Friday, January 31, 2025
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ताहिर हुसैन पर क्यों बँटे सुप्रीम कोर्ट के जज, क्यों चुनाव प्रचार के लिए जमानत देना चाहते थे जस्टिस अमानुल्लाह, जस्टिस मित्तल ने क्यों जताई आपत्ति: अब आगे क्या, जानिए सब कुछ एक साथ

इस जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट को ट्रायल कोर्ट के फैसले का इंतजार क्यों करना चाहिए? हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि उसे जमानत नहीं मिलेगी… अगर हम (सुप्रीम कोर्ट) ट्रायल कोर्ट का इंतजार करेंगे तो यह ऐसा होगा जैसे हम ट्रायल कोर्ट के अधीन हैं।" जस्टिस अमानुल्लाह ने ताहिर हुसैन के खिलाफ मुकदमे की धीमी प्रगति पर भी सवाल उठाया।

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच दिल्ली दंगों के सरगना ताहिर हुसैन को दिल्ली चुनावों में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने पर एकमत फैसला देने में नाकाम रही। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ताहिर को अंतरिम जमानत देने के पक्ष में थे, लेकिन जस्टिस पंकज मित्तल इसके पक्ष में नहीं थे। अब इस मामले को बड़े बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजा जाएगा।

दरअसल, आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद से टिकट दिया है। इसको लेकर ताहिर हुसैन ने नामांकन दाखिल करने और दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार तक अंतरिम जमानत की माँग की थी। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय जजों की यह बेंच सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई के दौरान जस्टिस मित्तल ने हुसैन की याचिका खारिज कर दी। वहीं, जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हुसैन को अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए। जस्टिस अमानुल्लाह द्वारा असहमति जताए जाने के बाद जस्टिस मित्तल ने कहा, “चूँकि हमारी राय अलग-अलग है, इसलिए रजिस्ट्री को इस मामले को तीसरे न्यायाधीश के गठन के लिए CJI के समक्ष रखना चाहिए।”

न्यायमूर्ति मित्तल ने कहा, “अगर चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो इससे भानुमती का पिटारा खुल जाएगा। चूँकि देश में साल भर चुनाव होते रहते हैं, इसलिए हर कैदी यह दलील लेकर आएगा कि वह चुनाव में भाग लेना चाहता है और इसलिए उसे अंतरिम जमानत चाहिए। इससे मुकदमेबाजी के द्वार खुल जाएँगे और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।”

जस्टिस मित्तल ने यह भी कहा कि हुसैन के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और इस बात की बहुत अधिक आशंका है कि अगर उन्हें जेल से बाहर आकर प्रचार करने की अनुमति दी जाती है तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने दोहराया कि चुनाव प्रचार करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। इस बात का फैसला अदालत के विवेक पर निर्भर करता है कि अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए या नहीं।

वहीं, जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि ताहिर हुसैन को कुछ शर्तों के साथ अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “यह स्थापित कानून है कि अपराध की गंभीरता ही जमानत के मामलों के लिए एकमात्र मानदंड नहीं है। मेरा मानना ​​है कि उचित शर्तों के अधीन याचिकाकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए। जमानत केवल 4 फरवरी 2025 की दोपहर तक ही दी जा सकती है।”

जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि अंतरिम जमानत की शर्तों के रूप में हुसैन पर चुनाव प्रचार के दौरान दिल्ली दंगों के मामलों पर नहीं बोलने का सख्त दायित्व दिया जा सकता है। न्यायाधीश ने कहा, “वह दी गई अवधि समाप्त होने के बाद तुरंत जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण भी करेंगे।”

जस्टिस मित्तल ने हुसैन के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, खासकर इंटेलिजेंस के अधिकारी की मौत से संबंधित मामले में, उन्हें राहत देने पर कड़ी आपत्ति जताई। जस्टिस मित्तल ने कहा कि अगर चुनाव प्रचार अंतरिम जमानत के लिए आधार बनते हैं तो यह भारत जैसे देश में नए मुकदमों का द्वार खोल सकता है।

जस्टिस मित्तल ने यह भी कहा कि अगर हुसैन को वर्तमान मामले में जमानत मिल भी जाती है तो भी वह जेल में ही रहेगा, क्योंकि उसे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है। जस्टिस मित्तल ने कहा, “यह (वर्तमान अंतरिम जमानत मामला) एक अकादमिक अभ्यास है! अगर आपको सभी मामलों में जमानत नहीं मिलती है तो इस जमानत का मतलब यह नहीं है कि आप बाहर चले जाएँगे।”

इस जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट को ट्रायल कोर्ट के फैसले का इंतजार क्यों करना चाहिए? हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि उसे जमानत नहीं मिलेगी… अगर हम (सुप्रीम कोर्ट) ट्रायल कोर्ट का इंतजार करेंगे तो यह ऐसा होगा जैसे हम ट्रायल कोर्ट के अधीन हैं।” जस्टिस अमानुल्लाह ने ताहिर हुसैन के खिलाफ मुकदमे की धीमी प्रगति पर भी सवाल उठाया।

जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, “चार साल में केवल चार या पाँच चश्मदीद गवाहों की जाँच और उनसे पूछताछ की गई। अगर यह मामला इतना महत्वपूर्ण था तो… । वह एक दिन भी बाहर नहीं रहा। आपको किसी को दोषी ठहराने की असीमित स्वतंत्रता नहीं हो सकती। यह संविधान का अनुच्छेद 21 नहीं है, इसे नकार दिया गया है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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