Tuesday, June 17, 2025
Homeदेश-समाज'यौन शोषण पीड़िता के कपड़े उत्तेजक थे': विवादित टिप्पणी करने वाले जज का नहीं...

‘यौन शोषण पीड़िता के कपड़े उत्तेजक थे’: विवादित टिप्पणी करने वाले जज का नहीं होगा ट्रांसफर, केरल HC ने आदेश पर लगाई रोक

अपने ट्रांसफर पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कृष्ण कुमार ने कहा था कि इस प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न्यायिक अधिकारियों के मनोबल को प्रभावित करेगी। साथ ही, उनके सामने आए मामलों पर स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्णय लेने से भी रोकेगी।

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार (16 सितंबर 2022) को कोझीकोड के जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस कृष्णकुमार का ट्रांसफर कोल्लम लेबर कोर्ट में करने के आदेश पर रोक लगा दी। यौन शोषण के दो मामलों में आरोपित को जमानत देते हुए विवादित टिप्पणी करने के बाद एस कृष्ण कुमार का ट्रांसफर किया गया था। कृष्ण कुमार ने अपने फैसले में कहा था कि पीड़िता ने यौन उत्तेजक कपड़े पहने थे इसलिए प्रथम दृष्टया यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता।

इसी विवादित टिप्पणी के मामले में सुनवाई के दौरान, अपने ट्रांसफर पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कृष्ण कुमार ने कहा था कि इस प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न्यायिक अधिकारियों के मनोबल को प्रभावित करेगी। साथ ही, उनके सामने आए मामलों पर स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्णय लेने से भी रोकेगी।

बता दें, हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष पेश की गई अपनी याचिका में एस कृष्णकुमार ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी थी। इस याचिका में उन्होंने कहा था, उनका स्थानांतरण आदेश अवैध, मनमाना और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। एस कृष्ण कुमार ने यह भी तर्क दिया था कि अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए एक न्यायाधीश द्वारा दिया गया एक गलत आदेश, ट्रांसफर करने का आधार कभी नहीं हो सकता।

इससे पहले एकल पीठ ने एस कृष्ण कुमार की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी, “जिला न्यायपालिका का एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते, याचिकाकर्ता से अपेक्षा की जाती है कि वह जहाँ भी तैनात हो, अपनी सेवाएँ प्रदान करें। मैं यह देखने में विफल हूँ कि याचिकाकर्ता का कानूनी अधिकार क्या है। मेरी राय है कि याचिका में बताए गए आधार किसी भी राहत के अनुदान को उचित नहीं ठहराते हैं।”

जज की विवादित टिप्पणी

गौरतलब है, यौन शोषण के दो मामलों के आरोपित सिविक चन्द्रन को जमानत देते हुए एस कृष्णकुमार ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि महिला अनुसूचित जाति की है इसलिए कौन उसे छुएगा। उन्होंने कहा था, आरोपित समाज सुधारक है और जातिप्रथा का विरोधी है इसलिए यह मानना सही नहीं है कि उसने अनुसूचित जाति की पीड़िता का यौन शोषण किया होगा। जातीय व्यवस्था को देखते हुए यह अविश्वसनीय है कि वह अनुसूचित जाति की महिला को छू भी सकता है।

इसके अलावा, जज एस कृष्ण कुमार ने पीड़िता के कपड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि महिला ने खुद ऐसे कपड़े पहने थे जो यौन उत्तेजक थे। जिला कोर्ट ने जमानत आदेश में कहा था कि जमानत याचिका के साथ पेश की गई तस्वीरों से पता चलता है कि शिकायतकर्ता खुद ऐसे कपड़े पहने हुए थी, जो उत्तेजक थे। इसलिए आरोपित के खिलाफ धारा-354 A का केस नहीं बनता।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

डियर खान सर, 4 बजे तक 1.5 GB डाटा फूँक देने वाली पीढ़ी ने ही आपको बनाया है… सवाल पूछने के उसके साहस पर...

स्मिता प्रकाश के साथ पॉडकास्ट में छात्रों के 'खान सर' ने उसी पीढ़ी को खारिज करने की कोशिश की है, जिसने डाटा फूँक कर फैसल खान को 'खान सर' बनाया है।

ममता सरकार की नई OBC आरक्षण लिस्ट पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, 76 जातियाँ की थी शामिल: भाजपा ने बताया- इनमें 67 मुस्लिमों...

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में OBC आरक्षण की नई सूची जारी करने पर रोक लगा दी है। यह सूची राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने बनाई है।
- विज्ञापन -