शुक्र है कि सोशल मीडिया का दौर है! शुक्र है कि बिहार जंगलराज से काफी आगे निकल चुका है! वरना इंतजाम तो तेज प्रताप यादव की ‘लव स्टोरी’ को हैकिंग और AI के दावों में दफना देने की थी। आशंका अनुष्का के अभिषेक हो जाने की थी। पर नेटिजन्स ने तेज प्रताप यादव और अनुष्का की तस्वीरों/वीडियो की बाढ़ लाकर लालू प्रसाद यादव और राजद को मजबूर कर दिया।
सवाल यह नहीं है कि ये तस्वीरें/वीडियो लीक कैसे हुई? किसने की? क्यों की? सवाल है कि सब कुछ जानते हुए भी ऐश्वर्या राय के जीवन को तमाशा क्यों बनाया गया? इसी सवाल को दबाने के लिए लालू यादव ने ‘नैतिकता’ और ‘पारिवारिक मूल्यों’ का बुर्का ओढ़कर तेज प्रताप यादव को परिवार और पार्टी से ‘बेदखल’ करने का ऐलान किया है।
निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार…
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 25, 2025
संभव है कि बिहार में विधानसभा चुनाव के पूर्ण होते ही इस बेदखली की समय सीमा भी समाप्त हो जाए। लेकिन लालू यादव का पाखंड इस बात से भी उजागर होता है कि जिस नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों का हवाला देकर वे स्वजातीय अनुष्का यादव को ठुकरा रहे हैं, उन्हीं नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों के साथ उन्होंने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव की पत्नी के तौर पर ईसाई महिला रचेल गोडिन्हो को राजश्री बनाकर कबूल किया है। फिर अपने ही स्वजातीय अनुष्का यादव को सार्वजनिक तौर पर बड़े बेटे की पत्नी के तौर पर स्वीकार करने में उनकी कौन सी नैतिकता, कौन से पारिवारिक मूल्य आड़े आ गए?
इस रिश्ते को स्वीकार करने से तो उनकी कथित नैतिकता और पारिवारिक मूल्य के साथ-साथ राजद की आधार जाति को भी मजबूती मिलती। यदि ऐसा न भी होता तो सब जानते हैं कि राजनीतिक तौर पर तेज प्रताप यादव को न तो लालू यादव के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता है और न ही उनका वैसा राजनीतिक प्रभाव है। उन्होंने कुछ मौकों पर पार्टी को हाँकने की कोशिश की, इस कोशिश में जगदानंद से लेकर रघुवंश बाबू तक को रेल गए, फिर भी खुद को न पार्टी में और न जनता की नजर में एक नेता के तौर पर स्थापित कर पाए। आश्चर्यजनक तौर पर जब राजद के इन बुजुर्ग नेताओं को सार्वजनिक तौर पर तेज प्रताप यादव ने अपमानित किया, तब भी लालू यादव की नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों को कोई खतरा नहीं दिखा।
लालू यादव की यह नैतिकता और पारिवारिक मूल्य तब भी न जगे जब चंदा बाबू के बेटों को तेजाब से नहला दिया गया। नहलाने वाले को वे संसद में भेजते रहे। तब भी न जगी जब जंगलराज में फल-फूल रहे अपहरण उद्योग को खाद-पानी देने के लिए बिहार के लोगों के बच्चे उठाए गए। तब भी न जगी जब एक शादी के लिए शो रूम से फर्नीचर से लेकर गाड़ी तक जबरन उठा लिए गए और कारोबारी बिहार को छोड़कर चले गए। तब भी न जगी जब एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ खड़ा कर नरसंहार करवाए गए और सैकड़ों बच्चे अनाथ हो गए।
🚨Video of Tej Pratap marrying Anushka Yadav leaked in Media.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) May 25, 2025
Tej Pratap Yadav's divorce case is already ongoing.
