2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पूरे देश को चौंकाया। अधिकांश एग्जिट पोल में 300 पार दिखने वाली भाजपा 240 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। इसके बाद उसने TDP और जेडीयू समेत बाकी NDA दलों के सहयोग से सरकार बनाई। लेकिन इस लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नतीजा फैजाबाद लोकसभा सीट का रहा।
लोगों ने अचरज जताया कि हिन्दुओं की सदियों पुरानी राम मंदिर की अभिलाषा पूरी होने के बाद भी आखिर भाजपा को यह परिणाम क्यों मिला। इस हार को लेकर कई तरह के विश्लेषण पेश किए गए। आम बोलचाल में अब अयोध्या कही जाने वाली यह सीट भाजपा समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद के हाथों हारी थी। अवधेश प्रसाद को इससे पहले दिल्ली की राजनीति में कोई नहीं जानता था। इस जीत ने अवधेश का कद कई गुना बड़ा कर दिया। अवधेश प्रसाद कोई नए नेता नहीं है।
वह सांसद बनने के पहले अयोध्या जिले की ही मिल्कीपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से विधायक थे। अवधेश प्रसाद के संसद पहुँचने पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने उन्हें ट्रॉफी की तरह प्रस्तुत किया। भाजपा अब इस हार का हिसाब पूरा करने का मौक़ा पा चुकी है।
कानूनी पचड़े के चलते फँसा था चुनाव
अवधेश प्रसाद की जीत से खाली हुई विधानसभा सीट मिल्कीपुर पर फरवरी, 2025 में उपचुनाव होगा। अभी तक यह उपचुनाव एक कानूनी पचड़े की वजह से लटका हुआ था। इस सीट पर अवधेश प्रसाद की विधानसभा में जीत के विरुद्ध भाजपा प्रत्याशी ने ही याचिका डाली हुई थी, उन्होंने यह वापस ले ली थी। इसके बाद अब उपचुनाव का ऐलान हो गया है।
हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ हुए उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में भाजपा गठबंधन ने 9 में से 7 सीटें हाल ही में जीती थीं। इसके बाद भाजपा का जोश हाई है और वह मिल्कीपुर भी जीतने के दावे कर रही है। मिल्कीपुर का उपचुनाव हाई प्रोफाइल हो चुका है।
यहाँ 5 फरवरी, 2025 को मतदान होगा जबकि 8 फरवरी को नतीजे आएँगे। समाजवादी पार्टी ने चुनाव तारीखों से कहीं पहले इस सीट पर अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट देने का ऐलान कर दिया था। इस सीट पर भाजपा ने अभी अपना उम्मीदवार नहीं दिया है। कयास हैं कि भाजपा मकर संक्रांति के बाद यहाँ नाम की घोषणा करेगी।
भाजपा जल्द करेगी प्रत्याशी का ऐलान
भाजपा की तरफ से बाबा गोरखनाथ, रामू प्रियदर्शी, चन्द्रभान पासवान समेत कई लोग लाइन में हैं। बाबा गोरखनाथ 2017 में यहाँ से विधायक रहे थे और 2022 में उन्हें अवधेश प्रसाद से हार मिली थी। उनका भी दावा टिकट को लकर मजबूत है। उनके अलावा भाजपा के एक और पूर्व विधायक और संगठन का बड़ा चेहरा रामू प्रियदर्शी भी मैदान में हैं।
इन दोनों के अलावा चंद्रभान पासवान, चन्द्रकेश पासवान समेत कई और लोग भी लाइन में हैं। इस पर फैसला जल्द होने की उम्मीद है। इसके बाद ही चुनाव किस तरफ जाएगा, इस पर फैसला होगा। मिल्कीपुर दलित बहुल सीट है और आरक्षित भी है। ऐसे में भाजपा भी जमीन पर सारी चीजों का जायजा लेने के बाद ही प्रत्याशी तय करना चाहती है।
स्थानीय पत्रकार नितेश सिंह बताते हैं, “बाबा गोरखनाथ का आधार पहले से बना हुआ है लेकिन उनका अंदरखाने कुछ विरोध भी है। हालाँकि, उनकी दावेदारी से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा रामू प्रियदर्शी सभी बेंचमार्क पर खरे उतर रहे हैं। अभी काफी मुश्किल है बताना कि पार्टी किसे चुनेगी।”
सीट दलित बहुल लेकिन निर्णायक वोट सवर्णों का
