बांग्लादेश में बंगाली नववर्ष को इस्लामिक त्योहार में बदलने की कोशिश हो रही है। कुछ कट्टरपंथी 14 अप्रैल को होने वाले पोहेला बोइशाख के मौके पर 100 गायों को काटने की धमकी दे रहे हैं। ये त्योहार दो महीने से भी कम वक्त में आने वाला है और इससे हिंदू समुदाय के लोग खासे परेशान हैं। पोहेला बोइशाख वसंत के आने और फसल के मौसम की खुशी का त्योहार है।
ढाका के रमना पार्क में हर साल रमना बतमूल बरगद के पेड़ के नीचे पोहेला बोइशाख के मौके पर बड़ा सांस्कृतिक आयोजन होता है। इस कार्यक्रम को छायानट संगीत विद्यालय चलाता है, जो 1961 में बना था और बंगाली संस्कृति व संगीत को बढ़ावा देता है।
18 फरवरी को बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सलाहकार मोस्तफा सरवर फारूकी से इस धमकी के बारे में पूछा गया। एक रिपोर्टर ने बताया कि ये धमकियाँ सोशल मीडिया पर खुलेआम दी जा रही हैं। लेकिन फारूकी ने इसे हल्के में लिया और कहा, “सोशल मीडिया पर तो लोग बहुत कुछ कहते हैं, हम हर बात का जवाब नहीं दे सकते।” रिपोर्टर ने कहा कि सोशल मीडिया की धमकियाँ असल जिंदगी में हमलों में बदल सकती हैं।
फारूकी ने फिर कहा, “पोहेला बोइशाख बड़ा त्योहार है। इसे हमेशा की तरह ही मनाया जाएगा। बस इतना कह सकता हूँ।” हालाँकि इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ लगाकार हिंदुओं के आयोजनों पर हमले बोलती रही है, जो खुद को ‘तौहीदी जनता‘ कहती है।
इस्लामी कट्टरपंथियों को शह दे रही यूनुस सरकार
मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार इस्लामिक कट्टरपंथियों को शह दे रही है। यूनुस ने इन भीड़ के हमलों को रोकने के लिए कुछ नहीं कहा। उसकी सरकार ने कट्टर इस्लामिक नेताओं और दोषी आतंकियों को रिहा किया है और हिंदुओं पर हमलों को ‘झूठा’, ‘बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया’ या ‘राजनीति से प्रेरित’ कहकर खारिज किया है।
रमना पार्क में 100 गायों को काटने की धमकी को गंभीरता से लेना चाहिए। पहले भी 14 अप्रैल 2001 को इस्लामिक आतंकी संगठन ‘हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लाजी’ ने रमना पार्क में दो बम धमाके किए थे, जिसमें 9 लोग मारे गए थे और 50 से ज्यादा घायल हुए थे।

उस हमले के 8 आतंकियों मुफ्ती अब्दुल हन्नान, मौलाना अकबर हुसैन, मौलाना मोहम्मद ताजुद्दीन, हाफिज जहाँगीर आलम बादर, मौलाना अबु बकर, मुफ्ती शफीकुर रहमान, मुफ्ती अब्दुल हई और आरिफ हसन को 2014 में फाँसी की सजा सुनाई गई थी।
इस मामले में कुछ और आतंकियों मौलाना अबु ताहेर, मौलाना सब्बीर उर्फ अब्दुल हन्नान, मौलाना याहिया, मौलाना शौकत उस्मान, मौलाना अब्दुर रऊफ और शहादत उल्लाह को उम्रकैद की सजा मिली। लेकिन ताजुद्दीन, हाफिज जहाँगीर, मौलाना अबु बकर, मुफ्ती शफीकुर और मुफ्ती हई जैसे आतंकी 24 साल बाद भी फरार हैं।
मुहम्मद यूनुस की सरकार की तरफ से पोहेला बोइशाख पर धमकियों के खिलाफ कोई ठोस भरोसा नहीं मिला है। ऐसे में हिंदू समुदाय इस त्योहार से पहले डरा हुआ है। बता दें कि शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर जमकर अत्याचार हुए हैं, हालाँकि यूनुस सरकार इन हमलों को लगातार छिपाने में लगी है।