उत्तर प्रदेश में तराई के जिले पीलीभीत में सोमवार (23 दिसम्बर, 2024) को सुबह-सुबह तीन खालिस्तानी आतंकियों का एनकाउंटर हो गया। यह तीनों पंजाब के गुरदासपुर में एक पुलिस चौकी पर ग्रेनेड हमला करके भागे थे। यह यूपी के पीलीभीत से नेपाल जाने की जुगत में थे। हालाँकि, इससे पहले ही पंजाब पुलिस को इनकी सूचना मिल गई और यूपी पुलिस ने इसके बाद इन तीनों को ढेर कर दिया। इनके एनकाउंटर के बारे में अब कई जानकारियाँ सामने आई हैं। यह भी पता चला है कि इनका हैंडलर एक ब्रिटिश सिख सैनिक है।
कैसे लगा आतंकियों का सुराग?
इन आतंकियों ने 19 दिसम्बर, 2024 को गुरदासपुर के बटाला में एक पुलिस चौकी पर हमला किया था। इसके बाद गुरविंदर, वीरेंद्र और जशनप्रीत, तीनों ही गायब हो गए थे। पंजाब पुलिस लगातार इनकी तलाश में लगी हुई थी। यह वहाँ से सैकड़ों किलोमीटर भाग कर यूपी के पीलीभीत आए थे। पंजाब पुलिस ने इनका पता लगाने के लिए सर्विलांस लगाया हुआ था। हालाँकि, इनका फोन ऑफ था। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इन आतंकियों ने एक ऐसे एप पर हमले की वीडियो डाली थी, जो इन्हीं कामों के लिए इस्तेमाल होता है।
पंजाब पुलिस ने इस वीडियो के शेयर उनकी लोकेशन ट्रेस की। इसके बाद वह यूपी के पीलीभीत पहुँची। वहीं यह भी सामने आया कि इन आतंकियों ने कुछ समय के लिए अपना फोन ऑन किया था, इससे भी इनके बारे पता चला। इसके बाद दोनों जगह की पुलिस ने अपना ऑपरेशन चलाया और तीनों को मार गिराया गया। इन आतंकियों से जहाँ पर मुठभेड़ हुई, वह पूरनपुर का इलाका है और यहाँ सिख आबादी काफी है। यह इलाका जंगली भी है, जिससे छिपने में आसानी होती है। आतंकियों के पास से बरामद हुई बाइक भी चोरी की थी।
इनका सरगना अब पाकिस्तान में
पीलीभीत में मार गिराए गए तीनों आतंकी खालिस्तान जिंदाबाद फ़ोर्स नामक आतंकी संगठन का हिस्सा थे। इसका मुखिया रंजीत सिंह उर्फ़ नीता है। वह मूल रूप से जम्मू का रहने वाला है। वह वर्तमान में पाकिस्तान भाग चुका है और वहीं से अपनी आतंकी गतिविधि चलाता है। उसने 1993 में यह संगठन बनाया था। शुरुआत में वह अपने आतंकी जम्मू क्षेत्र से ही जुटाता था। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसका मुख्य निशाना जम्मू से दिल्ली चलने वालीं बसें रही हैं।
यह संगठन 2009 में एक सिख धर्मगुरु की हत्या में भी शामिल रहा है। यहाँ तक कि इसने ऑस्ट्रिया के विएना में भी एक सिख धर्मगुरु की हत्या करवाई थी। बीते कुछ समय से इस समूह ने अपना ट्रैक बदल लिया है। अब यह पुलिस को निशाना बना रहा है। पंजाब में हाल के वर्षों में कई पुलिस चौकी या थानों को निशाना बनाया गया है। हाल में गुरदासपुर में हुआ हमला भी इसी नीयत से किया गया था। इस संगठन का नेटवर्क भारत के अलावा ब्रिटेन, ग्रीस समेत बाकी कई देशों में भी है।
ब्रिटिश सैनिक था तीनों आतंकियों का हैंडलर
इस एनकाउंटर से एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पंजाब पुलिस के मुखिया गौरव यादव ने इस एनकाउंटर की सफलता के बाद बताया है कि इस पूरे आतंकी नेटवर्क को सरगना नीता के जरिए ग्रीस में बैठा जसविंदर सिंह मन्नू चलाता है। इसी से ब्रिटिश सैनिक जगजीत सिंह जुड़ा हुआ है। यह ब्रिटिश सैनिक मूल रूप से भारत का ही निवासी है। उसने अपना एक दूसरा नाम भी रख लिया है। अब वह अपने आप को फ़तेह सिंह बागी बताता है। जगजीत सिंह लगभग 10 वर्ष पूर्व भारत से इंग्लैंड पढ़ने के लिए गया था।
In a joint operation against, #Pakistan's ISI operative in Punjab, a collaborative effort between UP Police & Punjab Police led to an encounter with three operatives of KZF in the jurisdiction of PS Puranpur, Pilibhit. Recovery: Two AK rifles and two Glock pistols
