शांति और खूबसूरती के लिए दुनिया भर में पहचाना जाने वाला न्यूजीलैंड इन दिनों अशांति की खबरों से चर्चा में है। यहाँ सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें गैर-ईसाई धर्मों (हिंदू, मुस्लिम, सिख), प्रवासियों, फिलिस्तीनी समुदायों और यहाँ तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को निशाना बनाया जा रहा है। इन प्रदर्शनों की अगुवाई एक माओरी मूल का धार्मिक नेता ब्रायन तमाकी कर रहा है, जो डेस्टिनी चर्च नामक संगठन चलाता है।
प्रदर्शनों में माओरी युद्ध नृत्य ‘हाका’ और हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, फिलिस्तीनी झंडों को जलाने जैसे भड़काऊ कदम उठाए गए हैं। ये सब न्यूजीलैंड की उस छवि को नुकसान पहुँचा रहे हैं, जो इसे सभी धर्मों और संस्कृतियों को अपनाने वाला ‘अंब्रेला कंट्री’ बनाती है।
इस प्रदर्शन के दौरान माओरी युद्ध नृत्य ‘हाका’ और धार्मिक झंडों को जलाने जैसे भड़काऊ कदम उठाए गए हैं, जिससे न्यूजीलैंड की बहुसांस्कृतिक छवि को ठेस पहुँची है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें हिंदुओं और खालिस्तानियों के खिलाफ प्रदर्शन के दावे किए जा रहे हैं।
इन प्रदर्शनों के वीडियो और तस्वीरें लोग अपने ‘हिसाब’ से पोस्ट कर रहे हैं। इस्लामी हैंडल और कथित सेकुलर लोग ये कहकर इस प्रदर्शन का वीडियो शेयर कर रहे हैं कि न्यूजीलैंड में हिंदुओं का विरोध हो रहा है।
न्यूजीलैंड में भी में हिंदू खतरे में आ गया
— Mehreen Mehmood Mufti (@MMufti786) June 24, 2025
न्यूजीलैंड में हिंदू आबादी बढ़ने और हिंदू कल्चर के आने की वजह से न्यूजीलैंड के देसी लोगों ने हिंदुओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है,,देसी लोगों ने न्यूजीलैंड से हिंदुओं को निकालने का किया ऐलान pic.twitter.com/bUMngiKJN8
फातिमा जैसे हैंडल्स को इसी बात की खुशी हो रही है कि हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है।
न्यूज़ीलैंड में हिंदू आबादी के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ देशी माओरी जनजातीय समुदाय के सदस्य विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और हिंदुत्व के झंडे फाड़ रहे हैं। इस तथाकथित संस्कारी समुदाय की शरारतों से हर कोई तंग है। pic.twitter.com/nEGe4Cf3Bj
— Mishkat Fatima 🆇™ (@realMishkat) June 23, 2025
वहीं श्रवण पासवान नाम के ट्विटर हैंडल ने वीडियो शेयर करते हुए इस बात पर खुशी जताई कि न्यूजीलैंड में हिंदू (ब्राह्मणों) के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरी है।
न्यूजीलैंड में हिंदू ( ब्राह्मणों ) के खिलाफ सड़कों पर निकला जनता – pic.twitter.com/wd4gZuF67A
— Shrawan kumar paswan (@SkpGmail) June 25, 2025
हालाँकि इन प्रदर्शनों का विरोध भी हो रहा है। आखिर इस अशांति की जड़ क्या है? ‘अंब्रेला कंट्री’ यानी सभी को समेटने वाले देश न्यूजीलैंड में ऐसा क्यों हो रहा है? इस पूरे मामले को विस्तार से समझाते हैं
न्यूजीलैंड में विरोध प्रदर्शन का मामला क्या है?
