Saturday, October 5, 2024
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मॉरीशस में भारत ने बनाया मिलिट्री बेस: हिन्द महासागर में चीन की चुनौती से निपटने की तैयारी, पानी में नज़र रखेंगे टोही विमान

हिंद महासागर में मॉरीशस रणनीतिक तौर से काफी अहम क्षेत्र में है। अफ्रीकी महाद्वीप के पास होने से इस देश के जरिए हिंद महासागर के बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है।

भारत मॉरीशस के अगलेगा द्वीप का विकास कर रहा है। यहाँ भारत ने अपना मिलिट्री बेस लगभग पूरा कर लिया है। दरअसल, ये मॉरीशस के मुख्य द्वीप से लगभग 1,100 किलोमीटर की दूरी पर दो द्वीपों का समूह है।

भारत का यहाँ मिलिट्री बेस बनाने का मकसद खास तौर से चीन की गतिविधियों के जवाब में हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करना है। हालाँकि भारत की तरफ से इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगलेगा द्वीप पर जेटी, रनवे और विमानों के ठहरने के लिए हैंगर सहित जरूरी बुनियादी ढाँचे का निर्माण पूरा हो चुका है। द्वीप की हालिया सैटेलाइट इमेज भारत के इस दावे का समर्थन करती है। इस दौरान विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन 1 और 2 नवंबर, 2023 तक पोर्ट लुइस की आधिकारिक यात्रा पर हैं।

वे यहाँ भारत से मॉरीशस में गिरमिटिया मजदूरों के आगमन की 189वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में शिरकत करने पहुँचे हैं। इन मजदूरों को भारत से लाकर यहाँ मजदूरी करवाई गई थी। इस दौरान विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन ने मॉरीशस के आईटी मंत्री दरसानंद बालगोबिन के साथ संयुक्त रूप से एक उपग्रह विकसित करने के लिए इसरो और मॉरीशस रिसर्च एंड इनोवेशन काउंसिल के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह आकाश की सीमाओं को तोड़ते हुए एक रोमांचक अंतरिक्ष अन्वेषण सफर की शुरुआत है। उन्होंने आगे कहा कि यह समझौता ज्ञापन दुनिया के फायदे के लिए अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल करने की भारत की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है।

उन्होंने ये भी कहा कि विश्वास है कि समझौता ज्ञापन से आपसी सहयोग बढ़ेगा। देश के विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन ने पोर्ट लुइस में भारत और मॉरीशस के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ समारोह शॉपिंग कार्निवल’ का भी उद्घाटन किया।

मॉरीशस की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए भारत कथित तौर पर यहाँ बोइंग पोसीडॉन 8आई (P-8I) समुद्री गश्ती और टोही विमान तैनात करने पर विचार कर रहा है। खास तौर से भारत चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बढ़ते क्षेत्रों के जवाब में हिंद महासागर क्षेत्र में पीएलए नौसेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ये तैनाती कर रहा है।

इसके अलावा अमेरिका में बने इन विमानों का इस्तेमाल पनडुब्बियों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए किया जा सकता है। बता दें कि चीन बीते एक दशक से भी अधिक वक्त से हिंद महासागर में पनडुब्बियों की तैनाती कर रहा है।

अगलेगा द्वीप पर नया रनवे फोटो साभार: swarajyamag.com

हिंद महासागर में मॉरीशस रणनीतिक तौर से काफी अहम क्षेत्र में है। अफ्रीकी महाद्वीप के पास होने से इस देश के जरिए हिंद महासागर के बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है। इस देश के रेयूनियों द्वीप पर फ्रांस का बड़ा मिलिट्री बेस है। तो मॉरीशस के उत्तर-पूर्व के डिएगो गार्सिया में अमेरिकी और ब्रिटिश मिलिट्री का बेस है।

भारत ने मार्च 2015 में मॉरीशस के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन किया था। उसी के तहत अगलेगा द्वीप के विकास का काम यहाँ किया गया है। इस समझौते के तहत इस द्वीप पर समुद्री और हवाई परिवहन सुविधाओं में सुधार पर खासा ध्यान दिया गया है।

हालाँकि, भारत आधिकारिक तौर पर कहता आ रहा है कि इस सुविधा का मकसद मॉरीशस की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करना है। सैन्य ठिकाने की बात भारत ने आधिकारिक तौर पर नहीं कही है, लेकिन पोर्ट लुइस में मंगलवार (31 अक्टूबर, 2023) को भारतीय उच्चायोग के सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर मॉरीशस द्वीप के मुख्य बंदरगाह पर आईएनएस शारदा के पहुँचने के ऐलान ने बहुत कुछ साफ कर दिया है।

इसमें कहा गया, “भारतीय नौसेना का जहाज़ शारदा आज 189वें अप्रवासी दिवस के उपलक्ष्य में पोर्ट लुइस हार्बर में पहुँचा। जहाज की यात्रा के दौरान, भारतीय नौसेना और राष्ट्रीय तटरक्षक बल के कर्मचारी पेशेवर बातचीत, संयुक्त बंदरगाह, समुद्री प्रशिक्षण और संयुक्त ईईजेड निगरानी में शामिल होंगे।”

पिछले कुछ साल में इस द्वीप पर 10,000 फुट का रनवे और एक घाट का निर्माण किया गया है। ये मॉरीशस के मुख्य द्वीप से 1,100 किलोमीटर उत्तर में है। भारत और मॉरीशस के बीच खासे अच्छे रिश्ते हैं। ये देश अपना नेशनल डे गाँधीजी की नमक सत्याग्रह के वर्षगाँठ के दिन 12 मार्च को मनाता है।

गौरतलब है कि अगस्त 2021 में कतर की मीडिया अल जजीरा की रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत मॉरीशस के अगलेगा द्वीप पर सैन्य ठिकाना बना रहा है। रिपोर्ट में तब उसने दावा किया था कि अगलेगा में बनाई जा रही एक हवाई पट्टी का इस्तेमाल पक्के तौर पर भारतीय नौसेना के समुद्री गश्ती मिशन के लिए होगा। उससे पहले ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टिट्यूट ने भी ऐसा ही दावा किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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