Thursday, July 10, 2025
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उत्तराखंड में जीत रही बीजेपी: 6000 वोटों से हारे सीएम पुष्कर सिंह धामी, कॉन्ग्रेस के हरीश रावत को भी 16000 वोटों से मिली मात

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत (Harish Rawat) भी लालकुआँ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। उन्हें भाजपा के उम्मीदवार मोहन सिंह बिष्ट ने करीब 16000 वोटों के बड़े अंतर से पटखनी दी।

उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों (Uttarakhand Assembly Election-2022) के लिए मतगणना लगातार जारी है। रुज्ञानों से ये स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश में भाजपा दोबारा से सरकार बना रही है, लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) प्रदेश की खटीमा सीट से चुनाव हार गए हैं। इसके अलावा कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत (Harish Rawat) भी लालकुआँ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। उन्हें भाजपा के उम्मीदवार मोहन सिंह बिष्ट ने करीब 16000 वोटों के बड़े अंतर से पटखनी दी।

रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा विधानसभा सीट से कॉन्ग्रेस के भुवन कापड़ी ने 6000 वोटों के अंतर से हराया। लेकिन बावजूद इसके बीजेपी ने प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन किया है। चुनाव आय़ोग के मुताबिक, बीजेपी पहाड़ी राज्य में 47 सीटों पर आगे चल रही है। जीत का ये आँकड़ा लगातार बढ़ रहा है। यहाँ कॉन्ग्रेस केवल 19 सीटों पर सिमटती दिख रही है। जबकि 2 सीटें खबर लिखे जाने तक अन्य के खाते में जाती दिख रही हैं।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में 2017 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो उस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन उनकी कार्यशैली से पार्टी में अंदरूनी तौर पर विरोध के स्वर उठे, जिसके बाद चार साल बाद त्रिवेंद्र रावत की जगह तीरथ रावत को सीएम बनाया गया। हालाँकि, उनकी बयानबाजियों ने पार्टी असहज स्थिति में ला दिया। ऐसा प्रतीत होने लगा था कि राज्य में बीजेपी 20 सीटों तक सिमट सकती है। इन हालातों से निपटने के बाद तीसरी बार पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया। हुआ भी यही कि 8 महीने के अथक परिश्रम के बाद धामी ने बीजेपी को फिर से फाइट में ला दिया। बहरहाल अब उनके चुनाव हारने के बाद इस बात का सवाल खड़ा हो गया है कि राज्य के अगले सीएम कौन होंगे? इस बात का पता तो चुनाव के बाद ही पता चल सकेगा।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीट है। बहुमत के लिए 36 सीटें चाहिए। इस बार 65.10 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2017 के विधानसभा चुनावों (65.56) से थोड़ा ही कम है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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