Monday, June 16, 2025
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9000 छेद, 3700 किलो बारूद, 950 फ्लैट: 12 सेकेंड में जमींदोज हुआ कुतुब मीनार से ऊँचा ट्विन टावर, मलबा बटोरने में लगेंगे 3 महीने

बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण की कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आई हैं। वीडियो में चंद सेकेंडों में बिल्डिंग को धराशायी होते देखा जा सकता है। इसके बाद इलाके में धूल-धूल दिख रही है।

नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर को आज (28 अगस्त 2022 ) जमींदोज कर दिया गया। बिल्डिंग ध्वस्त करने के लिए कुल 3700 किलो बारूद इस्तेमाल किया गया। इसके बाद एक धमाके में पूरी बिल्डिंग 12 सेकेंड में नीचे गिर गई। अनुमान है कि इस ध्वस्तीकारण में 80 हजार टन मलबा निकला। ये मलबा तीन माह के भीतर हटाया जाएगा। करीब 15 करोड़ में इस मलबे का सौदा होगा।

बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण की कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आई है। वीडियो में चंद सेकेंडों में बिल्डिंग को धराशायी होते देखा जा सकता है। इसके बाद इलाके में धूल-धूल दिख रही है।

जानकारी के मुताबिक, 73 मीटर लंबे कुतुब मीनार से भी ऊँचे 102 मीटर के ट्विन टावर को बारूद भरके धमाके के साथ गिराया गया, जिसकी वजह से धूल 3 किलोमीटर तक फैली दिखाई दी। लेकिन प्रशासन ने धूल का प्रभाव जल्द से जल्द कम करने के लिए पानी की व्यवस्था कर रखी थी। प्रदूषण को रोकने के लिए मौके पर एंटी फॉगिंग गन और 75 वाटर टैंक बिलकुल तैयार थे।

यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ट्विन टावर के नजदीक 6 से ज्यादा अस्थायी मशीन लगाई थीं। इन्हीं की मदद से 31 अगस्त तक वायु प्रदूषण पर निगरानी होगी। रोजाना वायु प्रदूषण के आँकड़े देखे जाएँगे। हवा की गुणवत्ता सूचकांक भी देखा जाएगा। प्रशासन ने बिल्डिंग के आसपास क्षेत्रों में निवासियों से एहतियात के तौर पर मास्क लगाने की अपील की है। आज शाम आसपास के लोग अपने घरों में वापस लौट पाएँगे।

बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कहा कि इन अवैध ट्विन टावरों को ध्वस्तीकरण का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। जिससे यह साबित हुआ कि देश में कानून का राज है। इससे यह संदेश जाएगा कि राज्य में अवैध काम बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

क्यों हुई ट्विन टावर पर कार्रवाई?

बता दें कि सुपरटेक की दोनों बिल्डिंग्स नोएडा सेक्टर 93 यानी एक्सप्रेस-वे की तरफ स्थित थी। इनका नाम- एमरल्ड कोर्ट ट्विन टावर्स था। इन टावर्स में 950 से ज्यादा फ्लैट थे और एक टॉवर 40 मंजिल का था। इनमें सैकड़ों फ्लैट बुक हो चुके थे। पर चूँकि यह एक अवैध कंस्ट्रक्शन था, इसलिए टावर्स को तोड़ने के आदेश  दिए गए थे।

ये कंस्ट्रक्शन सुपरटेक बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी की मिलीभगत से किया गया था। जिस जमीन पर दोनों टावर खड़े किए गए थे, वो जगह सुपरटेक की ही थी लेकिन वहाँ पार्क बनना था और सुपरटेक ने 300 करोड़ रुपए लगाकर उस पर 2 बड़े टावर खड़े कर दिए।

साल 2012 में इस अवैध बिल्डिंग का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में गया। साल 2014 में इसे अवैध करार दिया गया। 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इमारत गिराने का आदेश दिया। 28 अगस्त 2022 को यह बिल्डिंग जमींदोज हुई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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