ओडिसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुक्रवार (27 जून 2025) को शुरू हो चुकी है। इसे लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में कई आयोजन किए जाते हैं। इस वर्ष रथयात्रा के 148वें वर्ष पर गुजरात के अहमदाबाद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने श्री जगन्नाथ मंदिर पहुँचकर मंगला आरती की।
गृह मंत्री के साथ इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी साथ दिखे। उन्होंने पूजा- अर्चना करे बाद रथ खींचने की रस्म निभाई। इसे लेकर अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा की।
उन्होंने लिखा कि जगन्नाथ रथ यात्रा के पावन अवसर पर अहमदाबाद में मंगला आरती में शामिल होना अपने आप में एक दिव्य और अलौकिक अनुभव है।
रथयात्रा के पावन अवसर पर श्री जगन्नाथ मंदिर, अहमदाबाद की मंगला आरती में शामिल होना अपने आप में दिव्य और अलौकिक अनुभव होता है। आज महाप्रभु की मंगला आरती में शामिल होकर दर्शन-पूजन किया। महाप्रभु सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें। pic.twitter.com/T3XDWbjQt1
— Amit Shah (@AmitShah) June 27, 2025
गृहमंत्री ने आगे लिखा, “महाप्रभु जगन्नाथ जी मंगला आरती में शामिल होकर दर्शन-पूजन किया। महाप्रभु सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें।”
12 दिन तक चलेगी रथयात्रा
27 जून 2025 से शुरू होकर ये रथयात्रा 8 जुलाई 2025 तक चलेगी। भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों को खींच कर गुंडिचा मंदिर तक लेकर आया जाता है। यहाँ वे एक सप्ताह तक निवास करते हैं। उसके बाद उन्हें वापस जगन्नाथ मंदिर ले जाया जाता है।
रथयात्रा के अवसर पर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखने को मिलता है। दुनियाभर से लोग इस रथयात्रा को देखने पुरी आते हैं। सभी भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए लालायित दिखते हैं। इस बार की जगन्नाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किए गए हैं। पुरी हो या अहमदाबाद, तक हर जगह पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
पुरी में रथयात्रा को मद्देनजर रखकर लगभग 10,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है। इनमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की आठ कंपनियाँ भी शामिल हैं। इसके अलावा ट्रैफिक व्यवस्था भी दुरुस्त रखी गई है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो।
ओडिशा के पूरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि के दिन यह भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। रथयात्रा में तीन रथ होते हैं। भगवान जगन्नाथ यानी श्रीकृष्ण के रथ को ‘नंदीघोष’ या ‘गरुड़ध्वज’ कहते हैं। इसका रंग लाल और पीला होता है।
इसके अलावा इस यात्रा में बलराम का भी रथ होता है। यह हरे और लाल रंग का होता है। इस रथ को ‘तालध्वज’ कहते हैं, वहीं सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ या ‘पद्म रथ’ कहा जाता है। यह काले या नीले और लाल रंग का होता है। रथयात्रा में सबसे आगे बलराम का रथ होता है, वहीं बीच में सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है।
जगन्नाथ यात्रा: एक प्राचीन परम्परा
पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की परंपरा बहुत पुरानी है। पुरी के पंडित और स्थानीय लोगों का मानना है कि सुभद्रा के द्वारिका दर्शन की इच्छा पूरी करने के लिए श्रीकृष्ण और भगवान बलराम ने रथ में बैठकर पूरे नगर की यात्रा की थी। तब से हर साल पुरी में रथयात्रा को आयोजन किया जाता है।
यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ मंदिर से चलकर करीब 200 मीटर की दूरी पर स्थित सालबेग की मजार पर आने के बाद रुक जाता है और कुछ देर यहाँ रुकने के बाद रथ फिर से आगे बढ़ता है। दरअसल सालबेग को भगवान जगन्नाथ का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है।
सालबेग मुस्लिम परिवार से थे। एक बार वह पुरी आए जहाँ उन्होंने भगवान जगन्नाथ के भक्तों से उनकी महिमा सुनी तो उनके मन में भी भगवान के दर्शन की इच्छा हुई। लेकिन गैर-हिंदू होने के कारण उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से उन्हें रोक दिया गया।
इस घटना के बाद से सालबेग के मन में भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्ति और बढ़ गई। वो उसी क्षेत्र में रहकर दिन रात उनकी भक्ति करने लगे। कहा जाता है कि एक रात सालबेग ने सपने में भगवान जगन्नाथ के दर्शन पाए। भगवान ने उनसे कहा “मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ। इसलिए मैं खुद तुम तक आऊँगा और तुम्हें दर्शन दूँगा।
इसके बाद आयोजित हुई रथयात्रा के दौरान जैसे ही भगवान जगन्नाथ का रथ उस जगह पहुँचा जहाँ सालबेग ठहरे थे, वहीं अटक गया। हजारों लोगों की मशक्कत के बाद भी रथ आगे नहीं बढ़ा। अंत में भक्तों ने भगवान जगन्नाथ की फूलों की माला सालबेग तक पहुँचाई, जिसके बाद रथ निकल गया। तब से हर साल जगन्नाथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के रथ को सालबेग की मजार पर रोका जाता है।