जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया। 7 मई 2025 को पाकिस्तान और POK में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने के बाद 10 मई 2025 को भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान के 11 हवाई अड्डों पर हमला किया। इनमें पाक के सबसे महत्वपूर्ण 3 एयरबेस- जकोबाबाद, चकलाला (रावलपिंडी) और सरगोधा हवाई अड्डे भी थे। इन हमलों से पाकिस्तानी सेना में भूचाल आ गया।
असल में ये 3 सैन्य हवाईअड्डे पाकिस्तान के पास अमेरिका से भेजे गए F-16 फाइटर जेट्स के रखरखाव, संचालन और डिप्लॉयमेंट के लिए सबसे जरूरी हैं। इसके अलावा यहाँ पर ट्रेनिंग और सशस्त्र जखीरे जैसे आवश्यक चीजें भी हैं।
चकलाला पर हमला खास तौर पर इसलिए भी जरूरी था क्योंकि यह पाकिस्तान का एक ट्रांसपोर्ट हब होने के साथ साथ एयर-रिफ्यूलिंग एसेट के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण जगह है। इसी जगह पर पाकिस्तान के प्रमुख ट्रांसपोर्ट स्वाड्रन्स हैं और यहीं से लड़ाकी विमानों की सीमा बढ़ाई जाती है। C-130 हरक्यूलिस और IL-78 मिड-एयर रिफ्यूलर जैसे विमान यहाँ पर रखे जाते हैं। ये लॉजिस्टिक्स और स्ट्रैटेजिक एयरलिफ्ट ऑपरेशन के लिए जरूरी हैं।
इन वायुसेना अड्डों पर भारत के हमले से पाकिस्तान एक तरह से पंगु हो गया है। चकलाला पाकिस्तान के रणनीतिक योजनाओं के विभाग (Strategic Plans Division) के भी सबसे पास में स्थित है, जहाँ पर देश के परमाणु शस्त्रागार की देखरेख की जाती है।
इस हमले ने इस्लामाबाद को घुटनों पर ला दिया है। इसी के कारण पाकिस्तान को अमेरिका से बीचबचाव की दरख्वास्त करनी पड़ गई।
जनरल मुनीर ने वॉशिंगटन के आगे फैलाए हाथ
इस हमले को 1971 के बाद से सबसे बड़ा भारतीय सैन्य हमला कहा जा रहा है। पाकिस्तानी फौज के प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात कर भारत के साथ बढ़ रहे तनाव को कम करने के लिए अमेरिका को दखल देने की गुजारिश की।
पाकिस्तान की गुजारिश के कुछ समय बाद रुबियो ने दोनों देशों से बातचीत शुरू करने के पेशकश की। साथ ही इस मुद्दे पर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से चर्चा की। अमेरिका ने मध्यस्थता करने और भारत और उसके पड़ोसी देश के बीच भविष्य के संघर्षों को कम करने में मदद करने का प्रस्ताव भी दिया।
इसके तुरंत बाद, पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO), मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारतीय अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से बात कर दुश्मनी रोकने की पेशकश की। भारतीय अधिकारियों ने इस प्रस्ताव को पाकिस्तान के एयर डिफेंस और सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को धराशायी करने का प्रत्यक्ष सबूत माना।
वायु सेना की बेहतरी ने क्षेत्रीय सैन्य संतुलन को किया मजबूत
भारत ने कुल 11 पाकिस्तानी एयरबेस और दो राडार साइट्स को निशाना बनाया। इतने कम समय में इतना बड़ा हमला कर सैना के लिए एक ‘नया सामान्य’ स्थापित कर दिया है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया देने में अक्षमता उसके ध्वस्त हो चुके वायु रक्षा तंत्र और भारतीय सशस्त्र बलों की बेहतरीन क्षमता को दिखाती है जो उसकी पुरानी सैन्य तैयारियों के कारण ऐसी हुई।
भारत के हमलों ने दोनों देशों के बीच बढ़ रहे तकनीकी अंतराल को भी सबके सामने रख दिया। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान की खुद को बेचारा दिखलाने की आदत ने ही उसे अमेरिका से मदद की गुहार लगाने पर मजबूर कर दिया। 10 मई को भारत की सैन्य शक्ति के प्रदर्शन ने भारतीय उपमहाद्वीप में रणनीतिक गणनाओं को एक बार फिर परिभाषित कर दिया है।
हालाँकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि उनके दखल के कारण ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम हुआ। लेकिन भारत ने किसी भी तीसरे पक्ष की भूमिका को पूरी तरह से नकारा है। ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने व्यापार को ‘हथियार’ की तरह इस्तेमाल किया ताकि दोनों देशों को सीजफायर के लिए सहमत किया जा सके, लेकिन भारत ने इसे भी सिरे से खारिज कर दिया।
इसके अलावा, भारतीय सेनाओं और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इसे सीजफायर के तौर पर नहीं, बल्कि एक समझ के रूप में देखा जाना चाहिए। भारत आने वाले दिनों में भी पाकिस्तान के व्यवहार का आकलन करता रहेगा और उसके अनुसार ही अब एक्शन लेगा। भारत के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर जारी है।
भारत ने UN से की TRF के खिलाफ कार्रवाई की माँग
एक ओर पाकिस्तान भारत के हमलों से हुए नुकसान को छिपाने की कोशिश कर रहा है तो दूसरी ओर, नई दिल्ली ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लश्कर-ए-तैयबा की सहायक संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आतंकवादी संगठन घोषित करने की माँग की है। इसे लेकर भारत ने अपना डिप्लोमैटिक कैंपेन तेज कर दिया है। TRF ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस घटना में पाकिस्तान की भूमिका को सामने लाने वाला एक दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है। हालाँकि इस्लामाबाद चीन के समर्थन से, UNSC में TRF को सुरक्षा देने का अब भी प्रयास कर रहा है।