Wednesday, October 16, 2024
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‘अन्य धर्मों पर अपमानजनक टिप्पणी का अर्थ है घृणा के बीज बोना’: जहर उगलने वाले ईसाई उपदेशक को माफी के बाद राहत

लाजारूस ने हिन्दू धर्म और मूर्तिपूजन के खिलाफ विवादित बयान दिया था। वह सुनामी को मूर्तिपूजकों के खिलाफ ईश्वर का गुस्सा मानता है। भारत में गरीबी के लिए भी मूर्तिपूजा को ही जिम्मेदार ठहराता रहा है।

मद्रास हाई कोर्ट ने ईसाई उपदेशक मोहन सी लाजारूस को कड़ी फटकार लगाते हुए उसके खिलाफ दर्ज FIR रद्द कर दी है। जस्टिस आनंद वेंकटेश की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी अन्य धर्म के बारे में अपमानजनक बयान देने का अर्थ है घृणा के बीज बोना। अदालत ने कहा कि एक बहुलतावादी समाज में दूसरे पंथों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान होना चाहिए।

लाजरूस ‘जीसस रेडीमस मिनिस्ट्री’ नामक संस्था का संस्थापक है। उसने अपने बयान के लिए माफी माँगी, जिसके बाद उसके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द किया गया। इस दौरान उसे कोर्ट ने उससे कहा कि अपने मजहब के लिए उपदेश देने का अधिकार है, लेकिन कुछ सीमाएँ भी हैं, ताकि दूसरों का अपमान न हो। कोर्ट ने ईसाई उपदेशक के बयान की भी निंदा की। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा:

“किसी धर्म/पंथ के खिलाफ ज़हर उगलना, या फिर किसी एक संप्रदाय के लोगों के मन में दूसरे संप्रदाय के प्रति घृणा फैलाना- ये सब धर्म के उद्देश्य का ही उल्लंघन करते हैं। धर्म को एक ऐसा माध्यम बनाया गया है, जिसके अंतर्गत मनुष्य सत्य के उच्च-स्तर की तरफ बढ़ सके, विकसित हो सके। याचिकाकर्ता दुनिया भर में अपने अनुयायी होने का दावा करता है। ऐसे लाखों लोग हैं, जो उसका अनुसरण करते हुए उसकी बातों को आँख बंद कर के मानते होंगे।”

अदालत ने कहा कि अगर वो कोई ऐसा बयान देता है कि जिसमें किसी दूसरे संप्रदाय के प्रति अपमान का इरादा हो, तो इससे समाज में घृणा फैलेगी। अदालत ने ये भी याद दिलाया कि हर धर्म के प्रभावशाली लोगों के पास क्षमता होती है कि वो व्यक्ति के आंतरिक विकास को प्रभावित कर सकें। कोर्ट ने कहा कि आध्यात्मिकता ये दिखाने की प्रतिस्पर्धा नहीं है कि हमारा धर्म तुम्हारे से श्रेष्ठ है।

इस दौरान जस्टिस आनंद वेंकटेश ने जीसस क्राइस्ट के शब्दों को भी याद दिलाया, जिसमें उन्होंने किसी अन्य संप्रदाय का अपमान न करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि लोग कुछ मजहबी विचारों के प्रति अंधविश्वास पाल लेते हैं और दूसरों को नीचा दिखाते हैं। उन्होंने भारत में धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित करते हुए सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि समाज में कट्टरवादियों और गलतफहमियों का प्रभाव बढ़ रहा है।

मोहन सी लाजारूस ने हिन्दू धर्म और मूर्तिपूजन के खिलाफ विवादित बयान दिया था। ये मामला 2016 में दिए गए उसके बयान से जुड़ा हुआ था। लाजारूस सुनामी को मूर्तिपूजकों के खिलाफ ईश्वर का गुस्सा मानता है। वह भारत में गरीबी के लिए भी मूर्तिपूजा को ही जिम्मेदार ठहराता रहा है। एक हिन्दू परिवार में जन्म लेने वाले मोहन सी लाजारूस का दावा है कि दिल की बीमारी ठीक होने के बाद वो ईसाई बना।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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