Tuesday, May 7, 2024

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Media Hypocrisy

खोखले लिबरलो, वामपंथियो! तुमने ढंग से पत्रकारिता की होती, तो हमारी ज़रूरत ही नहीं पड़ती

पहले तो हमें पत्रकार ही नहीं माना, फिर कहा इनकी भाषा ठीक नहीं है, फिर याद दिलाया कि मर्यादा लाँघ रहे हैं... ये सब इसलिए कि इनकी हर नग्नता, हर झूठ को हमने परत दर परत छीला है। अब वामपंथी बिलबिला रहे हैं क्योंकि लोग इन्हें पढ़ते भी हैं तो बस गाली देने के लिए।

कंपनी में छँटनी आत्महत्या का कारण नहीं: मृत कंप्यूटर ऑपरेटर के पिता ने किया BBC के प्रोपेगंडा का खंडन

बीबीसी से भी बात करते हुए विश्वजीत से साफ़-साफ़ कहा कि उन्हें आशीष की आत्महत्या का कारण नहीं पता। इसी ख़बर में पुलिस ने भी कहा कि आत्महत्या की मूल वजह का पता लगाया जा रहा है। मिलिंद खांडेकर और बीबीसी ने इसे 'ऑटो कंपनियों में हो रही छँटनी' से जोड़ कर अपना उल्लू सीधा किया।

‘मुस्लिम गुंडे नहाते समय मेरी माँ को घूरते’ – पीड़ित से The Wire के पत्रकार ने पूछा – तुम्हें बजरंग दल ने सिखाया?

द वायर' का पत्रकार यह जानना चाहता था कि क्या पीड़ित ने बजरंग दल के कहने पर पुलिस में मामला दर्ज कराया है? हालाँकि, पीड़ित ने पत्रकार द्वारा बार-बार बात घुमाने के बाद भी अपने बयान पर कायम रहते हुए बताया कि पुलिस को उसने जो बयान दिया है, वह उसका ख़ुद का है।

Article 370: BBC के लिए कश्मीर पर अब सिर्फ यूगांडा-लोसोटो से ही बयान लेना बाकी

मीडिया के इस ख़ास वर्ग का दर्द यह है कि इतना बड़ा ऐतिहासिक फैसला बिना किसी हिंसा और संघर्ष के इतने शानदार होम वर्क के साथ आखिर कैसे सम्भव हो गया? बुद्धिपीड़ितों को तो अभी भी यह उम्मीद है कि काश कहीं तो कुछ खूनखराबा हो, ताकि सरकार के निर्णय पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा सके।

प्रियंका गाँधी के गुर्गों पर चुप्पी जायज है, क्योंकि पीड़ित पत्रकार ने सेनाध्यक्ष को जनरल डायर नहीं कहा था

प्रियंका गाँधी कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार से आती हैं, उनकी जगह अगर कोई भाजपा वार्ड सदस्य के साले के फूफे की बहन का भतीजा होता तो न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट में भी इस पर एकाध लेख लिखा जा चुका होता कि कैसे भारत की 'राइट विंग हिंदुत्व पार्टी' ने मीडिया की स्वतंत्रता पर ग्रहण लगा दिया है और देश में पत्रकारों को खतरा है।

शाह फैसल ने कहा ‘कश्मीर भभक उठेगा’ और शुरू हो गई पत्थरबाजी: रायटर्स के पत्रकार का दावा

शाह फैसल पहले भी धमकी देते रहे हैं। वे ख़ुद को अलगाववादी घोषित कर चुके हैं। एक बयान में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को भड़काने की कोशिश करते हुए कहा कि वे तब तक ईद नहीं मनाएँगे जब तक बेइज्जती का बदला नहीं ले लेते।

शोभा डे और बिकाऊ मीडिया: जब गुलाम नबी ने खड़ी की थी किराए की कलमों (गद्दार, देशद्रोही पत्रकार) की फौज

81 पैराग्राफ के कबूलनामे में गुलाम नबी ने अपने कई अपराध कबूल किए थे। मुक़दमे के दौरान अदालत में सिद्ध हुआ था कि अपराधी (गुलाम नबी) न सिर्फ वक्ताओं की लिस्ट ISI से लेता था, बल्कि वो क्या बोलेंगे, ये भी इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था, आईएसआई ही तय करती थी।

हिन्दू-विरोधी अमेरिकन प्रोफेसर ने राणा अयूब को बताया ISI की कठपुतली, फिर डिलीट किए ट्वीट्स

किसी ट्विटर यूजर ने क्रिस्टीन को याद दिलाया कि अयूब तो भारतीय है। लेकिन, क्रिस्टीन फेयर ने आरोप लगाया कि राणा अयूब भारतीय होने के बावजूद आईएसआई की कठपुतली की तरह व्यवहार करती हैं।

विनोद कापड़ी ने माना, मोदी विरोधी खबर लिखने के दबाव में रिपोर्टर को छोड़नी पड़ी नौकरी

कापड़ी ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक रिपोर्टर को इसीलिए जॉब छोड़नी पड़ी थी क्योंकि मोदी-विरोधी स्टोरीज करने के लिए उसपर दबाव बनाए जा रहे थे। रिपोर्टर को कापड़ी की मोदी-विरोधी एडिटोरियल पॉलिसी से आपत्ति थी।

‘बकलोल’ पत्रकार के खिलाफ FIR: आर्मी चीफ जनरल रावत की तुलना कर दी थी जलियाँवाले डायर से

कनौजिया द्वारा विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सेनाध्यक्ष जनरल रावत की तुलना एक ऐसे व्यक्ति से की गई, जिसने भारतीय जनता का नरसंहार किया था। जनरल डायर का गुनाह इतना बड़ा था कि उन्हें अपनी ही सरकार द्वारा शुरू की गई जाँच का सामना करना पड़ा था।

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