Sunday, May 5, 2024
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भगवा कुर्ते में रवींद्र जडेजा ने बता दिया अपना पॉलिटकल प्लान, कहा- अबकी बार रिवाबा रहेंगी अटैकिंग: जामनगर से BJP कैंडिडेट हैं रिवाबा

जडेजा ने कहा है कि पॉलिटकल पिच पर वे फिलहाल डिफेंसिव ही रहेंगे। उनकी पत्नी को राजनीति के मैदान पर खेलना है, इसलिए वह अटैकिंग रहेंगी।

गुजरात (Gujarat Assembly Election 2022) की जामनगर उत्तर सीट का चर्चा में है। बीजेपी ने यहाँ से क्रिकेटर रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) की पत्नी रिवाबा को उम्मीदवार बनाया है। जाडेजा की बहन यहाँ कॉन्ग्रेस की प्रमुख नेत्री हैं। ननद-भौजाई की इस टक्कर के बीच रवींद्र जडेजा के राजनीति में एंट्री लेने को लेकर भी अटकलें लग रही है।

सोमवार (14 नवंबर 2022) को रिवाबा ने नामांकन भरा। इस दौरान रवींद्र जडेजा भी उनके साथ थे। नामांकन से पहले मीडिया से हुई बातचीत में जडेजा ने अपनी राजनीतिक पारी को लेकर भी बात की। नामांकन दाखिल करने से पहले जडेजा दंपती बीजेपी के एक स्थानीय कार्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुँचे। इस कार्यक्रम में रवींद्र जडेजा भगवा कुर्ते में मंच पर बैठे हुए दिखाई दिए।

भाजपा ने मौजूदा विधायक धर्मेंद्र जडेजा का टिकट काटते हुए रिवाबा को उम्मीदवारी दी दी है। पत्नी के समर्थन में सक्रिय दिख रहे जडेजा ने कहा है कि पॉलिटकल पिच पर वे फिलहाल डिफेंसिव ही रहेंगे। उनकी पत्नी को राजनीति के मैदान पर खेलना है, इसलिए वह अटैकिंग रहेंगी।

रवींद्र जडेजा ने रविवार (13 नवंबर 2022) को एक वीडियो ट्वीट कर रिवाबा के लिए वोट माँगे थे। अगले दिन वह भगवा कुर्ते में नजर आए। इसलिए, राजनीतिक हल्के से लेकर सोशल मीडिया तक इस बात की चर्चा थी कि पत्नी रिवाबा की तरह वह भी राजनीति में उतर सकते हैं। ऐसे में, मीडिया से हुई बातचीत में जब जडेजा से उनकी राजनीतिक पारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझमें अभी भी 4-5 साल की क्रिकेट बाकी है, इसके बाद मैं भी पॉलिटिक्स में एंट्री करूँगा।

रवींद्र जडेजा की बहन नैना जडेजा जामनगर में महिला कॉन्ग्रेस की अध्यक्ष हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी साख रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा ने उनका तोड़ निकालते हुए रिवाबा को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, रिवाबा ने हाल ही में दावा किया था कि उन्हें मेहनत की बदौलत टिकट मिली है। उन्होंने कहा था कि मैं और मेरे पति 2015 में पीएम मोदी से मिले थे, उसके बाद 2019 में मैंने बीजेपी ज्वाइन की। 200 गाँवों में बतौर कार्यकर्ता घूमी। मुझे मेहनत से टिकट मिली है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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