाई पादरी, प्रचारक और बड़े लोग सिर्फ़ यहीं सभा करने क्यों आते हैं? यहाँ कोई जब कागजी तौर पर ईसाई नहीं हैं तो उनके यहाँ आने की क्या आवश्यकता है। अगर इस इलाके में कोई ईसाई है, तो सरकारी रिकॉर्ड दिखाइए।”

वसावा ने आरोप लगाया कि मिशनरियों द्वारा ईसाइयत में धर्मांतरित लोगों को सरकारी अभिलेखों में केवल जनजातीय हिंदू के रूप में लिखवाया जाता है। वे अन्य सभी जनजातीय संस्कृतियों, परंपराओं और त्योहारों का भी बहिष्कार कर रहे हैं।

वसावा ने बताया कि यह धर्मांतरित लोग अपनी ही संस्कृति के त्योहारों के लिए दान इकट्ठा करते समय भी पैसा नहीं देते। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा,”इस तरह तो अगली दूसरी या तीसरी पीढ़ी में हम और हमारी संस्कृति दोनों ही खत्म हो जाएगे, हमारा अस्तित्व ही मिट जाएगा।”

भाजपा विधायक पर भी आरोप

आदिवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले संगठन ने स्थानीय भाजपा विधायक मोहन कोंकणी पर भी कई आरोप जड़े हैं। उन्होंने दावा किया कि कोंकणी एक ऐसे कार्यक्रम में मौजूद थे जहाँ ईसाई धर्मांतरण की बात हो रही थी। उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ है।

वीडियो में कोंकणी को ईसाई संप्रदाय के एक सार्वजनिक समारोह में मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में भाषण देते हुए देखा गया। इस वीडियो में वहाँ मौजूद लोगों से कह रहे थे कि वे ईसाई कार्यक्रम में अन्य लोगों को भी लेकर आएँ। देव बिरसा सेना ने कहा है कि विधायक ने जनसभा में खुलेआम मिशनरियों को प्रोत्साहित किया और उनसे अन्य लोगों को भी वहाँ लाने को कहा।

इस घटना के बारे में वसावा ने कहा, “कोंकणी विधायक खुद लोगों का धर्म परिवर्तन नहीं करते, बल्कि वे उन्हें प्रोत्साहित करते हैं और माहौल बनाते हैं। उनके गाँव के बगल में हरिपुरा नाम का एक गाँव है, यहाँ पहाड़ी पर चर्च बनाया गया है और सड़कें और लाइटें भी लगाई गई हैं। यह सब किसके लिए हो रहा है?”

वसावा ने आगे कहा, “विधायक मोहन कोंकणी का वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे ईसाइयों वाली भाषा बोल रहे हैं। वे एक कट्टर ईसाई हैं और उन्हें देखकर कई जनजातीय लोग भी उनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। कोंकणी के वीडियो में जीसस प्रभु और मदर मैरी जैसे शब्दों का भी उल्लेख किया गया है।”

ईसाइयों ने हटाई कुलदेवी, पहाड़ी पर किया कब्जा

अरविंद वसावा ने सोनगढ़ तालुका के नियाना बंदरपाड़ा गाँव में एक पहाड़ी पर स्थित एक हिंदू मंदिर के विषय में भी बताया है। उन्होंने कहा कि गिद्धमाड़ी आया डूंगर जनजाति की कुलदेवी माता का निवास स्थान है और हिंदू वहाँ पूजा-अर्चना करते हैं।

उन्होंने आगे बताया कि समय के साथ क्षेत्र में तेजी से बढ़ती ईसाई आबादी के कारण इस पहाड़ी पर आवागमन धीरे-धीरे कम हो गया और फिर ईसाई मिशनरियों ने वहाँ अपना स्थान स्थापित कर लिया जिसे ‘माता मरियम का मंदिर’ कहा जाता है।

अरविंद वसावा ने बताया है कि आज आदिवासियों को उस पहाड़ी में जाने तक नहीं दिया जाता है। जनजातीय लोग अपनी कुलदेवी की पूजा या आराधना भी नहीं कर सकते। वसावा ने बताया है कि ईसाइयों ने वहाँ पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया है। उनका दावा है कि जब त्योहारों में जनजातीय लोग पूजा करने के लिए मंदिर जाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें भी भगा दिया जाता है।

कार्यकर्ताओं की सरकार से क्या अपेक्षा?

