Monday, May 20, 2024

विषय

मीडिया गिरोह

भारत में 25 करोड़ लोगों को होगा कोरोना: NDTV ने जिस यूनिवर्सिटी के हवाले से चलाई ख़बर, उसी ने लगाई फटकार

इस ख़बर के सामने आने के बाद जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने इसे नकार दिया। अमेरिका के मेरीलैंड में स्थित यूनिवर्सिटी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया कि उसने ऐसा कोई रिसर्च प्रकाशित नहीं किया है। यूनिवर्सिटी ने लिखा कि इस कथित 'रिसर्च' में उसके लोगो और नाम का भी ग़लत इस्तेमाल किया गया है।

दुनिया लॉकडाउन में लेकिन लल्लनटॉप अपने कर्मपथ से डिगा नहीं है

दी लल्लनटॉप अपनी ऑडियंस का ख़ास ध्यान रखते हुए उनके मतलब का फैक्ट चेक करते हुए यह भी साबित करते हुए देखा गया है कि सरसों के तेल से कोरोना वायरस से बचाव नहीं हो पाता है। यह वो ऑडियंस है जो दैनिक सस्ते इन्टरनेट की पूरी डेढ़ जीबी या तो टिकटॉक, या फिर दी लल्लनटॉप के चरणों में ही समर्पित करती है।

इंडिया टुडे की फिर हुई बेइज्जती: मोदी सरकार के राहत पैकेज के पोस्टमॉर्टम में गणित से छेड़छाड़

राहत पैकेज की तुलना से पहले यह ध्यान रखना जरूरी है कि अन्य देशों ने व्यापक स्तर पर नुकसान देख ऐसी घोषणा की है। वहीं भारत ने स्थिति हाथ से निकलने से पहले एक कल्याणकारी पैकेज की घोषणा की है। आगे मुमकिन है कि सरकार अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसी पैकेज की घोषणा करे।

कारवाँ के संपादक ने फैलाया झूठ, कहा- देश में नहीं है कोरोना के फ्री टेस्ट की सुविधा

जोस ने एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है। जिसमें दावा किया गया है कि अन्य मुल्कों में कोरोना का टेस्ट फ्री है, जबकि भारत में नहीं। हकीकत यह है कि सरकारी लैब में टेस्ट फ्री हो रहे हैं। 4500 रुपए का जो अधिकतम शुल्क तय किया गया है वह प्राइवेट लैब के लिए है।

कुछ आवाज़ें भी कुछ जला सकती हैं: प्रतीक सिन्हा की जली तो रुबिका पर किया हमला, लग गई क्लास

रुबिका ने लिखा- "इस ट्वीट में कोरोना का कोई ज़िक्र नहीं सदमेश्वर! मेरे ट्वीट का ‘प्रतीक’ बनने के लिए शुक्रिया! गहरा सदमा लगा है ‘Fearleaders’ को।" रुबिका के इस जवाब के बाद प्रतीक को कुछ नहीं सूझा और वो भाग खड़े हुए।

प्राइम टाइम स्क्रिप्ट: जनता कर्फ्यू आपातकाल की टेस्टिंग, थाली बजाना गरीबों को बेइज्जत करने की मुहिम

आप ही बताइए कि क्या प्रधानमंत्री के बोलने से कोरोना मर जाएगा? तब तो हर देश के प्रधानमंत्री को माइक ले कर, संबोधन दे देना चाहिए, कोरोना मर जाएगा। जबकि हमारे फैजान मुस्तफा बताते हैं कि IPC और संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि भाषण देने से कोरोना मर जाता है।

‘हम देखेंगे’ की जगह ‘गायंत्री मंत्र’ सुनकर बिलबिला उठे वामपंथी, NDTV ने तो डिलीट ही कर दिया वीडियो, लोगों ने लगाई लताड़

लिबरल-सेकुलरों ने तुरंत कहना शुरू किया कि इटली में लॉकडाउन था, गुरुग्राम में नहीं हैं। इसलिए लाउड स्पीकर लगाकर हिंदू मंत्रो का उच्चारण केवल एक स्टंट हैं। जबकि कुछ ने ये शिकायत की कि ये लोग सिर्फ़ हिंदू मंत्रों को लाउड स्पीकर पर बोलकर लोगों को तंग कर रहे हैं।

भारत में कोरोना ने क्यों नहीं मचाई तबाही, मोदी घृणा से सना NYT तलाश रहा रहस्य

कोरोना के संक्रमण से निपटने के लिए मोदी सरकार की तैयारियों की पूरी दुनिया में सराहना हो रही। लेकिन, न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे मीडिया संस्थानों को इसमें रहस्य दिख रहा है। अब वे कह रहे कि इतने कम मामले तो वे हैं जो डिटेक्ट हुए हैं, कई मामले होंगे जो टेस्टिंग सेंटर तक पहुॅंचे ही नहीं होंगे।

ब्राह्मणों और जाटों से दूर रहेगा कोरोना? ये तस्वीर इतनी फेक है कि ‘ऑल्ट न्यूज’ ने भी फैक्टचेक नहीं किया

पीएम मोदी का साबुन वाला ट्वीट देखते ही 'भालू' ने अपने एक इंटर्न को एक कोरोना वायरस खोज कर उसका बयान लाने को कहा है। बयान ये होना चाहिए कि कोरोना साबुन से नहीं डरते। अन्य ख़बरों में दावा किया गया है कि उक्त इंटर्न मीडिया की नौकरी छोड़ कर सन्यस्थ हो गया है।

टेलीग्राफ है? बकवास ही करेगा: हिन्दू-घृणा से बजबजाते अखबार ने दलितों को वायरस कहा

बंगाल से छपने वाला अखबार होने के बावजूद ममता के शासन में यह पेपर भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, हर जिले में हो रहे मजहबी दंगों और तमाम अपराधों से जलते बंगाल पर चुप्पी साध लेता है। ऐसे तमाम मौकों पर इनकी बुद्धि घास चरने चली जाती है और बेहूदे हेडलाइन सुझाने वाले एडिटरों की रीढ़ की हड्डी गायब हो जाती है। इनका सारा ज्ञान हेडलाइन में अपनी जातिवादी घृणा, हिन्दुओं से धार्मिक घृणा आदि में ही बहता रहता है।

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें