‘नशा मुक्ति अभियान’ लंबे समय से देश के कोने-कोने में चल रहा है लेकिन इसका असर हर जगह एक जैसा नहीं है। पंजाब में AAP सरकार जोर-शोर से दावा करती कि वो राज्य से नशे का खात्मा कर देंगे। वहीं दूसरी ओर एक लड़की की आपबीती सामने आती है जो बताती है कि राज्य में नशे के कारण कैसे लड़कियों की जिंदगी बर्बाद हो रही है और उन्हें नशा दे-देकर वेश्यावृत्ति में धेकला जा रहा है।
प्रशासन के लिए अगर उस लड़की की आपबीती एक धक्का है तो सवाल उठता है कि क्या ‘नशा मुक्ति अभियान’ जमीन तक पहुँचा भी है और अगर अधिकारी ऐसी स्थितियों से वाकिफ हैं तो फिर अब तक राज्य में ऐसे हालात क्यों हैं।
लड़की की आपबीती मीडिया में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट बताती हैं कि जिस समय नशा विरोधी कमेटी की टीम मार्च निकाल रही थी तभी उन्हें कोट ईसे खाँ के मसीता रोड पर लड़की सड़क किनारे खाना खाते हुए मिली। लड़की से सवाल-जवाब हुए तो उसने सरेआम जो कहना शुरू किया उससे सभी लोग हिल गए। लड़की ने कहा,
“मुझे बस नशे के लिए छह कैप्सूल चाहिए और उसके बाद कोई मेरे साथ कोई कुछ भी करे, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। एक महिला ने पहले मुझे नशे की लत लगाई और मुझे अब जिस्मफिरोशी में धकेल दिया है। मेरे जैसी कई युवतियों को हवस के भूखे भेड़ियों के समक्ष परोसती है और बदले में 300 रुपए लेती है। आधा हिस्सा 150 रुपए मुझे मिलते हैं। पहले 600-700 रुपए की कमाई होती थी पर अब जो पैसा मिलता है, उससे केवल नशे की पूर्ति हो पाती है।”
लड़की ने इस दौरान ये भी जानकारी दी कि वेश्यावृत्ति का काम अनाज मंडी में होता है। वहाँ लगे कुछ तंबू में जिस्म का सौदा करवाया जाता है लेकिन उससे पहले उन्हें नशे का आदी बनाते हैं। वो खुद जब कैप्सूल नहीं मिलती तो अस्पताल से मिलने वाली ‘बुपरीमार्फिन’ गोली पानी में मिलाकर इंजेक्शन लगा लेती है। युवती के मुताबिक ये इंजेक्शन लगाना भी उसे उसी औरत ने ही सिखाया है जिसने उसे वेश्यावृत्ति में धकेला। वहीं गोली उसे सरकारी अस्पताल के पास वाले मेडिकल स्टोर से मिल जाती है।
बच्ची की आपबीती आने के बाद पुलिस ने इस मामले को दर्ज तो कर लिया है लेकिन इसके बाद पूरे प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि जब राज्य में नशे की कैप्सूल सब बंद हैं तो इनके पास वो कैसे पहुँच रही है।
नशे से हो रही पंजाब में जिंदगियाँ बर्बाद
ये पहली बार नहीं है जब पंजाब में नशे की लत के कारण किसी की जिंदगी बर्बाद हुई हो। 1 साल पहले एक डांसर की खबर आई थी जिसकी पूरी जिंदगी नशे की लत के कारण खराब हो गई थी।
खुद उसके भाई-बहनों ने उसे पहचानने से मना कर दिया था। इसके अलावा उसका पति भी छो़डकर चला गया था। बाद में उसे घर चलाने के लिए सेक्स वर्कर बनना पड़ा। मगर जब उम्र ढली तो उसे वो काम मिलना भी बंद हो गया।
ऐसे ही एक अन्य खबर बताती है कि कैसे अमृतसर के गाँव में नशे की आदत के कारण 100 से ज्यादा महिलाओं का सुहाग उजड़ गया। रिपोर्ट के अनुसार सभी के पतियों की पिछले तीन से छह साल में नशे के कारण मौत हुई थी।
महिलाओं ने शिकायत में पुलिस पर आरोप लगाया था कि पुलिस इन नशा तस्करों को नहीं पकड़ती। नशे से हमारा भविष्य बर्बाद हो रहा है। कई लोग तो इस क्षेत्र से जा चुके हैं। हाल ऐसे हैं कि अब तो लोग यहाँ मकान खरीदने में भी संकोच करते हैं।
इसी तरह 4 दिन पहले एक खबर पंजाब के फिल्लौर से आई थी। यहाँ नशे की एक्स्ट्रा डोज लेने पर 22 साल के युवक की मौत हो गई। उसका शव पेड़ के पास पड़ा मिला। जवान बेटे की मौत की खबर सुनते ही पूरे परिवार में कोहरा मच गया।
