Thursday, September 21, 2023
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‘हम (मुस्लिम) 75%, नियम हो हमारे’: क्या भारत में ही है गढ़वा? रिपोर्ट में दावा- स्कूल की प्रार्थना बदलवाई, बच्चों को हाथ जोड़ने से रोका

स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि लंबे समय से मुस्लिम समुदाय के लोग 75 फीसदी आबादी का हवाला देकर स्कूलों के नियमों में बदलाव का दबाव बना रहे थे। कुछ समय पहले इन लोगों ने मिलकर स्कूल में प्रार्थना का ढंग बदलवा दिया।

झारखंड के गढ़वा में बने एक स्कूल में मुस्लिम समुदाय द्वारा स्कूल प्रिंसिपल पर इस्लामी नियम लागू करवाने के लिए दबाव बनाने का मामला सामने आया है। घटना गढ़वा के मध्य विद्यालय की है। वहाँ स्कूल प्रिंसिपल युगेश राम के ऊपर क्षेत्र की बहुल आबादी ने स्कूल प्रार्थना बदलने का दबाव बनाया है।

दैनिक जागरण में 5 जुलाई को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम समुदाय ने प्रिंसिपल को कहा कि क्षेत्र में उनकी आबादी 75% है। इसलिए नियम भी उन्हीं के हिसाब से होंगे। समुदाय के दबाव के चलते स्कूल की प्रार्थना बदल गई है। पहले यहाँ ‘दया का दान विद्या का…’ प्रार्थना करवाई जाती थी। हालाँकि अब ‘तू ही राम है तू ही रहीम’ प्रार्थना स्कूल में होने लगी है। इसके साथ स्कूल में बच्चों को हाथ जोड़ कर प्रार्थना करने से भी मना कर दिया गया है।

प्रिंसिपल ने कहा है कि लंबे समय से मुस्लिम समुदाय के लोग 75 फीसदी आबादी का हवाला देकर स्कूलों के नियमों में बदलाव का दबाव बना रहे थे। कुछ समय पहले इन लोगों ने मिलकर स्कूल में प्रार्थना का ढंग बदलवा दिया। उन्होंने इसकी जानकारी कोरवाडीह पंचायत के मुखिया और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जिला शिक्षा पदाधिकारी कुमार मयंक भूषण ने घटना पर संज्ञान लेते हुए बताया कि विद्यालय में प्रार्थना सभा को अपने हिसाब से कराने को लेकर विद्यालय के शिक्षकों को मजबूर किए जाने की सूचना उनके पास आ गई है। वह इसकी जाँच करवा रहे हैं। सरकार आदेश की नाफरमानी करने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएग।

बता दें कि प्रशासन तक बात पहुँचने के बाद गाँव के मुखिया शरीफ अंसारी ने कहा कि उन्हें इस मामले में हाल में (सोमवार को) पता चला है। अब वह विद्यालय प्रबंधन समिति एवं ग्रामीणों की बैठक कर समाधान करना चाहते हैं।

हालाँकि रिपोर्ट बताती है कि जब गढ़वा के मुस्लिम युवक स्कूल में आकर हंगामा करते थे तो इस बारे में मुखिया शरीफ अंसारी को जानकारी दी गई थी। उन्होंने आकर ग्रामीणों को समझाया भी था लेकिन जब किसी ने नहीं सुनी तो प्रिंसिपल को ही सलाह दी गई कि स्कूल प्रिंसिपल ग्रामीणों के मुताबिक ही स्कूल का संचालन करें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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