पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर की जेलों में हाई अलर्ट जारी किया गया है। खुफिया सूत्रों ने चेतावनी दी है कि आतंकी जेलों पर हमला कर सकते हैं, खासकर श्रीनगर की सेंट्रल जेल और जम्मू की कोट बलवाल जेल पर खतरा मंडरा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जम्मू और कश्मीर जोन की इन जेलों में कई बड़े आतंकी और स्लीपर सेल के सदस्य बंद हैं, जो आतंकियों को लॉजिस्टिक मदद, ठिकाना और उनकी आवाजाही में सहायता देते हैं। बता दें कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए हिंदुओं के नरसंहार के मामले की जाँच जारी है, जिसमें इस आतंकी हमले का अंदेशा जताया गया है और अलर्ट जारी कर दिया गया है।
खुफिया जानकारी के आधार पर जम्मू और कश्मीर की जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है। रविवार (4 मई 2025) को सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) के डायरेक्टर जनरल ने श्रीनगर में वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की। CISF ने अक्टूबर 2023 में CRPF से जम्मू-कश्मीर की जेलों की सुरक्षा का जिम्मा लिया था। बैठक में जेलों की सुरक्षा का जायजा लिया गया और किसी भी तरह की चूक रोकने के लिए कदम उठाए गए।
पहलगाम हमले की जाँच में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने आतंकी सहयोगियों निसार और मुश्ताक से पूछताछ की, जो पहले एक सेना की गाड़ी पर हुए हमले से भी जुड़े थे। सूत्रों का कहना है कि दक्षिण कश्मीर के जंगलों में अभी भी आतंकी छिपे हो सकते हैं। खुफिया जानकारी के मुताबिक, पहलगाम हमले के दौरान कुछ आतंकी दूर से कवर फायर देने के लिए तैनात थे, ताकि सुरक्षाबलों को जवाबी कार्रवाई से रोका जा सके। इसका मतलब है कि पहलगाम में हमले के दौरान हमला करने वाले आतंकियों के अलावा बैकअप में भी आतंकियों का ग्रुप मौजूद था।
सूत्रों ने बताया कि इन आतंकियों के पास खाने-पीने का सामान और अन्य जरूरी चीजें हैं, जिससे वे जंगलों में लंबे समय तक टिक सकते हैं। इस खतरे को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जा रहा है, ताकि किसी भी संभावित हमले को रोका जा सके।