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Sunday, April 13, 2025
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कर्नाटक में 4 साल में 5.16% बढ़ गए मुस्लिम, आरक्षण 4 से 8% करने की सिफारिश: कोटा 85% तक ले जा सकती है कॉन्ग्रेस सरकार, ‘अहिन्दा वोट’ पक्के करने की तैयारी

कर्नाटक के जातिगत सर्वे में OBC आरक्षण 32% से बढ़ा कर 51% करने की सिफारिश की गई है। मुस्लिम आरक्षण भी 4% से बढ़ा कर 8% करने की बात रिपोर्ट में कही गई है। इस पर कर्नाटक कैबिनेट की आगामी बैठक में फैसला होगा।

कर्नाटक में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाया जा सकता है। इसकी सिफारिश कर्नाटक में की गई जाति जनगणना नई रिपोर्ट में की गई है। OBC आरक्षण में बढ़ोतरी का सीधा फायदा मुस्लिमों को होने वाला है, वह राज्य में सबसे बड़ा OBC समूह हैं। जाति जनगणना की यह रिपोर्ट हाल ही में कर्नाटक कैबिनेट के सामने पेश की गई है।

कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार इस जातिगत जनगणना के नए सर्वे पर 17 अप्रैल को बैठक करने वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस सर्वे OBC आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने की सिफारिश की गई है। इसी रिपोर्ट में मुस्लिम आरक्षण को भी 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश की गई है।

85% हो जाएगा आरक्षण

17 अप्रैल को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस आरक्षण को लेकर फैसला लिया जा सकता है। इसी बैठक में यह रिपोर्ट सार्वजनिक करने सम्बन्धित फैसला भी हो सकता है। कर्नाटक की जाति जनगणना रिपोर्ट में की गई सिफारिश अगर मानी जाती हैं, तो राज्य में कुल आरक्षण 85% हो जाएगा।

इस 85% में 51% OBC आरक्षण होगा जबकि 24% आरक्षण अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए रहेगा। इसके अलावा 10% आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी EWS को पहले की तरह मिलता रहेगा। इस रिपोर्ट को लेकर राज्य में बहस चालू हो गई है।

यह जातिगत जनगणना कर्नाटक पिछड़ा वर्ग आयोग ने करवाई थी। यह 2015 में एच. कांथराज के नेतृत्व में शुरू हुई थी। इसके बाद 2020 में के. जयप्रकाश हेगड़े के नेतृत्व में कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने इसे पूरा किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछड़ी जातियों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने OBC और मुस्लिम आरक्षण को बढ़ाने की सिफारिश तो की है लेकिन SC-ST तथा EWS आरक्षण को पहले की तरह ही रखने की बात कही है। अभी इस पर अंतिम फैसला बाक़ी है।

OBC में सबसे बड़ा समूह मुस्लिमों का

कर्नाटक में मुस्लिम OBC में सबसे बड़ा समूह हैं। राज्य में उनकी आबादी 75.25 लाख है। मुस्लिम OBC कर्नाटक के ओबीसी वर्गीकरण की श्रेणी 2B के अंतर्गत आते हैं। इसी के आधार पर रिपोर्ट में उनका आरक्षण 4% से दोगुना करके 8% करने की सिफारिश की गई है।

राज्य की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 18.08% है, जो 2011 की जनगणना में 12.92% बताई गई थी। सर्वे का यह आँकड़ा 2015 का है। ऐसे में 4 साल में मुस्लिम आबादी कर्नाटक में 5.16% बढ़ गई।

रिपोर्ट में इस आरक्षण बढ़ाने के पीछे राज्य में OBC की हिस्सेदारी सबसे अधिक होना कारण बताया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में कुल आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 69.60% है, ऐसे में उन्हें जनसंख्या के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए

क्या 50% की सीमा पार करेगी कॉन्ग्रेस?

इस रिपोर्ट में आरक्षण को 50% से ऊपर ले जाने के क्रम में बाधा को भी पार करने की बात की गई है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के इन्द्रा साहनी मामले में दिए गए फैसले के अनुसार, कोई भी राज्य 50% से अधिक आरक्षण नहीं दे सकता है। EWS आरक्षण इससे अलग है।

यदि कर्नाटक के पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट की सिफारिश मानी गई तो यह आरक्षण 50% से कहीं अधिक 85% हो जाएगा। रिपोर्ट में इसके लिए झारखंड और तमिलनाडु का उदाहरण दिया गया है, जहाँ पहले ही 77% और 69% आरक्षण दिया जा चुका है। रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के इन्द्रा साहनी फैसले को आज के समय में प्रांसगिक ना होना बताया गया है।

राहुल गाँधी कर चुके दीवाल तोड़ने की सिफारिश

कर्नाटक में आरक्षण पर से सीमा हटाने की बात ऐसे समय हो रही है जब राहुल गाँधी हाल ही में इसकी वकालत कर चुके हैं। राहुल गाँधी ने हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 50% आरक्षण की ‘दीवार’ को तोड़ने के पक्ष में है। कर्नाटक में OBC आरक्षण बढ़ाने की सिफारिश और मुस्लिमों को अपने पाले में करने की कोशिश कॉन्ग्रेस की चुनावी तैयारी के तौर पर देखी जा रही है।

क्या आरक्षण से सधेगी ‘अहिन्दा वोट’ की नैया?

कर्नाटक में OBC आरक्षण पर हो रही यह पूरी कवायद ‘अहिन्दा वोट’ साधने की तरकीब मानी जा रही है। राज्य में OBC, मुस्लिम और SC-ST वोट को मिला कर ‘अहिन्दा वोटबैंक’ का नाम दिया जाता है। अहिन्दा शब्द कॉन्ग्रेस के बड़े नेता देवराज उर्स ने दिया था। वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्दारमैया इस फ़ॉर्मूला पर काम करते आए हैं।

कॉन्ग्रेस चाहती है कि वह OBC, मुस्लिम और दलित वोटरों में इन सब कदम से वह और मजबूत हो जाए, जिससे आगामी चुनावों में उसे आसानी हो। जातिगत जनगणना में आरक्षण की सिफारिश के अलावा हाल ही में मुस्लिमों को राज्य में ठेकों में आरक्षण दिया गया था। यह भी इसी दिशा में एक कदम माना गया था।

राज्य यह अहिन्दा वोट लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय से इतर है। लिंगायत परंपरागत रूप से भाजपा जबकि वोक्कालिगा JD(S) के वोटर रहे हैं। वर्तमान में यह दोनों पार्टियां साथ में हैं, ऐसे में कॉन्ग्रेस की चिंताएँ और भी बढ़ गई हैं। ऐसे में वह इन दोनों समुदाय से इतर अपना अहिन्दा वोटबैंक बचाए रखना चाहती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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