न्यूजीलैंड की आबादी करीब 53 लाख है और यह देश हमेशा से प्रवासियों के लिए खुला रहा है। लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद, यानी 2022 से, यहाँ प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इससे कई समस्याएँ सामने आई हैं, जैसे मकानों की कमी और किराए में भारी बढ़ोतरी। लोग परेशान हैं कि उनके लिए घर और नौकरियाँ कम पड़ रही हैं। सरकार ने कोशिश की है कि कुशल प्रवासियों जैसे शिक्षकों या डॉक्टरों को प्राथमिकता दी जाए, लेकिन स्थानीय लोगों को लगता है कि प्रवासी उनके संसाधन छीन रहे हैं।
इन प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले ब्रायन तमाकी के एक्स हैंडल पर एक 40 मिनट से भी ज्यादा का वीडियो मिला, जिसमें वो और उनके ‘प्रदर्शनकारी’ अनुयाई सभी गैर-ईसाइयों के खिलाफ आग उगल रहे हैं।
💥SHOWDOWN TIME IN NZ!
— Brian Tamaki (@BrianTamakiNZ) June 21, 2025
FLAGS FALL & CHRIST IS LIFTED.
👀 Watch to the end where it gets dramatic and FLAGS FALL!
Christianity vs Foreign Religions & Ideologies.
When we declared in the Public Square that Jesus Christ is Lord of this Nation!
This is our Land. This is our… pic.twitter.com/YxyxSZ2B8j
हालाँकि इस मामले पर न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने भी बयान दिया था कि इतना ज्यादा प्रवास ‘लंबे समय तक चल नहीं सकता।’ इसके साथ ही कई न्यूजीलैंडवासी बेहतर नौकरियों और जिंदगी की तलाश में ऑस्ट्रेलिया जा रहे हैं। 2023 में 47,000 लोग देश छोड़कर चले गए, जो एक रिकॉर्ड है। इस स्थिति ने कुछ लोगों में गुस्सा और असुरक्षा की भावना पैदा की है।
धार्मिक और सांस्कृतिक टकराव एक जगह लाए ब्रायन तमाकी
इसी माहौल में ब्रायन तमाकी और उनके डेस्टिनी चर्च ने गैर-ईसाई धर्मों और प्रवासियों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किए। 21 जून 2025 को ऑकलैंड में हुए एक प्रदर्शन में हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध और फिलिस्तीनी झंडों को जलाया गया। प्रदर्शनकारी माओरी युद्ध नृत्य ‘हाका’ कर रहे थे, जो माओरी संस्कृति का एक पवित्र हिस्सा है। तमाकी का कहना है कि गैर-ईसाई धर्मों का प्रसार ‘नियंत्रण से बाहर’ हो गया है और प्रवासियों का बिना न्यूजीलैंड की संस्कृति को आत्मसात हुए आना ‘अतिक्रमण‘ है।
न्यूजीलैंड की ‘अंब्रेला कंट्री’ छवि पर खतरा
न्यूजीलैंड को ‘अंब्रेला कंट्री’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ हर धर्म और संस्कृति के लोग शांति से रहते हैं। लेकिन तमाकी के प्रदर्शन ने इस एकता को चुनौती दी है। हालाँकि न्यूजीलैंड के नेताओं ने इसे सख्ती से नकारा है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री डेविड सेमुर ने इसे ‘गैर-न्यूजीलैंड जैसा’ बताया और कहा कि यहाँ सभी धर्मों और संस्कृतियों का स्वागत है, बशर्ते वे शांति से रहें।
पुलिस मंत्री मार्क मिशेल ने भी प्रदर्शन को ‘घृणास्पद’ करार दिया, खासकर माओरी युद्ध हथियार ‘ताइहा’ का इस्तेमाल धार्मिक झंडों को नष्ट करने के लिए करना गलत बताया। विभिन्न धार्मिक संगठनों ने एकजुट होकर तमाकी की निंदा की और कहा कि न्यूजीलैंड की ताकत उसकी विविधता में है।
हालाँकि न्यूजीलैंड में अभी हालात इतने खराब नहीं हैं, लेकिन तमाकी जैसे नेताओं के उत्तेजक बयान और प्रदर्शन अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर इसे रोका नहीं गया, तो न्यूजीलैंड की शांति और एकता को नुकसान पहुँच सकता है।
क्यों पड़ेगा फर्क?
