प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को कई ट्वीट करते हुए लिखा था कि सीबीआई प्रमुख नागेश्वर राव की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया।
अदालत ने कहा कि ऐसे क्रूर अपराधियों पर कठोर कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटा जा सकता है। ऐसी घटनाएँ जब तेजी से बढ़ रही हों, तो सख्ती दिखाना और जरूरी हो जाता है।
केंद्र सरकार के ताज़ा कदम का विश्व हिन्दू परिषद व अन्य हिन्दू संगठनों ने स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट में बार-बार राम मंदिर मसले की सुनवाई टलने से ये संगठन नाराज़ चल रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से हिरासत केंद्रों, वहाँ बंद बंदियों की अवधि और विदेशी नागरिक अधिकरण के समक्ष दायर उनके मामलों की स्थिति को लेकर सरकार से विवरण माँगा।
आरोपित महिला ने प्रेमी के साथ मिल कर अपने पति की हत्या कर दी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने उन दोनों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस सज़ा को रद्द कर दिया।
10 जनवरी को पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित ने खुद को मामले से अलग कर लिया था। दरअसल, अयोध्या से जुड़े एक मामले में उनके वकील के तौर पर पेश हो चुकने का मुद्दा उठाया गया था।
CBI डायरेक्टर, सेना प्रमुख, CJI- नेताओं ने अपनी घटिया राजनीतिक बयानबाज़ी में संवैधानिक पदों पर बैठे उच्चाधिकारियों को भी घसीट लिया है। उन पर बिना सबूत घटिया लांछन लगाए जाते हैं- अपनी राजनीति चमकाने के लिए।