Saturday, May 4, 2024
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तिलक लगाने-कलावा बाँधने से छात्रों को नहीं रोक सकते, हिंदू छात्राओं को हिजाब के लिए मजबूर नहीं कर सकते: दमोह स्कूल केस में हाई कोर्ट

दमोह का यह स्कूल टॉपर छात्राओं का हिजाब में पोस्टर जारी करने के बाद विवादों में आया था। इसके बाद जब स्कूल की जाँच कराई तो कई तरह की अनियमितताएँ सामने आई। पता चला कि इस स्कूल के ड्रेस कोड में हिजाब शामिल है। वहीं तिलक-कलावा पर पाबंदी थी।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि हिंदू छात्रों को तिलक लगाने या कलावा बाँधने से स्कूल में नहीं रोका जा सकता। इसी तरह हिंदू या जैन छात्राओं को हिजाब जैसे इस्लामी पोशाक पहनने को मजबूर नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी 30 अगस्त 2023 को दमोह के गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान की।

इस सुनवाई के दौरान जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की एकल बेंच ने स्कूल के प्रबंधकों को 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत भी दी। 31 मई 2023 को इस के 11 सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और किशोर न्याय अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की सिंगल बेंच ने स्कूल कमेटी के सदस्यों आसफा शेख, अनस अतहर और रुस्तम अली को जमानत देते हुए कहा, “स्कूल में छात्रों को अपने धर्म से जुड़ी चीजें जैसे कलावा पहनने और माथे पर तिलक लगाने से नहीं रोकना चाहिए। अन्य धर्म के छात्रों को ऐसी किसी भी सामग्री या भाषा को पढ़ने या अध्ययन करने के लिए मजबूर नहीं किया जाए जो मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित या अनुमोदित नहीं है।”

अपने निर्देशों में जस्टिस पालीवाल ने कहा, “स्कूल प्रशासन अन्य धर्म यानी हिंदू और जैन आदि की छात्राओं को स्कूल परिसर या क्लास रूम में कहीं भी सिर पर स्कार्फ (हिजाब) पहनने के लिए मजबूर नहीं करेगा। यह निर्देशित किया जाता है कि वे जमानत में जिक्र की गई सभी शर्तों का भी पालन करेंगे।”

क्या है मामला?

दमोह का यह स्कूल टॉपर छात्राओं का हिजाब में पोस्टर जारी करने के बाद विवादों में आया था। इसके बाद जब स्कूल की जाँच कराई तो कई तरह की अनियमितताएँ सामने आई। पता चला कि इस स्कूल के ड्रेस कोड में हिजाब शामिल है। वहीं तिलक-कलावा पर पाबंदी थी। छात्र-छात्राओं के लिए उर्दू पढ़ना अनिवार्य था। प्रेयर में दुआ होती थी। स्कूल में आने का एक रास्ता पास की मस्जिद से भी था। यह बात भी सामने आई थी कि स्कूल की कई शिक्षिकाओं का इस्लामी धर्मांतरण हुआ था। इन तथ्यों के सामने आने के बाद मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने स्कूल की मान्यता रद्द कर दी थी।

उल्लेखनीय है कि जब गैर मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनाने का मामला सामने आया था तो स्कूल प्रबंधन ने सफाई देते हुए इसे ‘स्कार्फ’ बताया था। साथ ही कहा था कि इसे पहनना जरूरी नहीं है। बाद में प्रबंधन ने इसके लिए खेद भी जताया था। लेकिन मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के निर्देश पर जब मामले की जाँच आगे बढ़ी तो इस स्कूल की पोल-पट्टी खुलती गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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