Friday, November 22, 2024
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जिस घर में नहीं था राशिद, उसको जलाने में हिंदुओं को फँसाया: कोर्ट से दिल्ली दंगों में संदीप बरी, पुलिस की गवाही में भी झोल

अभियोजन पक्ष का दावा था कि हिंदू भीड़ ने करावल नगर के शिव विहार स्थित राशिद के घर को जला दिया था और इसमें संदीप कुमार भी शामिल थे। यह घटना 25 फरवरी 2020 की है। भीड़ पर लूटपाट, तोड़फोड़ और एक दोपहिया वाहन को जलाने का आरोप लगाया गया था।

27 अक्टूबर 2023 को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 के हिंदू विरोधी दंगों के मामले में एक हिंदू शख्स को सभी आरोपों से बरी कर दिया। इस केस में संदीप कुमार पर आगजनी, तोड़फोड़ और लूट के आरोप लगाए गए थे। कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा है और गवाहों के बयान भरोसेमंद नहीं थे।

अभियोजन पक्ष का दावा था कि हिंदू भीड़ ने करावल नगर के शिव विहार स्थित राशिद के घर को जला दिया था और इसमें संदीप कुमार भी शामिल थे। यह घटना 25 फरवरी 2020 की है। भीड़ पर लूटपाट, तोड़फोड़ और एक दोपहिया वाहन को जलाने का आरोप लगाया गया था।

इस मामले में संदीप कुमार को बरी करते हुए अदालत ने कहा, “अभियोजन पक्ष तोड़फोड़, लूटपाट, घरेलू समानों और मोटरसाइकिल की क्षति को साबित करने में सफल रहा। लेकिन इसका जिम्मेदार भीड़ या आरोपित के इसमें शामिल होने को लेकर कोई ठोस साक्ष्य नहीं रख पाया।”

अदालत ने कहा कि राशिद की गवाही भरोसेमंद नहीं है, क्योंकि घर में हुई तोड़फोड़ के समय वह मौजूद नहीं था। वह 25 फरवरी की घटना के 3-4 दिन बाद अपने घर लौटा था और उसे अपनी मोटर साइकिल जली हुई मिली थी। घर की पहली मंजिल पर भी सामान क्षतिग्रस्त और जले हुए थे।

कोर्ट ने कहा कि राशिद ने पत्नी के गहने गायब होने के आरोप लगाए हैं। यदि यह भी मान लिया जाए कि उनके घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई है, तब भी अभियोजन पक्ष के गवाह तीन (PW3) के साक्ष्य से यह साबित नहीं होता कि इसके लिए भीड़ जिम्मेदार थी। PW3 का भले यह कहना हो कि भीड़ ने ऐसा किया पर यह उसकी व्यक्तिगत जानकारी पर आधारित नहीं है।

अदालत ने कहा कि घटनास्थल पर मौजूद होने का दावा करने वाले दोनों पुलिसकर्मियों ने कहा था कि उन्होंने भीड़ और उसमें शामिल संदीप संदीप कुमार को भी देखा था। लेकिन उनकी गवाही भरोसे योग्य नहीं है। इनमें से एक पुलिसकर्मी PW5 ने तोड़फोड़ की किसी खास घटना का कोई जिक्र नहीं किया। उसने एक सामान्य बयान दिया था कि उसने शाम करीब 7 बजे गली नंबर में 11 में 30-40 लोगों की भीड़ तोड़फोड़ और आगजनी करते हुए देखा था।

इस पुलिसकर्मी का कहना था कि उसने भीड़ को पुलिस स्टेशन जाते समय देखा था। वहीं, दूसरे पुलिसकर्मी PW6 ने अपनी गवाही में कहा था कि वह भीड़ इकट्ठा होने की सूचना मिलने पर गली नंबर 11 पहुँचा था। उसके मुताबिक जब सूचना मिली थी वह शिव विहार तिराहे पर था और कोई अन्य पुलिस अधिकारी उस समय वहाँ नहीं था। उसने करीब तीन मिनट में गली नंबर 11 में पहुँचने और शाम के करीब 7 बजे 30-40 लोगों की भीड़ देखने की बात गवाही में कही थी।

अदालत ने दोनों पुलिस अधिकारियों के बयानों के विरोधाभास पर गौर किया। PW5 के मुताबिक, नाला रोड पर शाम के करीब 6-6.30 के बीच वह PW6 से मिला था। वहीं PW6 के अनुसार ने वह गली नंबर 11 में पहुँचने के बाद PW5 से मिला था। PW5 का कहना था कि पुलिस स्टेशन जाते समय वह PW6 से मिला। इसका मतलब हुआ कि वह 11 नंबर गली में यदि कोई दंगा हुआ था तो उस समय PW6 से नहीं मिला था।

यह संभावना भी नहीं है कि एक ही पुलिस स्टेशन के दो अधिकारी भीड़ की हिंसा वाली जगह एक साथ मौजूद हों और वहाँ होने वाली घटनाओं को लेकर उनमें भ्रम हो। यह बेतुका है कि एक ही थाने के दो पुलिस अधिकारी, एक ही जगह पर साथ मौजूद रहने के बाद भी कथित हिंसा को लेकर अलग-अलग बातें करें। बयानों की इन विसंगतियों को देखते हुए अदालत ने गली नंबर 11 में दोनों पुलिसकर्मियों के मौजूद होने के दावे को ही संदेहास्पद माना।

इसके अलावा अदालत ने यह भी पाया कि एक पुलिस अधिकारी ने 29 फरवरी को संदीप कुमार की पहचान करते हुए अपना बयान दर्ज करवाया। वहीं दूसरे अधिकारी ने दावा किया कि उसने आरोपित को केवल 1 अगस्त 2020 को देखा था। बयानों में इस तरह के विरोधाभास ने उनकी गवाही की विश्वसनीयता को और कम कर दिया।

आरोपित संदीप कुमार पर आईपीसी की धारा 147/148/427/436/ 380/506/454 के साथ धारा 149 आईपीसी के तहत आरोप लगा गए थे। सबूतों की कमी के आधार पर अदालत में उन्हें इन सभी आरोपों से बरी कर दिया।

दिल्ली हिंदू विरोधी दंगे 2020

भारत की राजधानी दिल्ली में बड़े पैमाने पर 24 और 25 फरवरी 2020 को हिंदू विरोधी दंगे हुए थे। ये शाहीन बाग और अन्य क्षेत्रों में इस्लामवादियों के सीएए विरोधी विरोध प्रदर्शनों से फैलाई गई दुश्मनी, नफरत और क्रोध का चरम था। शाहदरा, मौजपुर, भजनपुरा, ब्रह्मपुरी और पूर्वोत्तर दिल्ली के अन्य हिस्सों में इस्लामवादियों ने हिंसा की। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इन दंगों में संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था। दंगों में दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्सेटबल के साथ इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक कॉन्सेटबल की भी हत्या कर दी गई थी।

(नुपूर जे शर्मा द्वारा मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई इस रिपोर्ट को विस्तार से पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)

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