Thursday, November 14, 2024
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भारत ने कोरोना संकटकाल में कैसे किया चुनौतियों का सामना, किन सुधारों पर दिया जोर: पढ़िए PM मोदी का ब्लॉग

"जब दुनिया भर में वित्तीय संकट था, उस समय भारतीय राज्य 2020-21 में ज्यादा उधार लेने में सफल रहे हैं। आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि हम 2020-21 में राज्य 1.06 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त उधार लेने में सक्षम रहे हैं।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट पर मंगलवार (22 जून 2021) को लिंक्डइन पर एक ब्लॉग लिखा है। पीएम मोदी ने इस ब्लॉग के जरिए समझाया कि किस तरह देश ने केंद्र और राज्यों की भागीदारी के साथ कोरोना काल के दौरान चुनौतियों का सामना किया। पीएम मोदी ने कहा, ”मई 2020 में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सरकार ने यह घोषणा की थी कि राज्य सरकारों को 2020-21 में अतिरिक्त उधार लेने की इजाजत दी जाएगी।”

उन्होंने कहा, “जब दुनिया भर में वित्तीय संकट था, उस समय भारतीय राज्य 2020-21 में ज्यादा उधार लेने में सफल रहे हैं। आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि हम 2020-21 में राज्य 1.06 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त उधार लेने में सक्षम रहे हैं।” PM मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्यों में भागीदारी के रवैये की वजह से ही संसाधनों की उपलब्धता में यह बढ़त संभव हुई।

भारत कोई अपवाद नहीं

पीएम ने ‘प्रोत्साहन और सुधार में विश्वास’ नामक ब्लॉग में लिखा, “कोविड-19 महामारी नीति बनाने के मामले में दुनिया भर की सरकारों के लिए चुनौतियाँ लेकर आई। भारत कोई अपवाद नहीं है। पब्लिक वेलफेयर के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाना सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक साबित हो रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सार्वजनिक वित्त में सुधार के लिए हल्का धक्का देने वाली कहानी है। इस कहानी के मायने यह हैं कि राज्यों को अतिरिक्त धन प्राप्त करने के लिए प्रगतिशील नीतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। पीएम मोदी ने कहा कि इस अभ्यास के परिणाम न केवल उत्साहजनक हैं, बल्कि इस धारणा के विपरीत भी हैं कि तेजतर्रार आर्थिक नीतियों के सीमित खरीदार होते हैं।

चार सुधारों पर दिया जोर

पीएम ने अपने ब्लॉग में कहा कि जिन चार आर्थिक सुधारों से अतिरिक्त उधारी जुड़ी हुई थी (जीडीपी का 0.25 फीसद हर एक से जुड़ा था), उनकी दो विशेषताएँ थीं। खासकर गरीब और ​वंचित तबके के जीवनस्तर में सुधार हो और इसके साथ राज्यों की राजकोषीय स्थिरता भी बनी रहे।

पहले सुधार में वन नेशन वन राशन कार्ड

पहले सुधार के तहत उन्होंने उल्लेख किया कि ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ (One Nation One Ration Card) नीति के तहत राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता थी कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत में राज्य में सभी राशन कार्ड सभी परिवार के सदस्यों की आधार संख्या के साथ लिंक हों और राशन की सभी दुकानों के पास इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस उपलब्ध हों।

इससे प्रवासी मजदूर देश में कहीं से भी अपना राशन प्राप्त कर सकते हैं। नागरिकों को इन लाभों के अलावा, फर्जी कार्ड और डुप्लिकेट सदस्यों के हटने से वित्तीय फायदा भी हुआ है। 17 राज्यों ने इस सुधार को पूरा किया और उन्हें 37600 करोड़ रुपए उधार मिले।

दूसरे सुधार में कारोबारी सुगमता को बढ़ाना

दूसरे सुधार में कारोबारी सुगमता को बढ़ाना था। इसके तहत राज्यों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता थी कि वे 7 एक्ट के तहत व्यापार से संबंधित लाइसेंस को मामूली भुगतान के साथ ऑटोमेटिक, ऑनलाइन और सबके लिए आसान बनाएँ। यह सुधार (19 कानूनों को शामिल करते हुए) सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए विशेष रूप से मददगार है, जो ‘इंस्पेक्टर राज’ से सबसे अधिक पीड़ित हैं। यह एक बेहतर निवेश माहौल, अधिक निवेश और तेज विकास को भी बढ़ावा देता है। 20 राज्यों ने इस सुधार को पूरा किया और उन्हें 39521 करोड़ रुपए अतिरिक्त उधार मिले।

तीसरे सुधार में सीवरेज चार्ज की न्यूनतम दरों को नोटिफाई करना

तीसरे सुधार में राज्यों को प्रॉपर्टी टैक्स और वॉटर-सीवरेज चार्ज की न्यूनतम दरों को नोटिफाई करना था। वहीं, शहरी इलाकों में प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन वैल्यू और करंट कॉस्ट के लिए स्टाम्प ड्यूटी गाइडलाइन को अधिसूचित करना था। इससे शहरी गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों को बेहतर गुणवत्ता की सेवा हासिल हो सकेगी। इस सुधार से नगर निगम के कर्मचारियों को भी लाभ होता है, जिन्हें अक्सर मजदूरी के भुगतान में देरी का सामना करना पड़ता है। 11 राज्यों ने इन सुधारों को पूरा किया और उन्हें 15957 करोड़ रुपए की अतिरिक्त उधारी दी गई।

चौथे सुधार में किसानों को मुफ्त बिजली

चौथे सुधार में किसानों को मुफ्त बिजली सप्लाई के बदले डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से जोड़ा जाए। इसके लिए राज्यव्यापी नीति बनानी थी और राज्य के किसी एक जिले में इसे पूरी तरह से पायलट आधार पर लागू करना था। इससे जीएसडीपी के 0.15% की अतिरिक्त उधारी जुड़ी हुई थी। यह वितरण कंपनियों के वित्त में सुधार करता है, पानी और ऊर्जा के संरक्षण को बढ़ावा देता है और बेहतर वित्तीय और तकनीकी प्रदर्शन के माध्यम से सेवा की गुणवत्ता में सुधार करता है। 13 राज्यों ने कम से कम एक कम्पोनेंट को लागू किया, जबकि 6 राज्यों ने डीबीटी को लागू किया। नतीजतन, उन्हें 13201 करोड़ रुपए अतिरिक्त उधारी की अनुमति दी गई।

बता दें कि पीएम मोदी ने साथ ही यह भी कहा, “मैं उन सभी राज्यों का आभारी हूँ, जो नागरिकों की बेहतरी के लिए ऐसे कठिन समय में भी इन नीतियों को अपनाने में आगे रहे हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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