पहली बार नहीं है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची हो। इससे पहले भी साल 2004, 2010 और 2012 में अलग-अलग कारणों से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची थी, जिसमें कई लोगों की जान गई थी।
राज्यों के मुख्यमंत्री या इसी तरह के आधिकारिक अकाउंट किसी निजी व्यक्ति के नहीं होते। अगर उस पद पर कोई नया व्यक्ति आता है तो इन्हें उसके नाम या फोटो के साथ अपडेट कर दिया जाता है।
AAP की आतिशी ने CM रहते चुनाव लड़ा। हारते-हारते जीतीं। पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। कॉन्ग्रेस की रागिनी नायक जमानत न बचा सकीं। पार्टी का तीसरी बार खाता नहीं खुला। पर 'जश्न' ऐसा कि अब मजाक बन रहा।
बुजुर्गों के लिए घर बैठे मतदान का भी विकल्प है। केजरीवाल चाहते तो उन्हें गाड़ी से भी मतदान केंद्र लेकर जा सकते थे। पर उन्होंने बुजुर्ग-बीमार माँ-बाप को व्हीलचेयर पर बिठा 'बेचने' का विकल्प चुना।