— DGP Punjab Police (@DGPPunjabPolice) December 23, 2024
The three… pic.twitter.com/ezEvP0WpOI
इसके बाद वह यहाँ की सेना में शामिल हो गया। उसने अफगानिस्तान में भी ब्रिटिश फ़ौज को अपनी सेवाएँ दी हैं। आशंका है कि इसी जगजीत सिंह ने गुरदासपुर में चौकी पर ग्रेनेड से हमला करवाया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि उसका परिवार भारतीय सेना में रहा है। उसके पिता और दादा भी भारतीय सेना में अलग-अलग पदों पर रहे हैं जबकि उसका एक भाई भी भारतीय सेना में रहा है। बताते हैं कि वह इन खालिस्तानी हमलों को सोशल मीडिया पर डालता है और सिख युवाओं को बरगलाता है। उसके ISI से भी लिंक तलाशे जा रहे हैं।
कई सवालों के जवाब अब भी नहीं
इस एनकाउंटर के बाद भी कई सवालों के जवाब अभी नहीं मिले हैं। पुलिस अभी यह नहीं बता पाई है कि आखिर यह पंजाब से यूपी के भीतर कैसे पहुँचे। इसके अलावा यह भी नहीं सामने आया अहि कि आखिर इन्होने भागने के लिए पीलीभीत ही क्यों चुना। हमले के दो दिन तक वह यहाँ रहे तो उन्हें यहाँ शरण किसने दी और वह किस होटल में रुके। इसके अलावा उनके खाने-पीने से लेकर बाकी इंतजाम किसने किया। पुलिस को यह भी नहीं मालूम हो पाया है कि यह नेपाल किस रस्ते से जाने वाले थे।
पुलिस को एनकाउंटर में आंतकियों के पास से 2 AK-47 समेत विदेशी पिस्टल भी मिली हैं। इन हथियारों का स्रोत क्या है, यह जानकारी भी अभी सामने नहीं आई है। इन आतंकियों के स्थानीय स्तर पर क्या कनेक्शन थे, इन सवालों के जवाब पुलिस तलाश रही है। जिस खालिस्तानी आतंकी संगठन से यह जुड़े हुए थे, क्या उसकी जड़ें यूपी के पीलीभीत या फिर सिख जनसंख्या वाले लखीमपुर खीरी में भी हैं, इस बात की जाँच भी हो रही है।
एनकाउंटर तो हुआ, लेकिन खतरा बरकरार
पीलीभीत में तीन आतंकियों का एनकाउंटर से और कई चिंताएँ सामने आ गई हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और लखीमपुर खीरी ऐसे जिले हैं, जहाँ लाखों में सिख जनसंख्या है। यह दोनों जिले 1980 और 1990 में खालिस्तानी आंतक से ग्रसित रहे हैं। लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में 1980 और 1990 में खालिस्तानियों ने बड़े हमले किए हैं। ऐसे ही एक हमले में 29 तो दूसरे में 7 लोगों की हत्या कर दी थी। इसके अलावा भी कई बड़े हमले हुए, जिनमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए।
दोनों ही जिलों में बड़े जंगल हैं और यहाँ सिखों के जनसंख्या से दूर बने हुए झाले (फ़ार्महाउस) भी हैं। बीते कुछ सालों में गाड़ियों पर भिंडरावाले की फोटो भी दिखी है। पूरनपुर में बीते दिनों एक मोटरसाइकिल पर सवाल कुछ सिख छात्रों ने काले झंडे लहराए थे और नारे भी लगाए थे। इसके अलावा यहाँ से कुछ वर्ष पहले भी खालिस्तानी आतंकी पकड़े गए थे। इन्होने पंजाब के नाभा में जेल से आतंकियों को भागने में मदद की थी। लखीमपुर में जब गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के कायर्क्रम में बवाल हुआ था तो भी यहाँ एक युवक भिंडरावाले की टीशर्ट पहने नजर आया था।
यहाँ तक कि खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह को जब पुलिस तलाश रही थी तो उसके भी पीलीभीत में होने की बात सामने आई थी। ऐसे में इस चरमपंथ के फिर से सर उठाने का खतरा अब भी बरकरार है। सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी के चलते बीते कुछ वर्षों में कोई घटना नहीं हुई है। यदि वह यही चौकसी बनाए रखती हैं तो तराई का इलाका शांत रहेगा।