Monday, November 4, 2024
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भड़भड़ा कर पानी में गिर गया नीतीश कुमार का ₹1700 करोड़ वाला ड्रीम प्रोजेक्ट, शिलान्यास के बाद दूसरी बार ध्वस्त हुआ ये पुल: वीडियो आया सामने

भागलपुर और खगड़िया जिलों को जोड़ने के लिए अगुवानी और सुल्तागंज के बीच यह पुल बन रहा था। इस पुल के टूटने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

बिहार में बहार नहीं बल्कि भ्रष्टाचार हावी है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भागलपुर में गंगा नदी पर 1700 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा पुल रविवार (4, जून 2023) को एक बार फिर जमींदोज हो गया। इससे पहले, अप्रैल 2022 में भी पुल का एक हिस्सा ढह गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2014 में इस पुल का शिलान्यास किया था।

भागलपुर और खगड़िया जिलों को जोड़ने के लिए अगुवानी और सुल्तागंज के बीच यह पुल बन रहा था। इस पुल के टूटने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ सेकंडों के भीतर पुल को धराशाई हो गंगा नदी में गिरते देखा जा सकता है। बताया जा रहा है कि रविवार के चलते इस निर्माणाधीन पुल का निर्माण कार्य बंद था। ऐसे में पुल पर कोई भी मजदूर मौजूद नहीं था। नहीं तो एक सप्ताह के भीतर देश में दूसरा बड़ा हादसा हो जाता।

हालाँकि, इस हादसे में 2 गार्ड के लापता होने की बात कही जा रही है। लेकिन इसकी अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। रिपोर्ट के अनुसार, निर्माणाधीन पुल के 10वे, 11वें और 12वें पाये का पूरा हिस्सा टूटकर नदी में गिरा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि टूटे हुए हिस्से की लंबाई 100 मीटर से अधिक थी।

वहीं, इस घटना पर जदयू नेता और परबत्ता विधायक परबत्ता विधायक संजीव कुमार ने अपनी ही सरकार पर सवालिया निशान लगाए हैं। संजीव कुमार ने कहा है कि यह सीएम नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस पुल की क्वालिटी को लेकर उन्होंने विधानसभा में भी सवाल उठाए थे। लेकिन पुल बनाने वाली कंपनी एसपी सिंगला ने खराब क्वालिटी के तहत काम किया। साथ ही उन्होंने कहा है कि पुल बिना किसी कारण के कैसे गिर सकता है? इसकी उच्चस्तरीय जाँच होनी चाहिए।

1700 करोड़ की लागत वाले इस पुल के टूटने पर भाजपा नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है, “नीयत में जब खोट होगी तो नीति कैसे सफल होगी। एक बार सुलतानगंज की तरफ पुल गिरा था और आज खगड़िया की ओर गिरा है। कई पुल पुर्णिया में भी गिरे हैं, बिहार के अंदर यह कमीशनखोरी की प्रथा गुणवत्ता विहीन काम चरम पर है। जिसकी छवि दिखाई दे रही है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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