Sunday, December 22, 2024
Homeराजनीतिवामपंथी सरकार ने चलवाई गोली, मारे गए 13 कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता: जानें क्यों ममता बनर्जी...

वामपंथी सरकार ने चलवाई गोली, मारे गए 13 कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता: जानें क्यों ममता बनर्जी मना रहीं ‘शहीद दिवस’, TMC ने हाईजैक किया कॉन्ग्रेस का कार्यक्रम?

टीएमसी हर साल शहीद दिवस के मौके पर अपने अगले साल के राजनीतिक कदमों का मोटा-मोटा ब्यौरा पेश करती है। इस बार टीएमसी ने अभी से साल 2026 के विधानसभा चुनावों में पार्टी कार्यकर्ताओं को जुट जाने का ऐलान कर दिया है।

ममता बनर्जी की अगुवाई में टीएमसी ने रविवार (21 जुलाई 2024) को शहीद दिवस कार्यक्रम मनाया। कभी शहीद दिवस कार्यक्रम कॉन्ग्रेस मनाती थी, लेकिन ममता बनर्जी ने कॉन्ग्रेस पार्टी से अलग होने के बाद युवा कॉन्ग्रेस के 13 कार्यकर्ताओं की हत्या को अपने नाम के साथ जोड़ लिया और उसका इस्तेमाल कम्युनिष्टों की जड़ काटने में किया। दरअसल, साल 1993 में तब युवा कॉन्ग्रेस की नेता रही ममता बनर्जी की अगुवाई में युवा कॉन्ग्रेसियों का बड़ा प्रदर्शन राइटर्स बिल्डिंग के सामने होना था, लेकिन कोलकाता पुलिस की गोलीबारी में 13 युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की जान चली गई थी।

क्यों गई थी कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की जान?

दरअसल, पश्चिम बंगाल में वामदलों के शासन के दौरान राशन कार्ड दिखाने पर वोटिंग की अनुमति मिल जाती थी। लेकिन कॉन्ग्रेस माँग कर रही थी कि वोटिंग के लिए सिर्फ मतदाता पहचान पत्र को ही मान्य किया जाए, राशन कार्ड पर वोटिंग को रोका जाए। उस समय ज्योति बसु पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने कॉन्ग्रेस की माँग को खारिज कर दिया था। वहीं, ममता बनर्जी पूरे जोश में थी। वो साल 1984 के लोकसभा चुनाव में दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को धूल चटा चुकी थी। ऐसे में युवा कॉन्ग्रेस का नेतृत्व करते हुए उनकी अगुवाई में ही ये रैली निकली थी, जिसमें बाद में 13 युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की जान चली गई थी।

कॉन्ग्रेस अगले साल से हर साल पश्चिम बंगाल में 21 जुलाई को शहीद दिवस के तौर पर मनाती रही, लेकिन साल 1998 में ममता बनर्जी ने कॉन्ग्रेस छोड़कर टीएमसी का गठन किया, तो इस शहीद दिवस को भी कॉन्ग्रेस से छीन लिया। इसके बाद से 21 जुलाई को टीएमसी हर साल बड़े पैमाने पर शहीद दिवस मनाती है, जिसे ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में सीपीआई(एम) के खिलाफ खुद के तने रहने के तौर पर प्रस्तुत करती हैं।

इस साल भी 1 जुलाई को टीएमसी ने कोलकाता के धर्मतला इलाके में एक बड़ी रैली का आयोजन किया। इस रैली में इंडी गठबंधन के उसके साथी पहुँचे। एक तरफ तो इंडी गठबंधन से खुद बाहर हुई ममता बनर्जी इस कार्यक्रम का आयोजन कर रही हैं, वहीं, इंडी बंधन में शामिल कम्युनिष्ट पार्टियों को चिढ़ाते हुए उनके ही सहयोगियों को मंच पर भी बुला रही हैं। ये किस तरह की राजनीति ममता बनर्जी कर रही हैं, शायद उन्हें खुद भी नहीं मालूम, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान एक तरफ तो वो खुद को इंडी गठबंधन से अलग भी बताती रही, तो बाहर से इंडी गठबंधन को समर्थन देने का भरोसा भी जताती रही, जबकि खुद पूरे पश्चिम बंगाल में वामदलों और कॉन्ग्रेस के खिलाफ चुनाव भी लड़ती रही, तो यूपी में सपा-कॉन्ग्रेस के गठबंधन में शामिल होकर भदोही लोकसभा सीट पर भी चुनाव लड़ लिया।

खैर, टीएमसी हर साल शहीद दिवस के मौके पर अपने अगले साल के राजनीतिक कदमों का मोटा-मोटा ब्यौरा पेश करती है। इस बार टीएमसी ने अभी से साल 2026 के विधानसभा चुनावों में पार्टी कार्यकर्ताओं को जुट जाने का ऐलान कर दिया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -