रमज़ान के महीने में फ्रांस में हिंसा का माहौल रहा। हाल ही में हुए घातक हमलों से यूरोपीय देश में बढ़ते कट्टरवाद और उग्रवाद की चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है। इस्लामवादियों द्वारा गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है। यूरोपीय कंजर्वेटिव की एक रिपोर्ट में कहा गया है, “रमजान में तनाव बढ़ गया है, जो कुरान के सम्मान को लेकर एक-दूसरे से आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा का कारण बन जाता है।”
फ्रांस के बोर्डो में 10 अप्रैल को एक व्यक्ति द्वारा छुरा घोंपने से एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि दो घायल हो गए। चाकू से हमला स्थानीय समयानुसार शाम 7:50 बजे वॉटर मिरर पूल में हुआ। ‘द टाइम्स’ के मुताबिक, आरोपित की पहचान एक अफगान प्रवासी के रूप में हुई है। वह रमजान के दौरान घटना के पीड़ितों को शराब पीते देखकर गुस्सा हो गया था।
ईद-अल-फितर से एक दिन पहले 9 अप्रैल को अचेनहेम (बास-राइन) में चार नाबालिगों ने एक 13 वर्षीय लड़की पर हमला किया। अपने कॉलेज जाने के लिए बस में यात्रा करते समय उसके स्कूल के आरोपित उसके पास आए और उस पर रमज़ान में रोज़े का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाकर पीटने लगे।
इसी तरह 5 अप्रैल को दक्षिणी पेरिस के उपनगरीय इलाके में बालाक्लाव पहने युवाओं के एक समूह द्वारा पीटे जाने के एक दिन बाद शम्सुद्दीन नाम के एक 15 वर्षीय लड़के की मृत्यु हो गई। प्रारंभिक जाँच और आरोपितों के बयानों के अनुसार, चार आरोपितों में दो भाई थे। उन्हें अपनी बहन और परिवार की प्रतिष्ठा को लेकर डर सता रहा था।
यूरोपीय चुनावों के लिए लेस रिपब्लिकंस सूची में नंबर दो पर सेलीन इमार्ट ने उल्लेख किया कि उनके क्षेत्र के एक मिडिल स्कूल में एक छात्र ने अपने शिक्षक को पानी पीने से रोका, क्योंकि रमज़ान चल रहा था। उन्होंने CNews को दिए इंटरव्यू में कहा, “डर से वह टीचर हार मान ली। आइए अपने उन शिक्षकों का समर्थन करें, जो अधिकार और ज्ञान प्रसारित करने से डरते हैं!”
Dans un collège de mon territoire, un élève a empêché une professeur de boire un verre d’eau car c’est la période de ramadan.
— Céline Imart (@CelineImart) April 10, 2024
Elle s’est inclinée par peur des conséquences.
Soutenons nos professeurs qui ont peur de transmettre l’autorité et le savoir ! pic.twitter.com/AIUpJDXOwX
इसी तरह, 3 अप्रैल को मोंटपेलियर के ऑर्थर-रिंबाउड कॉलेज में गैर-इस्लामी व्यवहार के लिए समारा नाम की 14 वर्षीय लड़की पर हिंसक हमला किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए तीन नाबालिगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। कथित तौर पर इस मामले ने पूरे देश में राजनीतिक हंगामा मचा दिया है।
हमले के बाद लड़की कोमा में चली गई थी। हालाँकि, अब वह इससे बाहर है। आरोपित लड़की उसी स्कूल की छात्रा है। उन्होंने लड़की को मारने की बात कबूली है। पीड़िता की माँ ने कहा, “मैं वास्तव में समारा पर लगातार हमला करने के इन बच्चों के कारणों को नहीं समझ पा रही हूँ, लेकिन कुछ तो बात है। मुझे लगता है कि समारा शायद कुछ छात्रों की तुलना में थोड़ी अधिक मुक्त है।”
पीड़िता की माँ ने कहा कि समारा कुछ मेकअप करती है, जबकि आरोपित हिजाब/बुर्का पहनती है। पीड़िता की माँ ने कहा, “दिन भर वह उसे काफिर कहती रही, जिसका अरबी में मतलब गैर-मुस्लिम होता है। मेरी बेटी यूरोपीय शैली में कपड़े पहनती है। दिन भर अपमान होता था, उसे कहबा कहा जाता था, जिसका अरबी में मतलब होता है c**t। यह शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से असहनीय था।”
पीड़िता की माँ ने यह भी खुलासा किया कि जून 2023 में आरोपित को दो दिनों के लिए स्कूल से निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि उसने सोशल मीडिया नेटवर्क पर उसकी बेटी की तस्वीरें पोस्ट की थी। इतना ही नहीं, उसने उसकी बेटी के साथ बलात्कार करने के लिए लोगों से आह्वान किया था।
इसी साल मार्च में पेरिस स्थित एक स्कूल के प्रिंसिपल ने एक छात्रा को स्कूल परिसर में हिजाब/बुर्का हटाने के लिए कहा था। इसके बाद प्रिंसिपल को जान से मारने की धमकी मिली थी, जिससे डरकर उसने इस्तीफा दे दिया। गौरतलब है कि फ्रांस में साल 2004 से हिजाब या धार्मिक संबद्धता दिखाने वाले चिन्ह या पोशाक पहनने पर प्रतिबंध है।
यूरोपियन कंजर्वेटिव के मुताबिक, फ्रांस की मीडिया ऐसे हमलों से इनकार करता रहा है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “बोर्डो में हत्या के बाद प्रेस ने चाकूबाजी में आतंकवादी मकसद की अनुपस्थिति पर जोर दिया।”