दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा काट रहे एक युवक को बरी कर दिया है। अपने फैसले में उच्च न्यायलय ने कहा कि शारीरिक संबंध को यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता है। बरी किए गए युवक का नाम शाहजहाँ अली है, जिसे बरी करने के पीछे अदालत ने हिंदू नाबालिग पीड़िता के बयान को आधार बनाया है। यह आदेश सोमवार (23 दिसंबर 2024) को दिया गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला दिल्ली के थाना क्षेत्र मधु विहार का है। 17 मार्च 2017 को एक महिला यहाँ अपनी 14 वर्षीया बेटी की गुमशुदगी पुलिस में दर्ज करवाती है। घटना के समय पीड़िता कक्षा 8 में पढ़ती थी। वह स्कूल गई लेकिन घर नहीं लौटी थी। पुलिस ने केस दर्ज कर के इसी दिन शाहजहाँ अली को फरीदाबाद से गिरफ्तार कर लिया। पीड़िता को भी इसी दिन बरामद कर लिया गया।
मेडिकल जाँच में पीड़िता के शरीर पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं पाए गए। 20 मार्च 2017 को कोर्ट में पीड़िता के 164 के बयान दर्ज हुए। पीड़िता ने बयान में शाहजहाँ अली से शारीरिक संबंध की बात कही। पीड़िता ने यह भी कहा कि वो अपनी मर्जी से आरोपित के साथ गई थी। शाहजहाँ ने पीड़िता को शाम तक घर छोड़ने का वादा किया था।
लगभग 22 साल का शाहजहाँ पीड़िता से लगभग डेढ़ साल से परिचित था। पीड़िता के बयान के बाद पुलिस ने इस केस में अपहरण, रेप के साथ पॉक्सो एक्ट की भी धारा बढ़ा दी थी। पुलिस ने जाँच पूरी करके 16 जुलाई 2018 को न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी। ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने 7 गवाहों के बयान दर्ज करवाए।
बहस के दौरान पीड़िता ने बचाव पक्ष के वकील ने शाहजहाँ अली को अपना बॉयफ्रेंड बताया। इसी दौरान लड़की ने यह भी कहा कि शाहजहाँ ने उसको किसी तरह की शारीरिक प्रताड़ना नहीं दी। आखिरकार निचली अदालत से शाहजहाँ अली को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। तब से शाहजहाँ अली जेल में ही था। ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को शाहजहाँ ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी।
मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की अदालत में हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि शारीरिक संबंध को यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता है। हाईकोर्ट का मानना है कि पीड़िता का बयान उसके साथ किसी प्रकार की प्रताड़ना न होने का संकेत देता है। आखिरकार शाहजहाँ अली को बरी करने के आदेश जारी कर दिए गए।