म्यांमार में शुक्रवार (28 मार्च 2025) को 7.7 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया, जिसके बाद हर तरफ तबाही फैल गई। इसका असला पड़ोसी देश थाईलैंड में भी पड़ा है, वहाँ भी व्यापक नुकसान की शुरुआती खबर है। स्थानीय समयानुसार दोपहर 12:50 बजे ये धरती काँपी और इसके 12 मिनट बाद 6.8 का झटका फिर लगा। इसका केंद्र सागाइंग शहर से 16 किमी दूर था, सिर्फ 10 किमी की गहराई पर।
खबरों के मुताबिक, म्यांमार में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। मांडले में एक मस्जिद ढह गई, जहाँ नमाज पढ़ रहे लोग मलबे में दब गए। वहाँ से 20 मौतों की खबर है। एक यूनिवर्सिटी में आग लग गई और लोग डर से चीखते-भागते दिखे। नेपीडॉ की सड़कें टूट गईं, और 1000 बेड वाला अस्पताल घायलों से भर गया। म्यांमार की सेना ने आपातकाल घोषित कर दुनिया से मदद माँगी है।
इस भूकंप का असर थाईलैंड तक पहुँचा। बैंकॉक में 900 किमी दूर एक 30 मंजिला इमारत ढह गई, जिसमें 78 मजदूर फँस गए। तीन की मौत हो चुकी है। बांग सू के डिप्टी पुलिस चीफ वोरापत सुकथाई ने कहा, “मैंने लोगों को मदद माँगते सुना, पर घायलों की संख्या अभी साफ नहीं।”
A 7.7 magnitude Mandalay earthquake was also felt in Bangkok, where an entire construction building has collapsed. pic.twitter.com/0moBXpj1sG
— Heung Min Son (@heungburma) March 28, 2025
इस बीच, थाई पीएम पेतोंगतार्न शिनवात्रा ने आपात बैठक बुलाई और बैंकॉक में आपातकाल लगा दिया। मेट्रो-रेल सेवाएँ बंद कर दी गई हैं, लोग सड़कों पर डरे हुए हैं। भूकंप का असर चीन के युन्नान, भारत के कोलकाता, मणिपुर और बांग्लादेश के ढाका-चटगाँव तक पड़ा है।।
मांडले का मशहूर महामुनि पगोड़ा भी टूट गया, जिसे भारत ने 2020 में ठीक करवाया था। 2016 में भी भूकंप ने इसे तोड़ा था। ये बौद्धों का पवित्र स्थल है, जहाँ हर दिन भक्तों की भीड़ रहती है। अब फिर से मलबे में बदल गया। म्यांमार का सागाइंग फॉल्ट भूकंपों के लिए जाना जाता है।
बता दें कि 1930 से 1956 तक 6 बड़े भूकंप आए थे। साल 2016 में बागान में 6.8 तीव्रता से तीन लोग मारे गए थे। इस बार भी मांडले में इरावदी नदी का पुराना अवा ब्रिज ढह गया। लोग डरे हुए हैं, घरों में जाने की हिम्मत नहीं। म्यांमार की खराब मेडिकल सुविधाएँ मुसीबत बढ़ा रही हैं। हर तरफ अफरा-तफरी है, लोग अपनों को ढूँढ रहे हैं।