राजकोट में मुस्लिम भीड़ ने हिन्दुओं की दुकानों हमला कर दिया। यह हमला दुकान खाली करवाने के नाम पर किया गया। मुस्लिम भीड़ ने दावा किया कि हिन्दुओं की दुकान वक्फ की सम्पत्ति हैं। उन्होंने दुकानों में तोड़फोड़ की और सामान बाहर फेंक दिया। यह हमला रात को किया गया ताकि हिन्दू दुकानदारों को पता ना लगे। इस मामले में पुलिस ने 25 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जाँच चालू कर दी है। हिन्दू दुकानदारों ने स्पष्ट किया है कि दुकानें PWD की हैं ना कि वक्फ की।
यह घटना 31 दिसंबर, 2024 की रात को घटी। इस मामले में पीड़ित वीरेंद्रभाई कोटेचा ने फारूक मुसानी समेत बाकी लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है। इस FIR की कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। FIR के अनुसार, फारूक मुसानी और अन्य ने वक्फ बोर्ड के आदेश का हवाला देते हुए राजकोट के पुराने दानपीठ इलाके में दुकानों में तोड़फोड़ की।
5 booked for allegedly threatening man to vacate shop as Waqf board property#Rajkot #Gujarat #TV9Gujarati #TV9News pic.twitter.com/3Z0HS3EVAt
— Tv9 Gujarati (@tv9gujarati) January 1, 2025
उन्होंने दो दुकानों के ताले तोड़ दिए और हिंदू दुकानदारों का सामान सड़कों पर फेंक दिया। गौरतलब है कि ये दुकानें हिंदू व्यापारियों द्वारा दशकों पहले पट्टे पर ली गई थीं और इस घटना के बाद यहाँ के दुकानदार काफी आक्रोशित हैं। FIR दर्ज करवाने वाला शख्स वर्षों से एक दुकान से मंडप सर्विस का काम करता था।
कोटेचा ने FIR में बताया कि ने शुरू में दुकानों की देखभाल नवाब मस्जिद ट्रस्ट द्वारा की जाती रही, लेकिन ये दशकों से पट्टे पर चल रही हैं। बाद में यह सामने आया कि जिस जमीन पर दुकानें बनी थीं, वह असल में PWD विभाग की थी। इसी मस्जिद और वक्फ बोर्ड के आदेश का हवाला देते हुए उनकी दुकानों पर हमला किया गया।
यह हमला फारूक मुसानी के नेतृत्व में हुआ। फारूक मुसानी ने दावा किया कि उसके पास वक्फ बोर्ड का आदेश है जिसमें दुकानों को खाली करवा कर नवाब मस्जिद को देने की बात कही गई है। फारूक ने 19 दिसम्बर, 2024 का एक कथित आदेश भी दिखाया।
ऑपइंडिया ने वीरेंद्रभाई कोटेचा से इस मामले में बात की है। उन्होंने बताया है कि फारूक मुसानी सहित लगभग 20 से 25 लोगों की एक भीड़ ने एकाएक उनकी दुकान पर धावा बोल दिया। उन्होंने कहा, “उन्होंने जबरन ताले तोड़ दिए और सामान सड़क पर फेंकना शुरू कर दिया। अभी भी मेरी दुकान का सामान सड़क पर पड़ा है।”
कोटेचा ने आगे बताया, “वक्फ बोर्ड का आदेश दिखाए जाने के बाद, हमने अहमदाबाद में अपने वकील से सलाह ली थी। वक्फ बोर्ड के नियमों के अनुसार, किसी भी संपत्ति पर कब्जे के लिए तीन महीने पहले सूचना दी जाती है। हालाँकि, हमें एक भी नोटिस नहीं मिला। आदेश 19 दिसंबर को दिया गया और ताले सीधे 31 दिसंबर को तोड़े गए, जो नियमों के खिलाफ है।”
इस मामले पर बात करते हुए डीसीपी जगदीश बांगरवा ने कहा, “फारूक मुसानी सहित 5 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। एक पत्र भी मिला है जिसमें दावा है कि वक्फ बोर्ड के आदेश के बाद दुकानें खाली कर दी गई हैं। इस पत्र का सत्यापन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया, “वक्फ बोर्ड के निर्देशों में कहा गया है कि सही प्रक्रिया का पालन करते हुए कब्जा लिया जाना चाहिए। इसके अंतर्गत नोटिस जारी करना और पुलिस की मौजूदगी में बेदखली करना है। चूंकि इन नियमों का पालन नहीं किया गया, इसलिए कार्रवाई शुरू की गई है।”
पुलिस ने दुकानों का कब्जा हिंदू व्यापारियों को वापस लौटा दिया है। यह भी सामने आया है कि जिन दुकानों को वक्फ संपत्ति बताया जा रहा था, वे असल में अतिक्रमण की शिकार थीं और PWD विभाग की थीं।