तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता पर काबिज होने के बाद से महिलाओं की आजादी पर रोक लगाने वाले फैसले लिए हैं। महिलाओं के आने-जाने, सार्वजनिक रूप से चेहरा दिखाने तक पर पाबंदी लगाने वाले तालिबानी शासकों ने अब अपने ताजा फैसले में महिलाओं की शिक्षा पर रोक लगा दी है। इसको लेकर उच्च शिक्षा मंत्रालय ने देश के सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को फरमान जारी किया है।
उच्च शिक्षा मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम (Neda Mohammad Nadeem) ने कहा, “आप सभी को सूचित किया जाता है कि अगली सूचना तक महिलाओं को देश के किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसे तुरंत लागू करें।” याद कीजिए, भारत के लिबरल गिरोह ने तालिबान की प्रशंसा करने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी और उसने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिया था तो ये लोग उस पर लट्टू हो चले थे।
A shameful move. The Taliban have banned women in Afghanistan from attending universities.
— Human Rights Watch (@hrw) December 20, 2022
This is the latest in a series of policies that have restricted the basic rights of women and girls. pic.twitter.com/qVPBNkxOib
दूसरी बार अफगानिस्तान की सत्ता में वाले तालिबान ने खुद को बदलने को वादा किया था, लेकिन उसने अपने तालिबानी फैसलों से एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह बदलने वाला नहीं है। उसके आदेश को संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने भी परेशान करने वाला इस कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह कल्पना करना मुश्किल है कि महिलाओं की शिक्षा और उनकी भागीदारी के बिना कोई देश कैसे विकास कर सकता है। उन सभी चुनौतियों से कैसे निपट सकता है, जो उसके सामने हैं।”
From today’s noon briefing: it’s difficult to imagine how a country can develop, can deal with all of the challenges that it has without the active participation of women and the education of women. pic.twitter.com/viKHS73cYG
— UN Spokesperson (@UN_Spokesperson) December 20, 2022
वहीं, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने भी तालिबान के महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का कहना है, “शिक्षा पर बैन लगाना न केवल महिलाओं और लड़कियों के समान अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि इससे देश के भविष्य पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।”
#UPDATE Afghanistan’s Taliban rulers have banned university education for women nationwide, provoking condemnation from the United States and the United Nations over another assault on human rightshttps://t.co/hwtsoF8qKR
— AFP News Agency (@AFP) December 21, 2022
अफगानिस्तान में एक 52 वर्षीय लेक्चरर ने कहा, “मेरी एक छात्रा तालिबान के इस फैसले से बेहद परेशान है। मुझे नहीं पता कि मैं उसे कैसे दिलासा दूँ। उनमें से एक छात्रा काबुल चली गई है। उसने कई कठिनाइयों को पार करते हुए यहाँ के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया था। लेकिन आज उसकी सारी उम्मीदें और सपने चकनाचूर हो गए हैं।”
इससे पहले जब 1990 के दशक के अंत में तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुआ था, उस वक्त ‘मीना विश्वविद्यालय’ में पढ़ाई करती थीं। उन्होंने बताया, “मैं अपनी छात्रा के डर को अच्छी तरह से समझ सकती हूँ, क्योंकि पिछली बार जब वे सत्ता में आए थे, तब मुझे भी कई सालों तक अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। जिस दिन तालिबान ने राजधानी काबुल पर कब्जा किया था, मुझे उसी दिन पता चल गया था कि अब वे विश्वविद्यालयों में लड़कियों के प्रवेश कर प्रतिबंध लगाएँगे।”
उन्होंने आगे कहा, “भले ही अब वे स्मार्टफोन रखते हों, सोशल मीडिया पर उनका अकाउंट हो और बड़ी कारों में चलते हो, लेकिन ये अभी भी वही तालिबान है, जिसने मुझे शिक्षा से वंचित रखा और अब ये मेरे छात्रों का भी भविष्य खराब कर रहे हैं।”
दरअसल, अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से ही महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा को लेकर सवाल उठने लगे थे। ऐसे में तालिबान का महिलाओं की शिक्षा को लेकर लिया गया यह फैसला चौंकाने वाला नहीं है, क्योंकि अफगानिस्तान में अपने शुरुआती शासन में भी उसने छठी कक्षा के बाद से लड़कियों की स्कूली शिक्षा पर ही रोक लगा दी थी।
गौरतलब है कि नवंबर 2022 में तालिबान की बर्बरता का एक वीडियो भी सामने आया था। यह पूर्वोत्तर अफगानिस्तान में बदख्शाँ विश्वविद्यालय के परिसर का था। इसमें तालिबानी शासकों ने छात्राओं को कॉलेज परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया था। ‘द इंडिपेंडेंट’ की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि जिस अधिकारी को छात्रों पर डंडों का इस्तेमाल करते हुए देखा गया था, वह तालिबान सरकार के ‘मोरल मंत्रालय’ से संबंधित है। वायरल वीडियो में तालिबान का एक अधिकारी छात्राओं को डंडों से दौड़ा-दौड़ा कर पीटते हुए दिख रहा था, क्योंकि वे अपने शिक्षा के अधिकार को लेकर विरोध कर रही थीं।