भारतीय सेना के मिशन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पूरा होने के बाद अब कर्नाटक के कॉन्ग्रेसी MLA कोथुर मंजूनाथ ने सेना पर ही सवाल खड़ेकर दिए हैं। उनका कहना है कि ये मिशन सिर्फ एक दिखावा था। पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को न्याय नहीं मिला।
कॉन्ग्रेस के कर्नाटक विधायक कोथुर मंजूनाथ ने बयान में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक दिखावा था। कुछ हुआ ही नहीं। बस दिखावे के लिए तीन चार विमान ऊपर भेजे और वापस बुला लिए।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंजूनाथ ने पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के बारे में सवाल पूछते हुए आगे कहा, “क्या पहलगाम में मारे गए 26-28 लोगों को इंसाफ मिलेगा? क्या उन महिलाओं का दुख कम होगा? क्या यही तरीका है उनके सम्मान करने का?”
सेना पर सवाल क्यों?
जम्मू कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में 22 अप्रैल 2025 को आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई थी। आतंकियों ने सभी लोगों से धर्म पूछ कर उनके गैर-मुस्लिम होने के पुष्टि करने के बाद बेरहमी से उनको मार दिया था। मरने वालों में देश के अलग-अलग राज्यों से कश्मीर गए ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे।
भारत सरकार ने 7 मई 2025 को जवाबी एक्शन में ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। इसके तहत तड़के ही भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में बसे 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल से मत कर दिया था। इसमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के लगभग 100 आतंकियों के मारे जाने की बात सेना ने कही थी।
सेना के इस बयान पर मंजूनाथ ने सवाल किया है। उन्होंने कहा, “इस बात की क्या पुष्टि है कि 100 आतंकवादी मारे गए? हमारी सीमा में जो घुसे, उन आतंकवादियों की पहचान क्या है?”
उन्होंने इंटेलिजेंस सिस्टम प्रणाली की सफलता पर भी तंज कसा। मंजूनाथ ने पूछा, “सीमा पर सुरक्षा क्यों नहीं थी और आतंकी कैसे भाग गए? हमें आतंकवाद की जड़ समेत तने और शाखों को भी पहचान कर खत्म करना चाहिए।”
कार्रवाई में भी परेशानी
कोथुर मंजूनाथ यही नहीं रुके। इसके बाद उन्होंने मीडिया पर भी सवाल खड़े कर दिए। वह बोले, “सारी टीवी चैनल अलग-अलग कहानी बता रहे हैं। कोई यह नहीं बता रहा है कि असल में कौन मारा गया, कहाँ मारा गया और कितने मारे गए।”
मंजूनाथ के इस बयान को सुनकर कॉन्ग्रेस की पुरानी आदत फिर फिर याद आ रही है। असल में कॉन्ग्रेसियों के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। उन्हें सरकार की आलोचना के लिए जब कुछ नहीं मिल रहा तो सेना पर ही सवाल उठा दिया। दिलचस्प बात तो ये है कि इस तरह की हरकतें सिर्फ कॉन्ग्रेस के विधायक या छुटभय्ये नेता ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्तर वाले नेता तक कर चुके हैं।
बात पलटने में माहिर विपक्ष
इससे पहले जब भारत सरकार पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक्शन में समय ले रही थी तो यही विपक्ष था जिसने जमकर मोदी सरकार और भाजपा पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेला था और यहाँ तक कहा था कि सरकार कुछ नहीं करेगी। अब जब एक्शन हो चुका है और इस कार्रवाई से पूरे देश को संतुष्टि मिली है तो विपक्ष के नेता यह कह रहे हैं कि युद्ध नहीं होना चाहिए था।