मिल्कीपुर विधानसभा में लगभग 1.2 लाख वोटर दलित हैं। इनमें से भी सबसे अधिक वोट पासी समाज के लोगों का है। पासी समाज से ही अवधेश प्रसाद आते हैं। दलित वोटरों के अलावा ब्राम्हण, ठाकुर और बाकी सवर्ण वोटर भी यहाँ बड़ी संख्या में हैं। उनका कुल वोट भी लगभग 1 लाख है। मुस्लिम वोट यहाँ 30,000 है।
सपा मुस्लिम और दलित वोट के गठजोड़ से ही यहाँ जीतने की फिराक में हैं। इससे पहले अवधेश प्रसाद भी इसी फार्मूले के तहत जीतते आए हैं। उन्हें कुछ समर्थन सवर्ण भी देते रहे हैं। लेकिन इस बार मामला अलग है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अवधेश प्रसाद की जो पकड़ जमीन पर है, वह उनके बेटे अजीत प्रसाद की नहीं है।
अजीत प्रसाद जिला पंचायत का चुनाव तक हार चुके हैं। पत्रकार नितेश सिंह कहते हैं, “अजीत प्रसाद में वो विनम्रता नहीं है जो अवधेश प्रसाद में थी। वह प्रचार में तो लगे हुए हैं लेकिन सपा में अंदरखाने हुई लड़ाई उन्हें नुकसान कर सकती है। हालाँकि, अखिलेश यादव का सीधा आशीर्वाद उन्हें हासिल है।”
सभी उम्मीदवार दलित समाज से होने के चलते सवर्ण किसे समर्थन देता है, यह चुनाव में X फैक्टर बन सकता है। चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि 2017 में बाबा गोरखनाथ को सवर्णों का समर्थन हासिल था लेकिन 2022 में यह समर्थन अवधेश प्रसाद को रहा। ऐसे में उनका वोट निर्णायक हो सकता है।
विश्लेषक बताते हैं कि सवर्णों का वोट किधर जाएगा, इसको लेकर फैसला भाजपा के उम्मीदवार का नाम सामने आने के बाद होगा। वह यह भी कहते है यहाँ सवर्ण भाजपा की तरफ से कोई अलग चेहरा चाहते हैं, इसके बाद वह पूरी तौर पर समर्थन को तैयार हैं।
भाजपा 2 बार जीती है मिल्कीपुर
मिल्कीपुर ऐसी विधानसभा सीट है जिस पर बीते तीन दशक में भाजपा, बसपा, सपा और कम्युनिस्ट पार्टी सभी जीते हैं। हालाँकि, पिछले 10 विधानसभा चुनाव और उपचुनाव में इस सीट पर सपा 6 बार जीती है। भाजपा यहाँ 2017, 1991 जबकि बसपा 2007 में चुनाव जीती थी। हालाँकि, अब यहाँ सीधी लड़ाई भाजपा और सपा में ही है। 2017 विधानसभा चुनाव में बाबा गोरखनाथ ने 28000 वोटों के अंतर से अवधेश प्रसाद को हराया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में वह लगभग 13000 वोटों से हारे थे। इस बार वह फिर टिकट पाने के मैदान में हैं।
मंत्री से लेकर संगठन तक भाजपा ने झोंकी ताकत
भाजपा फ़ैजाबाद लोकसभा सीट पर मिली हार का बदला इस सीट पर जीत से लेना चाहती है। यह बदला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि उसके सामने उन्हीं अवधेश प्रसाद के बेटे हैं, जिन्होंने उन्हें मात दी है। भाजपा इस चुनाव के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। उसने यहाँ अपने 6 मंत्री लगाए हुए हैं।
इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष से लेकर क्षेत्रीय अध्यक्ष और बाकी संगठन के लोग भी जुटे हुए हैं। यह हर गाँव के प्रधान, VDC, नगर पंचायत के प्रतिनिधि और प्रभावशाली लोगों से मिलकर माहौल सेट कर रहे हैं। यहाँ तक कि लोगों की समस्याओं को सं कर वहीं पर उनका निवारण करवाया जा रहा है।
चुनाव में सीधा दखल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी है। उन्होंने भी यहाँ के भाजपा पदाधिकरियों के साथ बैठक की है। उनका बीते कुछ माह में यहाँ दौरा भी हो चुका है। प्रत्याशी की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री योगी की रैली भी यहाँ आयोजित किए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।
भाजपा चुनाव में हर गाँव से वोट बटोरने के लिए लगातार अपना संगठन मजबूत कर रही है। गाँवों में उसके कार्यकर्ता जा रहे हैं। जैसे ही प्रत्याशी घोषित किया जाता है, जनसंपर्क भी तेजी से चालू किया जाएगा। भाजपा इस सीट को जीतकर अयोध्या में मिली हार पर मिट्टी डालना चाहती है।