तिरंगे में समाहित रंगों की आड़ में संदेश दिया जा रहा है कि शाहीन बाग कोई आम प्रदर्शन नहीं है। ये वो प्रदर्शन हैं, जहाँ वेदना के नाम पर अपने मनसूबों को इस्लामिक ताकतों ने खुलेआम प्रदर्शित करना शुरू कर दिया है। औचित्य की लड़ाई को अब स्पष्ट तौर पर मजहबी लड़ाई बना दिया गया है...
इमाद नाम का शख्स मधुर को पर्सनल मैसेज कर कहता है कि अगर मुस्लिम शरिया लॉ फॉलो करते हैं, तो इसमें उन्हें क्या दिक्कत है। फिर वह लिखता है, "वैसे तुम अपनी जान की परवाह करो, मुझे आशा है तुम्हें कमलेश तिवारी की तरह गला काटने की धमकियाँ न मिलती हों।"
ये किसी फिल्म के दृश्य नहीं हैं जहाँ नाटकीयता के लिए आरी से किसी को काटा जाता है, किसी की खोपड़ी में लोहे का रॉड ठोक दिया जाता है, किसी की आँखें निकाल ली जाती हैं, किसी के दोनों गाल चाकू से चमड़ी सहित छील दिए जाते हैं, किसी के तिलक लगाने वाले ललाट को चाकू से उखाड़ दिया जाता है…
खतरा गली-गली पसर गया है। नहीं चेते तो आज का कोई अशफाक कल आपके कमलेश का गला रेत जाएगा। मजहबी कट्टरपंथ को आज दफन नहीं किया तो बात हिंदुत्व के कब्र खुदने जैसे नारों पर ही नहीं रुकेगी। समाज के तौर पर इससे लड़ना ही होगा।
एक ओर पूरे देश के मुस्लिमों में असदुद्दीन ओवैसी NRC पर लोगों को डिटेंशन कैम्प भेज दिए जाने जैसी भ्रामक बातों से डराकर उन्हें सरकार के खिलाफ उकसाते हैं, और दूसरी तरफ वही ओवैसी, आतंकवाद से निपटने की सरकार और तंत्र की रणनीतियों में अपनी कट्टरपंथी विचारधारा का नैरेटिव जोड़ देते हैं।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने क्रिकेट के भगवान कहे जाने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के साथ शानदार पोस्ट शेयर किया। उन्होंने इस शानदार पोस्ट का कैप्शन दिया है- भगवान कृष्ण के साथ मेरा सुदामा पल। बस इतने के लिए कट्टरपंथियों की सुलग गई और...
साल पूरा होते-होते, अब हर वामपंथी हमें गाली दे कर खारिज करने की कोशिश करता रहता है। जब इस तरह के आक्रमण होने लगते हैं, इसका मतलब है कि किसी को दर्द हो रहा है। हमारी कोशिश है कि इस दर्द की तीव्रता बढ़ाते रहें।
"वे चारों लोग चाहते थे कि मैं अरेबिक में वो शब्द बोलूँ। मैं डर गया था और मेरे मन में ख्याल आ रहा था कि वे मुझे मार देंगे क्योंकि उन्होंने कहा था कि उनके पास चाकू है और उन्हें कोई गवाह नहीं चाहिए।"
CAA के विरोध की आड़ में इस्लामिक कट्टरपंथियों और वामपंथियों ने हिंदू विरोधी नारे लगाए। 'फक हिंदुत्व' लिखकर 'ऊँ' चिह्न का भरी दुनिया के सामने अपमान किया। अब इसी इस्लामिक भीड़ ने शाहीन बाग के प्रोटेस्ट में जिन्ना वाली आजादी के नारे लगाए और वहाँ किसी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई।
"पाकिस्तान की हज़ारों वर्ष पुरानी संस्कृति का भारत से कोई लेना-देना नहीं है। पाकिस्तान का अपना इतिहास है, जो हज़ारों साल पहले जाता है। पाकिस्तान की संस्कृति या इतिहास का भारत से कोई भी संबंध नहीं है।" यह 'महान' फैज़ के विचार थे। हरिशंकर परसाई ने 'इकबाल की बेइज्जती' में इसका जिक्र किया है।