Thursday, May 22, 2025
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कोलकाता में नकली वैक्सीन कैंप लगाने वाले फर्जी IAS केस में सीबीआई जाँच की माँग, शुभेन्दु अधिकारी ने बताया- TMC की साजिश

''पश्चिम बंगाल सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने केंद्र को फँसाने के लिए एक बड़ी साजिश रची है। वे विवादित पहचान वाले लोगों को शिविर आयोजित करने में मदद कर रहे हैं, जहाँ नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए नकली टीके दिए गए थे। यदि किसी टीके का लोगों पर प्रतिकूल असर पड़ता है तो टीएमसी..."

कोलकाता के कसबा में कोरोना वैक्सीन का कैंप लगाने वाले फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन देब के मामले में सीबीआई जाँच की माँग की गई है। वैक्सीन घोटाले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में वकील संदीपन दास ने एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें राज्य में वैक्सीन घोटाले को लेकर सीबीआई द्वारा स्वतंत्र जाँच की माँग की गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में शनिवार (26 जून 2021) को फर्जी आईएएस अधिकारी के तीन और सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ”देब के दो सहयोगी कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के नाम से आरोपित द्वारा खोले गए बैंक खाते के हस्ताक्षरकर्ता थे। देब के साथ काम करने वाला तीसरा आरोपित शिविर में काफी सक्रियता से हिस्सा ले रहा था, जहाँ कई लोगों को नकली टीके की खुराक दी गई थी।”

अधिकारी ने आगे बताया, ”इनमें से एक सॉल्ट लेक का निवासी है, जबकि दूसरा बारासात का रहने वाला है। दोनों को गिरफ्तारी से पहले पूछताछ के लिए लाया गया था।” उन्होंने बताया कि तीसरा व्यक्ति तालतला का रहने वाला है। शिविर के आयोजन में बेहद सक्रियता से मदद करते पाए जाने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस बीच कसबा पुलिस थाना में देब के खिलाफ तीन और मामले दर्ज किए हैं।

दरअसल, खुद को आईएएस अधिकारी बताकर कसबा इलाके में कोविड-19 टीकाकरण शिविर आयोजित करने के आरोप में देब को बुधवार (23 जून 2021) को गिरफ्तार किया गया था। इस शिविर में तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती ने भी टीके की खुराक ली थी, जो अब पेट दर्द की शिकायत कर रही हैं। बताया जा रहा है कि देबांजन की ओर से आयोजित कोरोना वैक्सीन कैंप में टीएमसी सांसद मिमी चक्रवर्ती सहित अन्य लोगों को कोविशील्ड की जगह Amikacin Injection दी गई थी। फर्जी टीकाकरण मामले की जाँच के लिए कोलकाता पुलिस ने शुक्रवार (25 जून 2021) को एक विशेष जाँच दल (SIT) का गठन किया।

मालूम हो कि देबांजन देब द्वारा खुद को आईएएस अधिकारी बताकर यह फर्जी टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा था। इस मामले को लेकर राजनीति भी गरमा गई है। बीजेपी ने भी इसे केंद्र के खिलाफ बड़ी साजिश बताते हुए इसकी सीबीआई जाँच कराने की माँग की है। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि यह TMC की एक साजिश है। उन्होंने कहा, ”पश्चिम बंगाल सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने केंद्र को फँसाने के लिए एक बड़ी साजिश रची है। वे विवादित पहचान वाले लोगों को शिविर आयोजित करने में मदद कर रहे हैं, जहाँ नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए नकली टीके दिए गए थे। यदि किसी टीके का लोगों पर प्रतिकूल असर पड़ता है तो टीएमसी नकली टीके उपलब्ध कराने के लिए केंद्र को दोषी ठहराएगी। यह एक बड़ी साजिश है। सीबीआई जैसी बड़ी एजेंसी ही सच्‍चाई सामने ला सकती है।”

बता दें कि देबांजन देब ने स्वीकार किया है कि उसने फर्जी पहचान बनाई। वह केएमसी ठेकेदारों से कहता था कि वह टेंडरों के लिए सब कॉन्ट्रैक्ट लेगा। उसने दो लोगों से ठगी भी की है। एक से 10 लाख रुपए और दूसरे से 90 लाख रुपए ठगे। वहीं, देबांजन के ट्वीटर अकाउंट पर टीएमसी के कई मंत्रियों और नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें हैं। इनमें मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी से लेकर सांसद डॉ शांतनु सेन आदि शामिल हैं। हालाँकि, तृणमूल कॉन्ग्रेस नेतृत्व ने मामले में किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया है।

फर्जी आईएएस अधिकारी पर कई मामले दर्ज

रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक निजी कंपनी ने 172 कर्मचारियों के टीकाकरण के लिए देब को करीब 1.2 लाख रुपए देने का दावा करते हुए कसबा पुलिस थाना में एक शिकायत दर्ज कराई है। वहीं, दूसरी शिकायत एक ठेकेदार ने दर्ज कराई है, जिसने एक स्टेडियम के निर्माण को लेकर निविदा के लिए उसे 90 लाख रुपए देने का दावा किया है। इसके अलावा तीसरी शिकायत एक दवा कंपनी ने दर्ज कराई है, जिसने निविदा के लिए देब को 4 लाख रुपए भुगतान करने का दावा किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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