Saturday, July 27, 2024
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जेल में बंद पाकिस्तानी PM को वहाँ से निकाला… छोड़ने के लिए नहीं, फिर से अरेस्ट करने के लिए

शरीफ़ परिवार के सदस्यों पर चौधरी शुगर मिल्स लिमिटेड के शेयरों की बिक्री/ख़रीद की आड़ में मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप है।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को NAB (National Accountability Bureau) ने चौधरी शुगर मिल्स मामले में गिरफ़्तार कर लिया है। पाकिस्तानी अख़बार डॉन के अनुसार, ब्यूरो की एक टीम ने शुक्रवार (11 अक्टूबर 2019) को कोट लखपत जेल में शुक्रवार की सुबह नवाज़ शरीफ़ से मुलााक़ात की। इसके बाद उन्हें फिज़िकल रिमांड के लिए कोर्ट ले जाया गया। अल-जीजिया मिल्स भ्रष्टाचार के मामले में पहले से जेल में सात साल की सज़ा काट रहे शरीफ़ को अब 25 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होना है।

शरीफ़ परिवार के सदस्यों पर चौधरी शुगर मिल्स लिमिटेड के शेयरों की बिक्री/ख़रीद की आड़ में मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप लगा है। चौधरी शुगर मिल्स मामले में पाकिस्तान की जाँच एजेंसी NAB पहले ही नवाज़ की बेटी मरियम नवाज़ और उसके चचेरे भाई यूसुफ़ अब्बास को गिरफ़्तार कर चुकी है। NBA के अनुसार, वो 2008 में मिल्स की सबसे बड़ी शेयरधारक बन गईं, जिनके पास 1.2 करोड़ से अधिक के शेयर थे। फ़िलहाल, ये दोनों ही 23 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं। 

डॉन ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि जनवरी 2018 में, यह ख़ुलासा किया गया था कि तत्कालीन पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) यानी PML (N) सरकार की वित्तीय निगरानी इकाई ने NBA को चौधरी शुगर मिल्स में अरबों रुपए के लेनदेन से जुड़े एक बड़े संदिग्ध लेनदेन की सूचना दी थी।

ख़बर के अनुसार, 2018 में पाकिस्तान की एक अकाउंटबिलिटी कोर्ट ने एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को 10 साल और उनकी बेटी मरियम को 7 साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने शरीफ़ पर 73 करोड़ रुपए (80 लाख पाउंड) और मरियम पर 18 करोड़ 24 लाख रुपए (20 लाख पाउंड) का जुर्माना भी लगाया था। साथ ही नवाज़ शरीफ़ के दामाद कैप्टन (सेवानिवृत) सफ़दर को एक साल की सजा सुनाई थी।

ग़ौरतलब है कि इससे पहले भी पाकिस्तान की मीडिया में नवाज़ शरीफ़ से डील की ख़बरें सामने आ रही हैं। दरअसल, पाकिस्तान में ब्लड मनी क़ानून है। इस क़ानून के अनुसार, अगर दोषी और पीड़ित के बीच समझौता हो जाता है तो दोषी की सजा रद्द हो जाती है। इसमें दोषी पक्ष पीड़ित को डील के हिसाब से निर्धारित रक़म अदा करता है। बता दें कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI) के नेता हिमायूं अख़्तर ने डील के पीछे इसी क़ानून का हवाला दिया है। हालाँकि, इमरान सरकार ने इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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