After this video, Lalu Family is going to get in lot of trouble. pic.twitter.com/Cw8g9lkXd2
फिर अचानक से सजायाफ्ता लालू यादव के पारिवारिक मूल्य और नैतिकता एक प्रेम की स्वीकारोक्ति पर क्यों और कैसे जग उठी? इन्हीं सवालों का जब आप जवाब खोजते हैं तो पता चलता है कि लालू यादव जिस नैतिकता और पारिवारिक मूल्य की बात कर रहे हैं, असल में वह खोट पर खड़ी है। तेजस्वी यादव से लेकर रोहिणी आचार्य तक पप्पा के जिस मूल्यों की दुहाई दे रहे हैं, वह पारिवारिक राजनीति में एक काँटा के साफ होने की खुशी से अधिक कुछ भी नहीं दिखती।
सब जानते हैं कि बेटे ही नहीं, बल्कि बेटियों को भी राजनीति में सेट करने का लालू यादव पर भारी दबाव है। मीसा भारती के बाद अब रोहिणी आचार्य को विरासत में हिस्सा चाहिए। चंदा यादव, रागिनी यादव, हेमा यादव, अनुष्का राव और राज लक्ष्मी यादव भी अपना हिस्सा पाने के लिए लाइन में लगी हुई हैं। सबको सेट करने के लिए चाहिए सत्ता। बिहार की सत्ता।
ऐसे में जिस तरह से तेज प्रताप यादव की लव स्टोरी सार्वजनिक हुई, जिस तरह यह तथ्य सामने आया कि वे 12 साल से अनुष्का यादव के साथ रिलेशन में हैं, उसने लालू परिवार के उस छल को भी चर्चा में ला दिया जो उसने 12 मई 2018 को बिहार की ही अपनी एक स्वजातीय बेटी ऐश्वर्या राय के साथ किया था।
तेजप्रताप भाई! यह कितनी हास्यास्पद और आश्चर्य की बात है। एक तरफ ऐश्वर्या राय को मूर्ख बनाया, दूसरी तरफ अनुष्का यादव को मूर्ख बना रहे हो। सच कहने का साहस होना चाहिए और झूठ बोलकर दूसरों को बरगलाना नहीं चाहिए। इन लड़कियों को या यादव समाज को, किसको बेवकूफ बना रहे हो भाई।
— Dr. Nikhil Anand (@NikhilAnandBJP) May 24, 2025
यह फर्जी… https://t.co/Nx9dS2MqMg pic.twitter.com/jBOXB0F3jx
न किसी से प्रेम करना गुनाह है। न पति-पत्नी के रिश्तों में कड़वाहट आने के बाद उनका अलग हो जाना असामान्य है। इसलिए 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद जब ऐश्वर्या राय को ससुराल से बेइज्जत कर निकाला गया, तब बिहार के लोग इसे लालू यादव का पारिवारिक मामला मान आगे बढ़ गए। लेकिन आज अनुष्का के साथ 12 साल पुराने रिश्ते की सच्चाई सामने आई है तो इसने बताया है कि असल में लालू यादव का पारिवारिक मूल्य अपनी राजनीति के लिए किसी की भी बेटी की जिंदगी को तमाशा बना देना ही है।
आज राजनीति पर चोट पहुँचते देख उन्होंने तेज प्रताप यादव को बेदखल किया है, क्योंकि ‘माई-बहिन’ की बात कर बिहार की सत्ता में लौटने का ख्वाब पाल रही राजद और लालू परिवार को इस प्रकरण ने ‘माई-बहिन’ की नजरों में ही नंगा कर दिया है। लालू नहीं चाहते कि बिहार की ‘माई-बहिन’ इस चुनावी मौसम में ऐश्वर्या के न्याय की बात करें। पर लालू यादव और उनके कुनबे को पता होना चाहिए कि ये वो बिहार है, जिसकी नैतिकता और पारिवारिक मूल्य उनके तरह खोटे नहीं हैं। इन सवालों के बोझ तले दफन हो जाना ही अब उनकी नियति है।