Wednesday, November 13, 2024
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दादी इंदिरा के बाद प्रियंका को याद आई गाय: CM योगी को मात देने गाय बचाओ यात्रा… लेकिन पैदल मार्च करेंगे कोई और नेता!

अपनी राजनीतिक रणनीति के संदर्भ में गाय के मुद्दे पर कॉन्ग्रेस हमेशा से ही उदासीन रही है। हालाँकि, इंदिरा गाँधी के दौर में देश के इतिहास की पुराने पार्टी का चुनाव चिन्ह ही गाय और बछड़ा था।

देश के कई राज्यों के चुनाव ऐसे हैं जिनमें फ़िलहाल कुछ समय है लेकिन उनके लिए राजनीतिक खींचतान अभी से ही शुरू हो गई है। इस सूची का एक अहम नाम है उत्तर प्रदेश जिसके लिए कॉन्ग्रेस की तैयारियाँ अभी से शुरू हो चुकी हैं। कॉन्ग्रेस उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर पदयात्रा की योजना बना रही है और निशाने पर होंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। इस पदयात्रा के ज़रिए कॉन्ग्रेस एक और मुद्दे को साधना चाहती है, ‘गौरक्षा’। 

उत्तर प्रदेश की कॉन्ग्रेस इकाई शनिवार (25 दिसंबर 2020) को प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र (ललितपुर से चित्रकूट) से ‘गाय बचाओ किसान बचाओ’ शुरू करेगी। उल्लेखनीय है कि इस पदयात्रा की अगुवाई प्रदेश कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य जैन करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फ़िलहाल इस बात के आसार दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रहे हैं कि प्रियंका गाँधी वाड्रा इस पदयात्रा में शामिल होंगी।

दादी इंदिरा की ‘गाय के इर्द-गिर्द’ राजनीति

अपनी राजनीतिक रणनीति के संदर्भ में गाय के मुद्दे पर कॉन्ग्रेस हमेशा से ही उदासीन रही है। उल्लेखनीय है कि इंदिरा गाँधी के दौर में देश के इतिहास की पुराने पार्टी का चुनाव चिन्ह ही गाय और बछड़ा था। पार्टी नेताओं ने ऐसे नारे बनाए थे जिसमें लोगों से अपील की गई थी कि वह सब कुछ भूल कर गाय और बछड़े को वोट करने। 60 के दशक में बड़े पैमाने पर माँग उठी थी कि गौहत्या पर पाबंदी लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएँ। 

इस पर इंदिरा गाँधी ने शुरुआत में कहा कि वह गौरक्षकों के सामने झुकने वाली नहीं हैं लेकिन जैसे ही विरोध बढ़ा देश की पूर्व प्रधानमंत्री को बैकफुट पर आना पड़ा। यहाँ तक की कॉन्ग्रेस का ही एक हिस्सा गौ हत्या पर पाबंदी के समर्थन में खड़ा था। 1967 के फरवरी में चुनाव भी होने थे और इंदिरा गाँधी समझ चुकी थीं ‘काऊ बेल्ट’ को नाराज़ करने का साफ मतलब था, ‘वोट फ़ीसद में बड़े पैमाने पर गिरावट।’ 

खुद पदयात्रा में शामिल होंगी प्रियंका गाँधी वाड्रा?

समस्या यह थी कि इंदिरा गाँधी पार्टी की छवि और विचारधारा से समझौता नहीं करना चाहती थीं। इस बात को मद्देनज़र रखते हुए उन्होंने बीच का रास्ता निकाला और कहा कि वह गौहत्या के मुद्दे पर बेहद चिंतित हैं। अंततः उन्होंने एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया जिसके सदस्य पशुपालन से जुड़े जानकार थे। ठीक इसी तरह कई दशकों बाद अब प्रियंका गाँधी वाड्रा ने गाय की सुध ली है।

दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन भी जारी है इसलिए पार्टी दोनों मुद्दों के बीच संतुलन बनाने की कवायद में जुटी हुई है। लेकिन अफ़सोस अब तक सामने आई ख़बरों के मुताबिक़ प्रियंका गाँधी वाड्रा खुद इस पदयात्रा में शामिल नहीं हो रही हैं। बल्कि उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस के मुखिया अजय कुमार लल्लू और पार्टी के अन्य नेता इसकी अगुवाई करने वाले हैं।   

गाय के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  

वहीं गाय के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कई उल्लेखनीय पहल की है। पिछले महीने (नवंबर 2020) में उन्होंने गौरक्षा के मुद्दे पर कहा था, “प्रदेश के भीतर सरकार द्वारा संचालित शेल्टर में 5 लाख से अधिक गाय मौजूद हैं। इसके अलावा राज्य में स्थानीय प्रशासन और जनभागीदारी से चलाए जा रहे शेल्टर्स में लगभग 8 लाख गाय मौजूद हैं।” इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने अगस्त में ‘उत्तर प्रदेश निराश्रित गोवंश सहभागिता स्कीम 2020’ शुरू की थी, जिसके तहत 1 आवारा मवेशी को गोद लेने वाले व्यक्ति को सरकार की तरफ से 900 रुपए प्रतिमाह का भुगतान किया जाएगा।    

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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