कोर्ट बार-बार लगा चुका है फटकार
पंजाब में नशाखोरी इतने चरम पर है कि कोर्ट तक इस मामले पर राज्य की आलोचना कर चुका है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा था कि नशाखोरी देश के भविष्य को दीमक की तरह खा रही है। विशेष रूप से पंजाब में ये बड़ी चिंता का विषय है।
पिछले वर्ष अगस्त 2024 भी बठिंडा कोर्ट ने ड्रग तस्करों के खिलाफ सख्त स्टैंड लेने को पुलिस को आदेश दिया था। उन्होंने एक तस्कर की याचिका पर सुनवाई के दौरान पुलिस से कहा था कि वह बताएँ कि राज्य में एनडीपीएस के कितने मामले हैं, जिनमें आरोपी 6 महीने से अधिक समय से फरार हैं। अगर पुलिस द्वारा ड्रग मामलों में आरोपितों को उचित समय अवधि के भीतर गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो ऐसे आरोपितों को तुरंत घोषित अपराधी (पीओ) घोषित किया जाना चाहिए और कानून के प्रावधान के अनुसार बिना किसी देरी के उनकी संपत्ति जब्त की जानी चाहिए।
मार्च 2024 में भी कोर्ट ने पंजाब में पुलिस अधिकारियों से ड्रग तस्करों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी कोर्ट को देने को कही थी। हाईकोर्ट ने पंजाब की जेलों से नशे की तस्करी के बढ़ते मामलों पर टिप्पणी करते हुए इसे एसएसओसी की नाकामी बताई थी। साथ ही कहा था कि इन केसों की जाँच सीबीआई और ईडी द्वारा होनी चाहिए। पंजाब में स्थिति नियंत्रण से बाहर है और जेल अधिकारियों के खिलाफ जँच करने में पंजाब पुलिस सक्षम नहीं है।
इसी प्रकार साल 2023 में भी कोर्ट ने नशे के कारोबार और तस्करी के आँकड़ों को देख इन्हें डराने वाला बताया था। कोर्ट ने कहा था कि नशे की जड़ों को समाज से काटना बहुत जरूरी है। आरोपितों के खिलाफ न केवल एनडीपीएस का बल्कि मनी लॉंड्रिंग का मामला दर्ज होना चाहिए। अपराधियों को कम से कम 10 से 20 साल कैद की सजा सुनाई जानी चाहिए और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
पंजाब की AAP सरकार और उनके नशा मुक्त पंजाब को लेकर वादे
साल 2022 में जब पंजाब में चुनाव थे तब AAP प्रमुख केजरीवाल ने राज्य की जनता से वादा किया था कि AAP की सरकार आने के चार महीने के भीतर नशीले पदार्थ पर अंकुश लगवा देंगे। बाद में साल 2023 में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पटियाला में सभा को संबोधित करते हुए कहा ता कि वह अगले स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त 2024 तक पंजाब से चिट्टे के खतरे को खत्म कर देंगे। हालाँकि वो अपना वादा पूरा करने में विफल रहे जिसके कारण विपक्षी पार्टियों ने उन्हें घेरा भी और उनके वादे को महज ‘लॉलीपॉप’ बताया।
अब हर साल-छह महीने पर खबरों में कुछ आँकड़े दिए जाते हैं। बताया जाता है कि एक अवधि में पंजाब में कितने ड्रग तस्कर पकड़े गए, कितनों के मादक पदार्थ जब्त हुए आदि। कभी मुख्यमंत्री घोषणा करते हुए कि जो गाँव नशा मुक्त होगा उन्हें विशेष अनुदान मिलेगा, तो कभी कोई टीम बनाकर नशा रोकने की बात होती है… लेकिन इन घोषणा से ज्यादा जरूरी तो ये है न कि देखा जाए जो प्रयास शुरू हुए उससे जमीनी स्तर पर क्या फर्क पड़ रहा है। अगर इसी चरण पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो ‘100 महिलाओं के विधवा’ होने वाली जैसी खबरें कभी आना बंद नहीं होगीं। लड़कियाँ नशे की लत लगाकर वेश्यावृत्ति में धकेली जाती रहेंगी। ड्रोन तस्करों को पकड़ लेगा लेकिन मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली नशीली दवाइयों पर कार्रवाई नहीं होगी।