ये प्रदर्शन न्यूजीलैंड की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा हैं। अगर धार्मिक और प्रवासी समुदायों के खिलाफ नफरत बढ़ती है, तो देश की बहुसांस्कृतिक छवि को नुकसान होगा। इससे पर्यटन, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है। साथ ही सामाजिक तनाव बढ़ने से अपराध और हिंसा की घटनाएँ बढ़ सकती हैं, जैसा कि 2019 के क्राइस्टचर्च मस्जिद हमले जैसे मामलों में देखा गया। धार्मिक संगठनों ने सरकार से नफरत भरे भाषणों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की माँग की है, ताकि ऐसी घटनाएँ रोकी जा सकें।
कौन है प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाला ब्रायन तमाकी
ब्रायन रेमंड तमाकी का जन्म 2 फरवरी, 1958 को न्यूजीलैंड के वाइकाटो क्षेत्र में हुआ। वे माओरी मूल के हैं और ताइनुई जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। 15 साल की उम्र में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और जंगल में मजदूरी शुरू की। किशोरावस्था में तमाकी की मुलाकात हन्नाह ली से हुई। उनका रिश्ता तूफानी था। एक बार हन्नाह ने तमाकी पर चाकू से हमला किया, और वे बाथरूम में बंद होकर बमुश्किल बचे। 1978 में उनके पहले बच्चे का जन्म हुआ, जो शादी से पहले था। 1980 में तमाकी और हन्नाह ने तोकोरोआ के एक चर्च में शादी की। इसके बाद उनके दो और बच्चे हुए।
डेस्टिनी चर्च की स्थापना
1982 में तमाकी और हन्नाह ने बाइबल कॉलेज में पढ़ाई की और फिर तोकोरोआ में पादरी बने। 1980 के दशक में उन्होंने कई चर्च शुरू किए और 1998 में डेस्टिनी चर्च की नींव रखी। यह चर्च अपनी कट्टरपंथी विचारधारा के लिए जाना जाता है, जो समलैंगिकता, गैर-परंपरागत परिवार मूल्यों और आधुनिक सामाजिक बदलावों का विरोध करता है। तमाकी खुद को ‘बिशप’ कहते हैं और समृद्धि धर्मशास्त्र को बढ़ावा देते हैं, जिसमें धन और सफलता को ईश्वर की देन माना जाता है। यह विचारधारा कई बार विवादास्पद रही, क्योंकि इसे अनैतिक और खतरनाक माना गया।
राजनीतिक में कई बार मिली करारी शिकस्त
तमाकी ने कई बार राजनीति में कदम रखने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रहे। 2003 में उनके समर्थकों ने डेस्टिनी न्यूजीलैंड पार्टी बनाई, जो 2005 के चुनाव में केवल 0.6% वोट पा सकी। 2019 में उनकी पत्नी हन्नाह ने विजन न्यूजीलैंड पार्टी शुरू की, जो गर्भपात और समलैंगिकता जैसे मुद्दों पर केंद्रित थी। 2022 में तमाकी ने फ्रीडम्स न्यूजीलैंड पार्टी बनाई, जो 2023 के चुनाव में 0.33% वोट के साथ नाकाम रही।
तमाकी का प्रभाव सीमित है, लेकिन उनके उत्तेजक बयान और प्रदर्शन सोशल मीडिया के जरिए वायरल होते हैं, जिससे वे चर्चा में रहते हैं। कुल मिलाकर तमाकी का जीवन बेहद उठापटक भरा रहा है और इन प्रदर्शनों के जरिए वो न्यूजीलैंड की राजनीति में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
ब्रायन तमाकी के नेतृत्व में न्यूजीलैंड में हो रहे प्रदर्शन देश की शांति और बहुसांस्कृतिक छवि के लिए चुनौती हैं। प्रवास, आवास संकट और सांस्कृतिक तनाव जैसे मुद्दों ने न्यूजीलैंड की सामाजिक एकता को खतरा पैदा किया है। ऐसे में अब न्यूजीलैंड के सामने अब अपनी ‘अंब्रेला कंट्री’ की पहचान को बचाने की भी चुनौती है और यह तभी संभव होगा जब एकता और सम्मान के मूल्यों को बढ़ावा दिया जाए।