जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले में लश्कर-ए-तैयबा और उसके मुखौटा संगठन द रेसिस्टेंट फ्रंट का नाम सामने आया है। इस बीच, एक चौंकाने वाली रिपोर्ट बांग्लादेश से सामने आ रही है, जिसमें बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार डॉ. आसिफ नजरूल ने पहलगाम हमले के ठीक एक दिन बाद 23 अप्रैल 2025 को ढाका में लश्कर के बड़े आतंकी हारुन इजहार से मुलाकात की है। यह मुलाकात ढाका के कानून मंत्रालय के दफ्तर में हुई थी। इस खबर के सामने आने के बाद से सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।
बांग्लादेश के सैन्य खुफिया सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात रिकॉर्ड की गई है, लेकिन इसका ब्योरा अभी सामने नहीं आया। सूत्रों का कहना है कि एक आतंकी का सरकारी दफ्तर में आना और मुलाकात करना अपने आप में बड़ा खतरा है। इससे यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है? क्या बांग्लादेश अब पाकिस्तान की राह पर चलकर भारत के खिलाफ आतंकवाद को समर्थन देगा?
बांग्लादेश के पूर्व मंत्री ने जताई चिंता
इस मुलाकात को लेकर बांग्लादेश के पूर्व सूचना मंत्री मोहम्मद अराफात ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने कई कट्टरपंथी समर्थकों को सरकारी पदों पर बिठा दिया है। इससे बांग्लादेश में कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल रहा है। लश्कर-ए-तैयबा ने बांग्लादेश में अपनी जड़ें जमानी शुरू कर दी हैं और कट्टरपंथी युवाओं को जिहाद के नाम पर जोड़ रही है। यह भारत के लिए बड़ा खतरा है, क्योंकि बांग्लादेश के रास्ते पूर्वोत्तर भारत में आतंकी गतिविधियाँ बढ़ सकती हैं।
लश्कर आतंकी हारुन इजहार कौन है?
हारुन इजहार लश्कर-ए-तैयबा का बांग्लादेश में बड़ा चेहरा है। वह लंबे समय से आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। 2009 में उसने ढाका में भारतीय उच्चायोग और अमेरिकी दूतावास पर हमले की साजिश रची थी, जो नाकाम हो गई। अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने 26/11 मुंबई हमले के सह-षड्यंत्रकारी डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ के बाद इजहार का नाम उजागर किया था। इसके बाद बांग्लादेशी अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार किया था।
इजहार का हिफाजत-ए-इस्लाम से भी गहरा रिश्ता है, जो बांग्लादेश में 2010 में बना एक देवबंदी इस्लामी समूह है। 2013 में उसकी मदरसे में एक ग्रेनेड विस्फोट हुआ, जिसमें तीन लोग मारे गए और वहाँ से विस्फोटक सामग्री मिली। इजहार पर बांग्लादेश में 25 से ज्यादा आतंकवाद के मामले दर्ज हैं। वह 2009 से बांग्लादेशी सुरक्षा एजेंसियों की नजर में है।
पाकिस्तान में पढ़ाई के दौरान इजहार ने लश्कर के नेताओं से रिश्ते बनाए और हिफाजत-ए-इस्लाम को कट्टरपंथ की राह पर ले गया। उसने 2021 में पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान बड़े प्रदर्शन भी करवाए। 2024 में उसका एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह छात्रों को जिहाद की शपथ दिला रहा था। उसने कई छद्म संगठनों के जरिए आतंकियों को जेल से छुड़ाने की साजिश भी रची।
हालाँकि बांग्लादेश के कानून मंत्रालय ने इजहार से मुलाकात के आरोपों को खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने कहा कि यह खबर झूठी और बेबुनियाद है।