इनकी दोगली बातों में मंजूनाथ का एक और बयान शामिल है। उन्होंने कहा, “कर्नाटक के लोग पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश हर जगह के नागरिकों के युद्ध के खिलाफ हैं।” साथ ही ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई पर ये कह दिया कि जिन महिलाओं के सामने उनके पतियों को मारा गया यह कार्रवाई उनका दुख नहीं मिटा सकती और यह समाधान नहीं है।
शायद मंजूनाथ ने कर्नाटक के ही शिवमोगा के रहने वाले मंजूनाथ समेत कानपुर के शुभम द्विवेदी, पुणे के संतोष जगदाले और कौस्तुभ गणबोटे के घरवालों की वो खुशी और संतुष्टि का भाव चेहरे पर नहीं देखा जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनके मन में था और उन्होंने इस एक्शन पर सरकार को धन्यवाद कहा था।
एक तरफ नहीं रह पा रहा विपक्ष
अगर मंजूनाथ की बात पर गौर किया जाए तो असल में एक सवाल उन्हीं से पूछा जाना बनता है कि अगर ऑपरेशन सिंदूर जैसा एक्शन आतंकी हमलों का समाधान नहीं है तो कॉन्ग्रेस के अनुसार समाधान क्या होना चाहिए।
आतंकी जब तब भारत में निर्दोष लोगों की जान ले लेते हैं। भारत के दिल में घुसकर 26/11 के मुंबई हमले कर देते हैं। सीमा की रक्षा करने वाले देश के 40 जवानों को मौत की घाट उतार देते हैं। साथ ही बेखौफ होकर यह सोचते हैं कि भारत कभी कोई एक्शन नहीं ले सकता।
ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई कॉन्ग्रेसियों को क्यों परेशान कर रही है और वह भी तब जबकि इसमें सिर्फ आतंकियों को ही निशाना बनाया गया और दुश्मन देश पाकिस्तान की सैन्य रक्षा प्रणाली को कमजोर करने की कोशिश की गई। आम लोगों को जरा-सा भी हताहत नहीं किया गया।
सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे
मंजूनाथ कोई इकलौते कॉन्ग्रेसी नहीं हैं जो ऑपरेशन सिंदूर या सरकार पर सवाल उठा रहे होंं। विपक्ष के राजनेताओं में भारतीय सेना को लेकर कोई न कोई परेशानी होती ही रही है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ऑपरेशन सिंदूर को भावनात्मक लाभ लेने की का बयान दिया था। उन्होंने यह कहा था कि ऑपरेशन मिशन का नाम सिंदूर रखकर सरकार भावनात्मक लाभ लेने की कोशिश कर रही है।
इसके अलावा कॉन्ग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भी पूछा था कि ऑपरेशन सिंदूर में क्या सभी आतंकवादी मारे गए हैं? और क्या मोदी सभी आतंकियों को खत्म कर पाएँगे। इसी तरह कॉन्ग्रेस की वरिष्ठ नेता उदित राज को भी इस मिशन के नाम पर ही परेशानी हो गई थी। उन्होंने यह बयान दे डाला था इस मिशन का नाम कुछ और होना चाहिए था क्योंकि यह एक धर्म विशेष को बताता है।
बात यही नहीं रुकती। सहारनपुर के कॉन्ग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर सवाल उठाने में देर नहीं की थी और इस मिशन का पूरा हिसाब माँग लिया था। इमरान मसूद ने तो उरी में मारे गए जवानों के लिए जवाबी कार्रवाई में की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर भी सवाल खड़े कर दिए थे और यह कह दिया था कि पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भारत का मजाक उड़ाता है।
यह कोई पहली बार नहीं है कि जब कॉन्ग्रेसियों ने इस तरह की बयानबाजी की हो। पार्टी के बड़े नेता सामने से तो सरकार के काम की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन उनके नीचे बैठे विधायक और राज्य स्तरीय नेता लगातार इस तरह के बयान देकर सेना का मनोबल तोड़ने और लोगों के बीच कायम शांति व्यवस्था भंग करने की कोशिश करते रहते हैं।