नैनीताल में बना होटल मेट्रोपोल अब पार्किंग के लिए इस्तेमाल होगा। शत्रु सम्पत्ति घोषित किया गया मेट्रोपोल होटल केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी की सरकार को सौंप दिया है। यह होटल महमूदाबाद के उस राजा का था, जो पाकिस्तान चला गया था। उसी राजा के वंशज अली खाना महमूदाबाद को लेकर वर्तमान में विवाद छिड़ा हुआ है।
इस होटल की जमीन को अब अब नैनीताल की पार्किंग समस्या के निदान के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को इस होटल को स्थानांतरित किए जाने की जानकारी पत्र लिख कर दी है।
नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना ने बताया है कि मेट्रोपोल होटल में सरफेस पार्किंग की अस्थाई अनुमति गृह मंत्रालय से मिली है। उन्होंने बताया शासन की हरी झंडी मिलने के बाद पार्किंग निर्माण शुरू हो जाएगा। मेट्रोपोल होटल करीब 9 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। इसका निर्माण 1880 में गौथिक शैली में हुआ था।
इसमें 75 कमरे, 16 काटेज, 24 सर्वेंट क्वाटर और 5 टेनिस लॉन हैं। 1947 के बाद भी ये महमूदाबाद रियासत के नवाब के पास इसका मालिकाना हक था। देश के बंटवारे के बाद ये लोग पाकिस्तान चले गए। महमूदाबाद परिवार के लोगों ने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली थी।
1963 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू होने के बाद इसे शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया, तब से यह गृह मंत्रालय के अधीन है।
जिन्ना ने मनाया था हनीमून
इतिहासकार प्रो अजय रावत के मुताबिक 1919 में मोहम्मद अली जिन्ना अपनी बीवी रतीबाई के साथ हनीमून मनाने मेट्रोपोल होटल आया था। जिन्ना और उसकी बीवी ने नैनी झील में बोटिंग भी की थी। जिन्ना की बायोग्राफी में भी लेखक स्ट्रेनले वाल्पार्ट ने उसके नैनीताल प्रवास का जिक्र किया है।
महमूदाबाद के राजा ने उसकी मेहमानवाजी की थी। राजा महमूदाबाद का मेट्रोपोल होटल उस वक्त काफी मशहूर था जहाँ देश-विदेश से लोग आते थे।
कौन है राजा महमूदाबाद?
भारत में रहने वाले अली खान महमूदाबाद के दादा मोहम्मद आमिर अहमद खान महमूदाबाद का अंतिम राजा था। उसका पाकिस्तान बनाने में बड़ा रोल था। मुस्लिम लीग को चलाने के ली पैसा वही दिया करता था। साल 1947 में भारत के बंटवारे के समय राजा महमूदाबाद इराक में रह रहा थे।
1957 में उसने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली और अपनी सारी संपत्ति पाकिस्तान को दान में दे दी। इस वजह से भारत में उनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति के तौर पर सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। 1966 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर महमूदाबाद का किला उसके परिवार को वापस मिला। 1973 में राजा महमूदाबाद की लंदन में मौत हो गई।
राजा महमूदाबाद का बेटा मुहम्मद अमीर मुहम्मद खान (अली खान का अब्बू) बँटवारे के बाद पाकिस्तान नहीं गया। वह उत्तर प्रदेश में रहा और अपनी संपत्तियों पर कब्जा बनाए रहा। 1981 में इंदिरा गाँधी सरकार ने उसकी 25% संपत्ति लौटाने की पेशकश की, लेकिन वह नहीं माना।
उसने लखनऊ सिविल कोर्ट में केस लड़ा और 2001 में जीत गया। हालाँकि 2002 में सरकार ने अपील की और यह मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है। सुलेमान 1985 और 1989 में कॉन्ग्रेस के टिकट पर महमूदाबाद से विधायक बन चुका है।
राजा महमूदाबाद के पोते प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की थीं। इसके बाद उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। उसे गिरफ्तार किया गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे अंतरिम जमानत दे दी थी।