देव बिरसा सेना के अरविंद वसावा ने ऑपइंडिया के माध्यम से सरकार से दक्षिण गुजरात में धर्मांतरण रोकने और अवैध निर्माण को हटाने की माँग की है। उन्होंने सरकार से उनकी संस्कृति को बचाने के लिए सहायता चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “हमारी जनजातीय संस्कृति, परंपरा, भाषा और अस्तित्व को बचाए रखने के लिए कृपया हमारा सहयोग करें और किसी भी कीमत पर ऐसी अवैध गतिविधियों को रोकें। आज कई गाँव ऐसे हैं जहां सिर्फ 10 जनजातीय लोग बचे हैं। बाकी सभी ने अपने पूर्वजों की परंपराओं और कुलदेवी-देवताओं को त्याग दिया है।”

उन्होंने कहा, “यहाँ के लोगों ने जनजातीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए विदेशी ताकतों से भी हाथ मिला लिया है। सरकार से हमारी बस यही माँग है कि हमारी संस्कृति, रीति-रिवाज और हमारे पूर्वजों की विरासत बची रहे और हमारा अस्तित्व बचा रहे। हम सरकार से साफ अपील करते हैं कि वह हमारे पक्ष में आए, हमारी मदद करे…हमें और कुछ नहीं चाहिए।”

वायरल वीडियो में विधायक कोंकणी ने क्या कहा?

भाजपा विधायक मोहन कोंकणी ईसाई समुदाय द्वारा आयोजित एक सभा में वनवासी समुदाय को संबोधित करने गए थे। वनवासी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि वायरल वीडियो में मोहन कोंकणी द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा किसी ईसाई पादरी जैसी लगती है।

अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कहा, “प्रभु यीशु मसीह के नाम पर, मैं सभी को अपना प्रेमपूर्ण अभिवादन करता हूँ और मुझे बोलने का अवसर देने के लिए परमेश्वर पिता को धन्यवाद देता हूँ।” उन्होंने अपने संबोधन में ‘यूहन्ना’ शब्द का उपयोग किया।

उन्होंने कहा, “यूहन्ना (जो यीशु मसीह के जन्म से पहले आए थे, या यीशु के कार्य के लिए भेजा गया था) ने पहले अध्याय में लिखा है, “जितने लोगों ने उसे ग्रहण किया और उसका अनुसरण किया, उन्हें उसने परमेश्वर (यीशु मसीह) की संतान बनने का अधिकार दिया।”

वायरल वीडियो में कोंकणी ने वह न्यू टेस्टामेंट (ईसाई बाइबिल) को लेकर कहते हैं कि इसमें लिखा है, “तुम सब के सब मेरी शरण में आओ… ईश्वर यहाँ चमत्कारी कार्य करने आए हैं और उन्होंने आप लोगों को स्वीकार कर लिया है।” कोंकणी ने इस कार्यक्रम में और लोगों को लेकर आने को कहा।

विधायक कोंकणी ने क्या कहा?

ऑपइंडिया ने इस मामले को लेकर विधायक मोहन कोंकणी से भी बात की। उन्होंने कहा कि वह धर्मांतरण को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं और अगर ऐसा कर रहे हैं तो इस पर सबूत पेश कर कार्रवाई की जानी चाहिए। उनसे जब वायरल वीडियो के विषय में पूछा गया तो भी उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्हें ऐसे कार्यक्रमों में जाना चाहिए और वहाँ अच्छा बोलना चाहिए। उनसे यह भी पूछा गया कि यदि तापी क्षेत्र में कानूनी रूप से कोई ईसाई नहीं है, तो फिर देश के सबसे बड़े पादरी और ईसाई प्रचारक वहाँ बैठकें करने क्यों आते हैं?

