Sunday, June 15, 2025
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लव जिहाद को झुठलाने वाले ‘द वायर’ का पत्रकार निकला ‘लव जिहादी’, सालों से कर रहा था रेप-बीफ खाने को किया मजबूर: हिंदू पाटर्नर ने उतार दिया उमर राशिद का ‘सेकुलर’ नकाब

प्रोपेगेंडा पोर्टल 'द वायर' ने अपने पत्रकार उमर राशिद पर लगे गंभीर आरोपों को स्वीकार किया है और कहा कि वे इस मामले की जाँच कर रहे हैं।

प्रोपेगेंडा चलने वाला पोर्टल ‘द वायर’ हमेशा से यह कहता आया है कि ‘लव जिहाद’ जैसे कोई बात दुनिया में है ही नहीं। अब उसी के एक पत्रकार उमर रशीद पर एक हिंदू महिला ने रेप, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना और बीफ खिलाने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

तथाकथित प्रोग्रेसिव और लिबरल पत्रकार उमर रशीद द वायर में पॉलिटिकल जर्नलिस्ट है। उसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर हिंदू महिला ने अपने दर्द को शब्दों में बयां किया है। इस पोस्ट को पढ़कर उमर रशीद के मानसिक स्तर और जाहिलियत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

पोस्ट में महिला ने बताया कि दिल्ली में कुछ लिबरल मीडिया सर्कल्स से जुड़ाव और अनुभवी पत्रकार के तौर पर वह उमर राशिद के जाल में फँस गई। शुरुआत में राशिद ने ‘प्रोग्रेसिव पॉलिटिक्स’ और ‘लोधी गार्डन’ में टहलने के बहाने उसे अपने जाल में फँसाया।

महिला ने लिखा कि उमर राशिद ने इसी तरकीब के जरिए कई महिलाओं को अपने जाल में फँसाया है। इस दौरान वह अपनी उस झूठी छवि को महिलाओं के सामने लेकर आता है जिसमें वह ऐसा मुस्लिम है जिसे पालतू जानवर पस्द हैं, भोजन पसंद है, जो प्रोग्रेसिव लिबरल है और जिसने अपनी माँ को खो दिया है।

महिला ने उमर रशीद को एक ‘सीरियल एब्यूजर’ और ‘बालात्कारी’ का तमगा देते हुए लिखा है कि उसे बुरी तरह पीटा जाता था। उमर राशिद ने उसे लात, घूँसे, थप्पड़ मारे हैं और कई बार बर्बरतापूर्वक बलात्कार किया है।

अपने रिलेशनशिप के दौरान उसे उसे हद से ज्यादा यौन उत्पीड़न, दुर्व्यवहार, मारपीट और बर्बर्तापूर्ण बलात्कार का सामना करना पड़ा। इसके कारण जिससे उसका खून बहा और चोटें आईं।

पीड़ित हिंदू महिला ने यह भी कहा की उमर राशिद ने कभी भी सुरक्षित सेक्स नहीं किया। रशीद के कई अनजान लोगों से भी शारीरिक संबंध थे। इस वजह से महिला को कई बार स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाकर अबॉर्शन करवाने पड़े और सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन (STI) का इलाज करवाना पड़ा।

महिला ने आगे लिखा कि राशिद को पता था कि महिला आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं है और संघर्ष कर रही है। इसके बावजूद उसने महिला की सारी चीजों को तोड़ दिया। इनमें से कई चीजें उसके घर से मिली निशानियाँ भी थी जिसे वह कभी भी खोना नहीं चाहती थी।

वह उसे बुरी तरीके से बेइज्जत करता था और उसे पाँव पड़कर माफी माँगने पर मजबूर कर देता था। इस दौरान वह उसकी माँ के साथ भी किस तरह रेप करेगा इसके बारे में बोलता था।

महिला ने लिखा कि उसके बीमार होने, असुरक्षित सेक्स के लिए ‘न’ कहने के बावजूद उमर ने कई बार उसका बर्बर्तापूर्वक रेप किया। यहाँ तक कि खुद को बचाने के लिए वह बाथरूम में छिपती थी।

महिला ने आगे लिखा कि उमर राशिद ने उसे कई बार बीफ खाने के लिए मजबूर किया जबकि वह नहीं खाती थी। हर बार जब वह उसे जबरदस्ती बीफ खिलाता था तो उसे उल्टी हो जाती थी। राशिद खुद को कश्मीरी मुस्लिम होने और उसे ‘गैर-मुस्लिम’ होने पर उलाहना देता था।

महिला ने अपनी पोस्ट को साप्रदायिक रंग न देने की अपील की है। उसने लिखा कि वह नहीं चाहती कि उसके साथ हुई घटना को ‘सांप्रदायिक रंग’ दिया जाए, बल्कि इसे उन अनगिनत कहानियों में से एक के तौर पर देखा जाना चाहिए, जिसमें महिलाएँ कार्यस्थल पर संपर्क में आने वाले अधिक उम्र के और ताकतवर पुरुषों के दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का शिकार होती हैं।

द वायर ने अपने पत्रकार के खिलाफ आरोपों को स्वीकारा

प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द वायर’ ने अपने पत्रकार उमर राशिद पर लगे गंभीर आरोपों को स्वीकार किया है। द वायर द्वारा साझा किए गए नोट में लिखा है, “उमर राशिद पिछले कुछ वर्षों से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में द वायर में योगदान दे रहे हैं। उन पर लगे आरोपों को संस्थान ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में लागू प्रासंगिक कानूनों और प्रक्रियाओं के अनुसार हम जाँच करेंगे और तय करेंगे कि पोस्ट पर लगाए गए आरोपों पर आगे क्या कार्रवाई की जा सकती है।”

गौरतलब है कि कई वर्षों से ‘द वायर’ और इसी तरह के अन्य वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘लव जिहाद’ के उन मामलों को सिरे से नकार देते हैं, जहाँ मुस्लिम पुरुष एक झूठी पहचान के साथ हिंदू या ईसाई महिलाओं को अपना निशाना बनाते हैं और बाद में उन्हें शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न, अपमान, बलात्कार और हिंसा का शिकार बनाते हैं।

इस मानसिकता के पीछे वह इस्लामी सोच है जिसके मुताबिक गैर मुस्लिम महिलाएं यानी काफिर सेक्स स्लेव बनाने के योग्य हैं। ऐसी सोच वाले मानते हैं कि काफिर महुलाओं का यौन शोषण करना मुस्लिम मर्दों का दायित्व है और इससे सवाब मिलता है।

भारत सहित पूरी दुनिया में हजारों की तादाद में महिलाएँ इस सोच की शिकार रही हैं। ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग इस मामले में खास कुख्यात रहा। यहाँ यजीदी महिलाओं को यौन दासी बनाने का मामला भी खासा चर्चित रहा है।

भारत में भी अजमेर गैंगरेप और ब्लैकमेल मामले काफी लंबे समय तक सुर्खियाँ में रहे। केरल में तो यह एक संगठित रूप से चलाई जाने वाला अभियान है जिसमें हिंदू और ईसाई महिलाओं को इसका निशाना बनाया जाता है।

अफसोस की बात है कि आज की आधुनिक माने जाने वाली दुनिया में भी इस तरह की मध्यकालीन पार्श्विक मानसिकता घर किए हुए हैं और द वायर जैसे वामपंथी संगठन ऐसी मानसिकता को खारिज करना तो दूर उलटे उसे बढ़ावा देने में आगे रहते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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