कोंकणी ने कहा कि देश में हर कोई स्वतंत्र है, इसलिए वे कहीं भी बैठक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने इसकी अनुमति दी होती तो इस बारे में पुलिस से पूछना ज्यादा उचित होता। उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस विवाद के संबंध में उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया है।

उनसे स्थानीय लोगों के इस आरोप के बारे में भी पूछा गया कि वह ईसाई धर्मांतरण को बढ़ावा दे रहे हैं। जवाब में उन्होंने कहा कि भले ही यह अंदरूनी तौर पर हो रहा हो, लेकिन सबूत मुहैया कराए जाने चाहिए और कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा, जब हमने देव बिरसा सेना का जिक्र किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी किसी सेना के बारे में जानकारी नहीं है।

पूरी चर्चा के दौरान विधायक ने केवल साक्ष्यों की बात की तथा अपनी संलिप्तता से स्पष्ट इनकार करने के बजाय, साक्ष्य जुटाने तथा कार्रवाई करने की बात कही।

दक्षिण गुजरात में भयावह स्थिति

दक्षिण गुजरात और विशेषकर तापी-डांग में गुप्त ईसाई धर्मांतरण कार्यक्रम और अभियान लंबे समय से चल रहे हैं। लेकिन मोरारी बापू के मंच से दिए गए बयान के बाद इस पर अब चर्चा चालो हो गई है। मोरारी बापू ने कहा कि इस क्षेत्र के अधिकांश शिक्षक ईसाई हैं और वे जनजातीय बच्चों को ईसाई बना रहे हैं।

इस बयान के बाद विधायक मोहन कोंकणी ने बापू के बयान का खंडन किया और कुछ दिनों बाद वे ईसाई समुदाय के एक विशाल कार्यक्रम में पहुंचे। इसके बाद से उनका वीडियो वायरल हो रहा है और धर्मांतरण के मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है।

लेकिन, हकीकत यह है कि इन घटनाओं से पहले भी तापी-डांग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मांतरण हो रहा था। दिसंबर 2022 में तापी के सोनगढ़ में नाना बंदरपाड़ा के जराली गाँव में एक हिंदू मंदिर को हटाया गया था, इससे विवाद पैदा हो गया था।

पुलिस के दखल के बाद हिंदुओं को पूजा का अधिकार दे दिया गया, लेकिन वे अभी भी वहाँ नहीं जा पा रहे हैं। स्थानीय हिंदुओं का आरोप है कि उन्हें ईसाइयों द्वारा धमकाया जा रहा है और पूजा करने से रोका जा रहा है। वर्ष 2022 में तापी से एक परिवार के 5 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।

उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने हिंदू आदिवासियों को धोखा देकर उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया था। इसके अलावा, जुलाई 2023 में तापी के सोनगढ़ स्थित सरकारी स्कूल में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बाइबल पाठ का आयोजन किया गया था। इसको लेकर भी प्रदर्शन हुए थे।

न केवल तापी या डांग में, बल्कि दक्षिण गुजरात के नवसारी में भी हाल ही में दो ईसाई शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया था। वे सार्वजनिक रूप से हिंदू धर्म का अपमान कर रहे थे और ईसाई धर्म का प्रसार करने के लिए लोगों को गुमराह कर रहे थे। उसका वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने भी कार्रवाई की।

नवसारी में एक सामाजिक संगठन से जुड़े कार्यकर्ता रवि नायक ने ऑपइंडिया को बताया कि नवसारी के ग्रामीण इलाकों में भी बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन अभियान चल रहा है। ये तो कुछ मामले हैं जो प्रकाश में आए हैं। अनगिनत मामले तो ऐसे हैं जिन्हें कोई कवरेज नहीं मिला।

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